Methi ki kheti | मेथी की खेती कैसे करें | Fenugreek Farming in Hindi | मेथी की पैदावार | Fenugreek Cultivation

किसान भाई मेथी की फसल व्यापारिक रूप में कर के अच्छा मुनाफा भी कमा सकते है | इस पोस्ट में आपको Methi ki kheti कैसे करें (Fenugreek Farming in Hindi) तथा मेथी की उन्नत किस्में इसके बारे में जानकारी दी जा रही है |

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मेथी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Fenugreek Cultivation Suitable Soil, Climate and Temperature)

Methi ki kheti की अच्छी फसल के लिए बलुई दोमट मिट्टी आवश्यक है। Methi ki kheti काली भरी तथा जल भराव वाली मिट्टी में नहीं की जा सकती। बारिश होने पर इसके पौधों को नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है. पी.एच. की भूमि जिसका उपयोग कृषि के लिए किया जाता है। मान 5.5 और 7 के बीच होना चाहिए.

Methi ki kheti

Methi ki kheti की फसल रबी की फसल के साथ उगाई जाती है, इसलिए इसके पौधों को अधिक वर्षा की आवश्यकता नहीं होती है। इसके पौधे सर्दियों में अच्छे से विकास कर सकते हैं.

शुरुआत में इसके पौधों को अंकुरित होने के लिए मध्यम तापमान की आवश्यकता होती है और पौधों के बढ़ने के लिए 15 से 20 डिग्री का तापमान आदर्श माना जाता है।

मेथी की उन्नत किस्में (Fenugreek Improved Varieties)

लेम सेलेक्शन 1 

इस किस्म का पौधा बुआई के 70 दिन बाद अपने आप तैयार हो जाता है, जिसके बाद इसकी कटाई की जा सकती है. ये मध्यम ऊंचाई के पौधे हैं, जिनकी उपज 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। .

इसके अलावा मेथी की कई उन्नत किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें ए एफ जी 1, राजेंद्र क्रांति, आर एम टी 1, आर एम टी 305, ए एफ जी- 2,3, हिसार माधवी, आर एम टी- 143, हिसार सुवर्णा।, को-1 जैसी किस्में शामिल हैं। और पूसा कसूरी को अधिक पैदावार के लिए उगाया जाता है।

हिसार सोनाली

Methi ki kheti की ये उन्नत किस्में राजस्थान और हरियाणा राज्यों में व्यापक रूप से उगाई जाती हैं। इससे प्राप्त पौधे काफी लम्बे नजर आते हैं तथा इसके पौधे बुआई के 140 से 150 दिन में फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं।

इस प्रकार के पौधों में जल सड़न रोग नहीं देखा जाता है. इसके पौधों की पैदावार 17 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.

मेथी के खेत की तैयारी (Fenugreek Field Preparation)

Methi ki kheti की रोपाई से पहले इसके खेतों को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है. इस प्रयोजन के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करना आवश्यक है।

जुताई के बाद खेत को कुछ देर के लिए वैसे ही खुला छोड़ दें. इसके बाद पुरानी गोबर की खाद को प्राकृतिक खाद के रूप में मिट्टी में मिला देना चाहिए और कम्पोस्ट या पुरानी गोबर की खाद को जैविक खाद के रूप में मिट्टी में मिला देना चाहिए। खाद को खेत में मिलाने के बाद पानी डालकर उसे समृद्ध करें.

इसके बाद यदि Methi ki kheti की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगे तो रोटावेटर चलाकर खेत की मिट्टी को ढीला कर दें. इसके बाद सड़क बिछाकर जुताई कर दें, इससे जुताई समतल होगी और जल निकासी जैसी परेशानी नहीं होगी.

मेथी के बीजो की रोपाई का सही समय और तरीका (Fenugreek Seeds Planting Right time and Method)

Methi ki kheti के पौधों को बीज के रूप में उगाया जाता है। इस ड्रिल एवं छिड़काव विधि का प्रयोग किया जाता है। बीज को खेत में बोने से पहले बाविस्टिन से उपचारित कर लें.

एक हेक्टेयर खेत में ड्रिल विधि से बुआई के लिए 25 से 30 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है तथा स्प्रे विधि से 35 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है.

