भारत में मोती का उत्पादन बहुत कम होता है, इसलिए इसे दूसरे देशों से बड़ी मात्रा में आयात किया जाता है। अगर किसान भाई चाहें तो Moti ki kheti करके अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं.
Moti ki kheti खेती में कम निवेश से बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है और न ही इसकी खेती में ज्यादा मेहनत लगती है।
यदि आप भी Moti ki kheti करने का मन बना रहे है, तो इस लेख में हम आपको बतायेंगे कि मोती की खेती कैसे होती है (Pearl Farming in Hindi) तथा मोती की कीमत क्या है? इसके बारे में |
Moti ki kheti के लिए तालाब तैयार करे (Pearl Cultivation Prepare Pond)
Moti ki kheti भूमि में न करके सीधा पानी में की जाती है | इसके लिए आपको एक तालाब तैयार करना होगा. आप सीप तैयार करना चाहते हैं उसी आकार का तालाब तैयार करें। तालाब तैयार करने के लिए जमीन में गड्ढा बनाकर सीमेंट का गमला बनाया जाता है। इसके बाद तालाब को पॉलिथीन से भर दिया जाता है. यदि गड्ढा कम पानी सोखता है तो पॉलिथीन की आवश्यकता नहीं है।
सीप की तैयारी (Oyster Preparation)
मोती का उत्पादन सीप द्वारा होता है | इसलिए नदियों से सीप को लाना होता है, लेकिन अब सीप भी बाजारों में आसानी से उपलब्ध है। इन सीपों के लिए साफ पानी महत्वपूर्ण है, गंदा पानी सीपों द्वारा ग्रहण नहीं किया जाता है |
सीप अपने भोजन के लिए काई (सिवाल) का इस्तेमाल करता है |
Moti ki kheti के प्रकार (Pearls Types)
केवीटी:- यह मोती सीप विदेशी पिंडों को डालकर तैयार किया जाता है। इससे किसी भी साइज की ज्वेलरी बनाई जा सकती है। ऐसे मोती बाज़ार में विभिन्न प्रकार के उत्पादों में पाए जाते हैं, जिनकी कीमत हजारों में होती है।
गोनेट मोती:- यह मोती प्राकृतिक रूप से तैयार किया जाता है, जिसका आकार भी प्राकृतिक रूप से गोल होता है। इन क्रिस्टल की कीमत चमक और आकार के आधार पर एक हजार से 50 हजार रुपये तक होती है।
मेंटलटिसू:- इन क्रिस्टलों का उपयोग खाने के लिए किया जाता है। ये मोती सीप में सीप का टुकड़ा डालकर बनाए जाते हैं। इस तरह के चश्मों की बाजार में भारी मांग है। च्यवनप्राश और टॉनिक में उपयोग किया जाता है।
Moti ki kheti का सही समय (Pearl Farming Right Time)
Moti ki kheti के उत्पादन के लिए सर्दी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मोती उत्पादन के लिए अक्टूबर और दिसंबर का महीना सबसे अच्छा माना जाता है। यह सीप में मनका डालकर शल्य चिकित्सा द्वारा किया जाता है। यदि आप इसे कुछ समय के लिए प्राकृतिक भोजन और एंटी-बायोटिक पर रखते हैं, तो इसे तालाब में डाल दें। इसके बाद उन्हें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व दिए जाते हैं।
सीप का ऑपरेशन (Oyster Operation)
मोती प्राप्त करने के लिए ऑपरेशन की सर्जरी की जाती है। सीप के भीतरी भाग में 4 से 6 मिलीमीटर के आकार का रेत का कण या बीड़ को शल्य क्रिया द्वारा डालते है | ऑपरेशन के दौरान सीप का मुंह ज्यादा न खोलें, इससे सीप के मरने का खतरा रहता है। पैदावार पर असर पड़ रहा है.
