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Long ki kheti | लौंग की खेती कैसे होती है | लौंग का क्या रेट है | Clove Farming in Hindi | Clove Cultivation

Long ki kheti :- लौंग एक सदाबहार पौधा है, जिसके पूर्ण विकसित पौधे कई वर्षों तक फल देते हैं और इसके पौधे 150 वर्ष तक जीवित रहते हैं। इस लेख में आपको लौंग की पैदावार (Clove Farming in Hindi) और Long ki kheti के बारे में जानकारी दी जा रही है.

Long ki kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी जलवायु और तापमान (Clove Cultivation Suitable Soil, Climate and Temperature)

Long ki kheti उगाने के लिए रेतीली मिट्टी और ठंडी नम कटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती जल जमाव वाली मिट्टी में नहीं करनी चाहिए. बारिश होने पर इसके पौधों को नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है.

लौंग के पौधों को सामान्य वर्षा की आवश्यकता होती है और सर्दियों में अत्यधिक धूप और ठंड इसके पौधों को नुकसान पहुँचाती है। स्वस्थ पौधों के विकास के लिए 30 से 35 डिग्री तापमान वाले छायादार क्षेत्र की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए भूमि का P.H. मान सामान्य होना चाहिए |

Long ki kheti के पौधों की रोपाई का सही समय और तरीका (Clove Plants Correct time and method of Transplanting )

Long ki kheti

Long ki kheti के पौधों की रोपाई से पहले उसके बीजो से पौधों को तैयार किया जाता है | बीजो से पौधों को तैयार करने से पहले बीजो को उपचारित कर लेना चाहिए | चूँकि लौंग के बीजो से पौधों को तैयार होने में 2 वर्ष का समय लग जाता है

इसलिए आप चाहें तो इसके पौधे किसी भी आधिकारिक रूप से पंजीकृत नर्सरी से खरीद सकते हैं, इससे आपका समय भी बचेगा और बीज भी जल्द ही आपके पास होंगे। बरसात के मौसम में इसके तैयार पौधों को लगाने के लिए यह काफी उपयुक्त माना जाता है.

इस दौरान सिंचाई की कम आवश्यकता होती है और मौसम ठंडा रहता है, जो पौधों के विकास के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लौंग के पौधों को खेत में तैयार की गई गड्ढो में उगाया जाता है, इससे पहले इस गड्ढो में एक छोटा सा गड्ढा बनाया जाता है।

फिर इन छोटी गड्ढो में पौधे लगाए जाते हैं और सावधानीपूर्वक मिट्टी से ढक दिया जाता है। लौंग की खेती मिश्रित खेती की तरह की जाती है. इसलिए इसके पौधों को अखरोट या नारियल के बगीचों में भी उगाया जा सकता है. इसके फलस्वरूप पौधे को छायादार स्थान मिलता है और पौधा अच्छे से विकास करता है।

Long ki kheti के पौधों की सिंचाई (Clove Plants Irrigation)

long ki kheti

उनके पौधों को पानी की बहुत जरूरत होती है. प्रथम सिंचाई को पौध रोपाई के तुरंत बाद कर देना चाहिए |  यदि पौधा वर्षा ऋतु में लगाया गया है तो आवश्यकता पड़ने पर ही सिंचाई करनी चाहिए।

इसके अलावा गर्मियों के पौधों को हफ्ते में एक बार पानी देना चाहिए. सर्दियों में इसके पौधों को 15 से 20 दिन के अंतराल पर पानी देना चाहिए.

Long ki kheti के पौधों में उर्वरक की सही मात्रा (Fertilizer Right Amount)

लौंग की सफल पैदावार के लिए इसके पौधों को सही मात्रा में उर्वरक खिलाना जरूरी है. गड्ढों की खेत तैयारी के दौरान जीएम एन.पी.के. यह गड्ढा रोपण से एक माह पहले तैयार कर लेना चाहिए. जैसे-जैसे पौधे बढ़ते हैं, उसके पौधों में फसलों की संख्या बढ़ानी चाहिए और पौधों को खाद देने के बाद सिंचाई करनी चाहिए।

लौंग के पौधों में खरपतवार नियंत्रण (Clove Plants Weed Control)

लौंग के पौधों को भी खरपतवार नियंत्रण की आवश्यकता होती है. इस कारण रोपण के लगभग 20 दिन बाद यदि खेत में खरपतवार पाए जाएं तो उन्हें प्राकृतिक रूप से निराई-गुड़ाई करके हटा देना चाहिए। इसके बाद समय-समय पर खेत में खरपतवार दिखे तो उसकी निराई-गुड़ाई करते रहें।

लौंग के पौधे में लगने वाले रोग एवं रोकथाम (Clove Plant Diseases and Prevention)

इसके पौधों पर बहुत कम रोग लगते हैं, लेकिन कुछ कीट रोग ऐसे होते हैं जो पौधों की पत्तियों को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं। इससे होने वाली बीमारियाँ निम्नलिखित हैं, मच्छर, सफ़ेद मक्खी।

इसके अलावा खेत में नमी होने पर भी पौधों में जड़ सड़न रोग देखा जा सकता है, इसकी रोकथाम के लिए खेत में नमी की स्थिति उत्पन्न नहीं होने देनी चाहिए.

लौंग के फलो की तुड़ाई पैदावार और लाभ (Clove Harvesting Yield and Benefits)

लौंग के पौधे रोपण के लगभग 4 से 5 साल बाद पैदावार देना शुरू कर देते हैं। लौंग के बीज पौधों में गुच्छों में उगते हैं और दिखने में गुलाबी रंग के होते हैं। इसके फूलों को खिलने से पहले ही तोड़ लेना चाहिए।

ताज़ी कलियाँ लालिमा लिए हुए हरी होती है | इसके फल 2 सेमी लंबे होते हैं और सूखने के बाद लौंग के समान होते हैं।

लौंग की शुरुआती पैदावार बहुत कम होती है, लेकिन पौधे परिपक्व होने के बाद एक पौधे से लगभग 2 से 3 किलोग्राम लौंग प्राप्त होती है।

लौंग की बाजार कीमत 800 रुपये से 1000 रुपये तक होती है और एक एकड़ जमीन में 100 से अधिक पौधे उगाए जा सकते हैं। इस हिसाब से किसान लौंग की खेती से आसानी से 2.5 से 3 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं.

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भारत में लौंग की खेती कहाँ होती है?

महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में

लौंग का पेड़ कितने दिन में फल देता है?

तकरीबन चार-पांच सालों में ये पौधा तैयार होकर फल देना शुरू कर देता है

लौंग की खेती कैसे की जाती है?

लौंग के पौधों की रोपाई से पहले उसके बीजो से पौधों को तैयार किया जाता है | बीजो से पौधों को तैयार करने से पहले बीजो को उपचारित कर लेना चाहिए | चूँकि लौंग के बीजो से पौधों को तैयार होने में 2 वर्ष का समय लग जाता है

लौंग को कैसे सुखाया जाता है?

धूप में सुखाना सामान्य प्रक्रिया है लेकिन अन्य प्रकार के ड्रायर का उपयोग किया जा सकता है। 

लौंग को बढ़ने में कितना समय लगता है?

15 से 20 साल

Long ki kheti | लौंग की खेती कैसे होती है | लौंग का क्या रेट है | Clove Farming in Hindi किसान भाइयो अगर आप jagokisan.com द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद हो सके