यदि आप छिड़काव विधि से बीज लगाना चाहते हैं तो समतल भूमि पर बीज फैलाने के बाद कल्टीवेटर से दो से तीन हल्की तिरछी जुताई करें। परिणामस्वरूप, बीज मिट्टी में गहराई तक चले जाते हैं। रोपण लाने के लिए खेत में ड्रिल विधि से पंक्तियाँ तैयार की जाती हैं।

इसके लिए खेत में पंक्तियों को 25 से 30 सेमी की निरंतर दूरी पर रखें, प्रत्येक बीज के बीच 10 सेमी का अंतर रखें। Methi ki kheti के बीज अक्टूबर से नवंबर के बीच बोए जाने चाहिए। इसके अलावा भारत के कुछ राज्यों में इसे ख़रीफ़ की फ़सलों के साथ भी उगाया जाता है।

मेथी के पौधों की सिंचाई (Fenugreek Plants Irrigation)

मेथी के पौधों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. मेथी के बीज के अंकुरण के लिए खेत में नमी की आवश्यकता होती है। इसलिए खेत में नमी बनाए रखने के लिए फसलों की समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए.

मेथी के खेत की पहली सिंचाई बुआई के एक महीने बाद करें. इसके पौधों को 5 से 6 बार पानी देने की आवश्यकता होती है और प्रत्येक फसल की सिंचाई 20 दिन के अंदर कर देनी चाहिए.

मेथी के खेत में खरपतवार नियंत्रण (Fenugreek Field Weed Control)

Methi ki kheti में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक और रासायनिक दोनों तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। प्राकृतिक खरपतवार नियंत्रण के लिए खरपतवार-निराई विधि का प्रयोग किया जाता है।

वही रसायनों पर खरपतवार नियंत्रण के लिए फ्लूक्लोरेलिन की पर्याप्त मात्रा का छिड़काव करना चाहिए। रोपण के लगभग 25 दिन बाद, खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए बीजों को अपना पहला शॉट देना चाहिए। इसके बाद खेत में खरपतवार दिखाई देने पर समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए.

मेथी के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Fenugreek Plant Diseases and Their Prevention)

पाउडरी मिल्ड्यू

यह रोग मेथी के पौधों पर फफूंद के कारण होता है. पाउडरी मिल्ड्यू रोग को छाछ रोग के नाम से भी जाना जाता है। पाउडरी मिल्ड्यू से संक्रमित होने पर पौधे की पत्तियों पर सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं।

इस रोग के कारण पौधे प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाते हैं। परिणामस्वरूप पौधे का विकास रुक जाता है। इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर पर्याप्त मात्रा में घुलनशील सल्फर या कैराथेन पेंट का छिड़काव करना चाहिए.

चेपा कीट रोग

Methi ki kheti में यह रोग छोटा कीट जैसा होता है, जिसे माहू नाम से भी जाना जाता है। यह कीट दिखने में काला, हरा और पीला होता है। ये परजीवी रोग कालोनियाँ बनाकर पौधे पर हमला करते हैं और पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनकी वृद्धि को पूरी तरह से रोक देते हैं।

मोनोक्रोटोफॉस या डाइमेथोएट की मध्यम मात्रा का छिड़काव करने से पौधों को इस रोग से बचाया जा सकता है।

मेथी के पौधों की कटाई, पैदावार और लाभ (Fenugreek Plants Harvesting, Yield and Benefits)

Methi ki kheti तैयार होने में 130 से 140 दिन का समय लगता है. अगर इसके पौधों पर पत्तियां पीली पड़ने लगे तो इसकी कटाई करने की जरूरत होती है. फसल की कटाई के बाद इसके पौधों को धूप में अच्छी तरह सुखा लेना चाहिए.

सूखी हुई फसल से मशीन की सहायता से बीज निकालें। प्रति हेक्टेयर खेत से लगभग 12 क्विंटल उपज होती है। मेथी के बीज की कीमत थोक में 5,000 रुपये प्रति क्विंटल है, जिससे किसान मेथी की एक फसल से 50,000 रुपये से अधिक कमा सकते हैं।

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Methi ki kheti FaQs?

मेथी की पैदावार कितनी होती है?

70-80 क्विंटल

मेथी के बीज को उगने में कितने दिन लगते हैं?

3 – 5 दिन

मेथी वार्षिक है या बारहमासी?

वार्षिक

भारत में मेथी कहां उगाई जाती है?

राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब

मेथी में कौन सा खाद डालना चाहिए?

गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से डालें

मेथी कितने प्रकार के होते हैं?

कसूरी मेथी आम मेथी की एक अलग वैरायटी है

मेथी महिलाओं के लिए क्या करती है?

मेथी के लाभों में रक्त शर्करा का प्रबंधन, मासिक धर्म की ऐंठन को कम करना और स्तन के दूध की आपूर्ति को बढ़ावा देना

मेथी की फसल कितने दिन में तैयार होती है?

120 से 160 दिन

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