Moti ki kheti को कैसे तैयार करे (Pearls Preparation)
Moti ki kheti को तैयार करने के लिए 3 वर्ष पुराने सीप की जरूरत होती है | इसके बाद इसे तैयार होने में 8 से 14 महीने का समय लग जाता है | इस दौरान मोती को तैयार करने के लिए सीप में ऑपरेशन किया जाता है |
इसके लिए शल्य क्रिया का इस्तेमाल किया जाता है, तथा उसमे फॉरेन बॉडी या रेत के कण को डाला जाता है |
घोंघा नामक प्राणी जो कई रंगो में देखने को मिल जाता है, वही इस मोती को तैयार करता है | जब सीप के अंदर मौजूद रेत का कण घोंघे को चुभता है, तब घोंघा एक प्रकार का तरल चिकना पदार्थ छोड़ता है |
यही तरल पदार्थ परत के रूप में कण पर जमता रहता है, और एक मोती तैयार हो जाता है, तैयार मोती सिल्वर रंग का होता है | इसके बाद सीप के अंदर से मोती को निकाल लेते है, और उसे बाजार में बेचने के लिए भेज देते है |
सीप का रखरखाव (Oyster Maintenance)
शल्य क्रिया के पश्चात् बीज का रखरखाव ठीक तरह से करना बहुत जरूरी होता है | इसके लिए सर्जरी के दौरान सीपों को जालीदार नायलॉन की बोतलों में प्राकृतिक चारे पर रखा जाता है और 10 दिनों तक एंटीबायोटिक्स देकर बोतलों को पाइप से लपेट दिया जाता है और पानी में एक से डेढ़ फीट की गहराई पर रखा जाता है।
इस मामले में, सीप को पानी से निकाला जाना चाहिए और प्रतिदिन निरीक्षण किया जाना चाहिए। क्योंकि जब सीप मर जाता है, तो वह अधिक अमोनिया छोड़ना शुरू कर देता है, और पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ने से सीप के मरने का खतरा बढ़ जाता है।
इसलिए पानी में अमोनिया के स्तर की भी जाँच की जानी चाहिए। यदि पानी में अमोनिया का उच्च स्तर पाया जाता है, तो पानी को सूखा दें और ताजा पानी भरें। इससे सीप की गति तेज हो जाती है और मोती 8 से 14 महीने के बाद ही तैयार होता है। जब सीप का रंग चांदी जैसा दिखने लगता है तो उस समय मोती निकाल लिया जाता है।
मोती की कीमत क्या है (Pearl Price)
करीब 500 सीपियां लगाने में 25 हजार तक का खर्च आता है। इस मामले में, यदि सर्जरी के दौरान 50 सीप भी मर जाते हैं, तो 450 सीप को बच जाते है,, जिससे 450 मोती निकलते हैं।
इन मोतियों का बाज़ारी भाव 250 रूपए प्रति मोती होता है,जिससे किसान भाई 500 सीप से तक़रीबन सवा लाख तक की कमाई कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है |
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Moti ki kheti FaQs?
Moti ki kheti की शुरुआत कैसे करें?
सबसे पहले आप सीपों को नदियों या तालाब से इकट्ठा करें, लेकिन आजकल सीप बाजार में भी उपलब्ध हैं. किसान वहां से भी सीप खरीद सकते हैं.
मोती बनने में कितना समय लगता है?
14 माह
Moti ki kheti की ट्रेनिंग कितने दिन की होती है?
15 दिन
क्या Moti ki kheti घर पर की जा सकती है?
मोती की खेती आप घर पर बाल्टी या मछली टैंक में आसानी से कर सकते हैं।
क्या भारत में Moti ki kheti लाभदायक है?
भारत में मोती की खेती व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य और लाभदायक है।
मोती कितने साल तक रहता है?
50 वर्षों तक
क्या मोती की खेती एक अच्छा व्यवसाय है?
व्यावसायिक मोती की खेती 2023 में एक लाभदायक व्यवसायिक विचार है ।
Moti ki kheti | मोती की खेती कैसे होती है | Pearl Farming in Hindi | मोती की कीमत क्या है किसान भाइयो अगर आप JagoKisan.com द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद हो सके|