अगर आप भी Kundru ki kheti की योजना बना रहे हैं तो इस लेख में आपको कुंदरू कैसे उगाएं (Ivy Gourd Farming in Hindi) और कुंदरू के बीज आदि के बारे में जानकारी दी जा रही है.
Kundru ki kheti में उपयुक्त जलवायु व तापमान (Kundru Cultivation Suitable Climate and Temperature)
इसके पौधों को गर्म, आर्द्र मौसम की आवश्यकता होती है. उत्तर भारत के ठंडे भागों में पैदावार कम होती है। वर्षा ऋतु में केवल 100 से 150 सेमी वर्षा की आवश्यकता होती है। लेकिन आधुनिक तकनीक की बदौलत इसे सिंचित क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है। 30 से 35 डिग्री तापमान पर कुंदरू की अच्छी फसल प्राप्त होती है.
Kundru ki kheti की तैयारी व उवर्रक (Kundru Farm Preparation and Fertilizers)
Kundru ki kheti के पौधे एक बार लगाने के बाद 4 से 5 साल तक पैदावार देते हैं। इसलिए इसकी फसल लगाने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लें। इस प्रयोजन के लिए, पहले खेत को साफ किया जाता है और गहरी जुताई की जाती है, जिससे खेत में पुरानी फसलों के अवशेष हटा दिए जाते हैं।
इसके बाद खेत को कुछ दिनों के लिए धूप लगने के लिए छोड़ दें। इसके बाद खेत को सूखाकर छोड़ दें. यदि खेत सूखा हो तो दो से तीन तिरछी जुताई करें।
इसके फलस्वरूप खेत की मिट्टी खुरदरी हो जाती है। पेड़ लगाने के लिए गड्ढे को भुरभुरी मिट्टी में पैर डुबोकर खेत को समतल करके तैयार किया जाता है। ये गड्डो एक-डेढ़ मीटर की दूरी पर एक पंक्ति में तैयार की जाती हैं। ये सभी गड्डो 30 सेमी लंबी, गहरी और चौड़ी होनी चाहिए।
इन गड्डो को 4 से 5 किलोग्राम गाय के गोबर से भर दें। कुंदरू की अच्छी फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 40 से 60 किलोग्राम फास्फोरस, 60 से 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम पोटाश को अच्छी तरह मिलाकर खेत में डालना चाहिए।
Kundru ki kheti की उन्नत किस्में
कुंदरू के बीजो की रोपाई बीजो से कलम को तैयार कर की जाती है | इसके लिए 4 से 12 माह पुरानी लताओं से 15-20 CM लम्बी, 1.5 CM मोटी 5 से 7 गांठो से कलमों को काटकर अलग कर ले | इन कलमों को गोबर और मिट्टी के मिश्रण से भरे हुए पॉलीथीन के थैलो में लगाकर उनकी सिंचाई कर देख रेख की जाती है |
जिसके 50 से 60 दिन पश्चात् कलम में जड़े निकलना आरम्भ कर देती है | इन जड़ो को निकालकर खेत में तैयार गड्डो में उनकी रोपाई कर दी जाती है | इस दौरान 10 मादा पौधों के मध्य 1 नर पौधा लगाना उपयुक्त होता है | पौध रोपाई के लिए सितम्बर से अक्टूबर का महीना सबसे अच्छा माना जाता है |
कुंदरू फसल सिंचाई प्रबंधन (Kundru Crop Irrigation Management)
कुंदरू की फसल में गर्मी के दिनों में पौधों की सिंचाई 4 से 5 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए. इसके अलावा, फल पकने के दौरान खेत में नमी के स्तर की जांच करें और बरसात के मौसम में उचित जल निकासी का ध्यान रखें। क्योंकि जलजमाव की स्थिति में पौधा पीला पड़कर सूख जाता है।
Kundru ki kheti की फसल में रोग एवं रोकथाम (Kundru Crop Disease and Prevention)
कुंदरू की फसल में अनेक कीट एवं रोग लगते हैं। इस मामले में, फल मक्खी रोग जिसमें रोगग्रस्त कीट फल पर अपने अंडे देता है, जिसके परिणामस्वरूप फल सड़ जाता है और खराब हो जाता है। इसके अलावा सफेद रंग की फफूंद, फल छेदक रोग पौधों की पत्तियों में छेद कर उन्हें नुकसान पहुंचाता है.
यह ख़स्ता फफूंदी के प्रति भी संवेदनशील है, जो जड़ों और पत्तियों पर कवक के रूप में हमला करता है, जिससे पत्तियाँ पीली हो जाती हैं और मुरझा जाती हैं। ऐसी सभी बीमारियों से बचाव के लिए पौधों पर गोमूत्र या नीम के घोल में माइक्रोजाइम मिलाकर छिड़काव किया जाता है।
Kundru ki kheti के फलो की तुड़ाई, पैदावार और लाभ (Kundru Fruit Harvesting, Yield and Benefits)
कुंदरू की फसल 45 से 50 दिन बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इसके बीजों की तुड़ाई4 से 5 दिन के अंतराल पर कई बार की जा सकती है. कुंदरू के बीज उन्नत किस्मों, खरपतवार, फसल और फसल के स्वरूप के अनुसार प्राप्त किये जाते हैं।
इनके खेत से किसान भाइयों को प्रति हेक्टेयर लगभग 300 से 450 क्विंटल तक पैदावार मिल जाती है. कुंदरू का बाजार भाव भी बहुत अच्छा होता है, ऐसे में किसान भाई कुंदरू का उत्पादन कर अच्छी कमाई कर लेते हैं.
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Kundru ki kheti FaQs?
कुंदरू कब लगाया जाता है?
शुरुआती वसंत ऋतु या फरवरी-मार्च के महीने में
क्या कुंदरू को कच्चा खाया जा सकता है?
कुंदरू को कच्चा और पक्का दोनों तरह से खाया जाता है
कुंदरू का दूसरा नाम क्या है?
आइवी गोर्ड
कुंदरू में कौन सा विटामिन पाया जाता है?
विटामिन ए और सी
कुंडुरु को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
कुंदरू (Kundaru) meaning in English (इंग्लिश मे मीनिंग) is IVY GOURD/LITTLE GOURD (कुंडरू ka matlab english me IVY GOURD/LITTLE GOURD hai)
Kundru ki kheti कैसे की जाती है?
इसकी खेती में पहले बीजों से नर्सरी तैयार की जाती है और फिर उसके बाद बुआई की जाती है. कुंदरू की फसल को मेड़ या बेड़ बनाकर उस पर बुआई की जाती है
Kundru ki kheti | कुंदरू की खेती कैसे करे | Ivy Gourd Farming in Hindi | कुंदरू का बीज किसान भाइयो अगर आप JagoKisan.com द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद हो सके|