Kalonji Ki Kheti 2024 | कलौंजी की खेती कैसे होती है | Nigella Sativa Farming In Hindi | Kalonji Cultivation »

Kalonji ki kheti 2024 | कलौंजी की खेती कैसे होती है | Nigella Sativa Farming In Hindi | Kalonji Cultivation

यदि आप भी Kalonji ki kheti कर अच्छा लाभ कमाना चाहते है, तो आइयें जानते है, कलौंजी की खेती कैसे करे, Nigella Sativa Farming in Hindi, Kalonji Ki Kheti, इसके बारे में |

Table of Contents

Kalonji ki kheti के लिए उपयुक्त मिटटी (Kalonji Cultivation Suitable Soil)

Kalonji ki kheti के लिए कार्बनिक पदार्थ से भरपूर रेतीली मिट्टी का होना आवश्यक है। इसकी खेती के लिए यह आवश्यक है कि मिट्टी अच्छे जल निकास वाली हो तथा मिट्टी का पी.एच. मान 6-7 के बीच होना चाहिए.

Kalonji ki kheti के लिए उचित जलवायु और तापमान (Kalonji Cultivation Suitable Climate and Temperature)

Kalonji ki kheti के पौधों को अच्छे से विकास करने के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है | इसके पौधे सर्दी और गर्मी दोनों समय अच्छे से विकास करते हैं।

इसके पौधों को अधिक वर्षा की आवश्यकता नहीं होती इसलिए इसे रबी की फसल के रूप में उगाया जाता है। कलौंजी के बीजों को अंकुरित होने के लिए सही तापमान की आवश्यकता होती है। इसके पौधों को फसल पकने के लिए 18 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.

कलौंजी की उन्नत किस्मे (Kalonji Improved Varieties)

Kalonji ki kheti

पंत कृष्णा किस्म के पौधे

यह प्रकार दो फीट से अधिक लंबा पाया जाता है, और ऐसे पौधों को परिपक्व होने में 130 से 140 दिन लगते हैं। इसकी पैदावार 8-10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.

आजाद कलौंजी किस्म के पौधा

यह किस्म, उत्तर प्रदेश राज्य में व्यापक रूप से उगाई जाती है, यह मध्यम ऊंचाई का पौधा है। इसके पौधे लगभग 140 से 150 दिन के बाद बीज देना शुरू कर देते हैं. इन किस्मों की पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.

Kalonji ki kheti को कैसे तैयार (Kalonji Field Prepare)

Kalonji ki kheti के बीज की अच्छी पैदावार सुनिश्चित करने के लिए बीज बोने से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार करना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करनी होगी. इसके बाद खेत को कुछ देर के लिए खुला छोड़ देना चाहिए. यह सुनिश्चित करने के लिए कि खेत को पर्याप्त धूप मिले।

इसके बाद 10-15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को खेत में डालकर अच्छे से मिला देना चाहिए |. इसके बाद खेत की पलेव करके खेत की जुताई कर दें. जब खेत की मिट्टी सूखने लगे तो रोटावेटर चालू करके एक बार चला दें, इससे खेत की मिट्टी नरम हो जाएगी। मिट्टी के नरम हो जाने पर जुताई करके खेत को समतल कर लिया जाएगा।

Kalonji ki kheti के बीज रोपाई का सही समय और तरीका (Kalonji Seeds Planting Right Time and Method)

कलौंजी के बीज बोने से पहले खेत में उपयुक्त आकार की क्यारी तैयार कर लेनी चाहिए. इसके बाद इस क्यारी में बीज बो देना चाहिए. कलौंजी की खेती छिड़काव विधि से की जाती है. बुआई से पहले बीजों को पर्याप्त मात्रा में थीरम से उपचारित करना चाहिए।

प्रति हेक्टेयर खेत में लगभग 7 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। चूंकि कलौंजी और रबी की फसलें एक साथ उगाई जाती हैं, इसलिए इसके बीज बोने का सबसे अच्छा समय सितंबर और अक्टूबर माना जाता है।

कलौंजी के पौधों की सिंचाई (Kalonji Plants Irrigation)

कलौंजी के पौधों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है, लेकिन पहला पानी बीज बोने के तुरंत बाद देना चाहिए. जब बीज अंकुरित हो रहे हों तो खेत में नमी बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई करनी चाहिए.

कलौंजी के पौधों में खरपतवार नियंत्रण (Kalonji Plants Weed Control)

कलौंजी के पौधों को कम खरपतवार नियंत्रण की आवश्यकता होती है. लेकिन बुआई के 20-25 दिन बाद प्राकृतिक रूप से खरपतवार निकालकर नियंत्रण करना चाहिए। इसके बाद 15 दिन के अंतराल पर दो से तीन बार और कटाई करनी चाहिए।

कलौंजी के पौधों में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम (Kalonji Plants Diseases and their Prevention)

जड़ गलन रोग

जड़ सड़न रोग उन स्थितियों में देखा जाता है जहां बरसात के मौसम में जलभराव होगा। ऐसे रोग के फलस्वरूप पौधे की जड़ें सड़ने लगती हैं तथा पौधे की पत्तियाँ पीली होकर मुरझाने लगती हैं। इस तरह की बीमारी से बचने के लिए डिहाइड्रेशन की समस्या न होने दें।

कटवा इल्ली रोग

कलौंजी के पौधों में ऐसे रोग बीज के अंकुरित होने पर दिखाई देते हैं. कटवा इल्ली रोग के आक्रमण से पौधे पूर्णतः नष्ट हो जाते हैं। यह रोग जमीन के नजदीक पौधों पर आक्रमण करता है। पर्याप्त मात्रा में क्लोरोपाइरीफॉस का छिड़काव करके इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।

पौधों की कटाई,पैदावार और लाभ (Harvesting, Yields and Benefits)

कलौंजी के पौधे 130 से 140 दिन के बाद फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं. जब यह पक जाए तो इसके पौधे को जड़ सहित उखाड़ देना चाहिए। इसके बाद इन्हें इकट्ठा करके धूप में अच्छी तरह सुखा लेना चाहिए.

एक बार जब पौधे पूरी तरह से सूख जाएं तो कलौंजी के बीजों को किसी छड़ी से कूटकर निकाल देना चाहिए। कलौंजी के पौधों से प्रति हेक्टेयर खेत में लगभग 10 क्विंटल उपज मिलती है।

बाजार में कलौंजी की कीमत 500-600 रुपये प्रति किलो है. किसान प्रति हेक्टेयर खेत में कलौंजी उगाकर 2 से 3 लाख रुपये की अच्छी आमदनी कमा सकते हैं.

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Kalonji ki kheti FaQs?

कलौंजी कौन से महीने में बोई जाती है?

मध्य सितंबर से लेकर मध्य अक्टूबर तक

कलौंजी 1 एकड़ में कितनी होती है?

इस किस्म की पैदावार लगभग 5 क्विंटल प्रति एकड़ हैं।

कलौंजी 1 बीघा में कितने निकलती है?

एक बीघा में कलौंजी के बीज का छिड़काव 2 किलो से लेकर 3 किलो के बीच में होता है

कलौंजी के बीज कैसे आते हैं?

यह काले बीज कलौंजी के झाड़ीयों में मिलते हैं, जिन्हें संपूर्ण भारत में उगाया जाता है।

क्या मैं काला बीज लगा सकता हूं?

सर्दियों के मौसम की आखिरी अच्छी ठंढ के बाद अपने काले जीरे के बीज को बाहर बोने का सबसे अच्छा समय है।

कलौंजी का घरेलू नाम क्या है?

मंगरैला

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