अगर आप भी Litchi ki kheti करना चाहते हैं तो इस लेख में आपको लीची की खेती कैसे करें (Litchi खेती इन हिंदी) और लीची की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
Litchi ki kheti कैसे करे (Litchi Farming in Hindi)
Litchi ki kheti के लिए रेतीली मिट्टी की आवश्यकता होती है। लीची की खेती के लिए थोड़ी अम्लीय और लेटराइट मिट्टी आदर्श मानी जाती है। पी.एच. इसकी खेती में भूमि. मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए तथा जल निकासी भी अच्छी होनी चाहिए।
इसे रोपने के लिए समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके पौधों को वर्षा ऋतु के दौरान केवल 1200 मिमी वर्षा की आवश्यकता होती है। लीची के पौधे सामान्य तापमान में पनपते हैं।
वसंत ऋतु को पौधों की वृद्धि के लिए अधिक अनुकूल माना जाता है, गर्म मौसम में पौधों पर अधिक फूल आते हैं। इसके अलावा फलों के पकने के दौरान उन्हें पर्याप्त तापमान की आवश्यकता होती है. लीची के फलों में कमरे के तापमान पर उच्च गुणवत्ता वाला गूदा उत्पन्न होता है।
Litchi ki kheti की उन्नत किस्में (Litchi Improved Varieties)
स्वर्ण रूपा
यह किस्म भारत के कई हिस्सों में उगाई जाती है. इसके पौधों पर लगने वाले फल मध्यम आकार के होते हैं और इनमें बहुत सारे कांटे पाए जाते हैं। यह फल गहरे गुलाबी रंग का होता है। इसके पूर्ण विकसित पौधे प्रति वर्ष 100 किलोग्राम तक उपज देते हैं।
अर्ली बेदाना लीची
यह एक प्रारंभिक संकर पौधा है, जो उचित रखरखाव से 20 से 25 वर्षों तक फल देता है।
सीडलेस लेट
लीची की इन किस्मों में उगने वाले पौधे आकार में लम्बे होते हैं। जिनके पूर्ण विकसित पौधों से प्रति वर्ष 80 से 100 किलोग्राम तक उपज प्राप्त होती है। इसके फल जून से जुलाई माह में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके पौधों पर लगने वाले फलों में मिठास पाई जाती है।
देहरादून
यह एक स्थानीय पौधा है, जो देहरादून में व्यापक रूप से उगाया जाता है। परिणामी फल बहुत रसदार होता है। उसके पौधे उचित आकार के होते हैं,
इसका पौधा सामान्य आकार का होता है, जो जून के महीने में पककर तैयार हो जाता है |
चाइना लीची
लीची की इन किस्मों में फल बहुत गूदेदार होता है. ये किस्में देर से फल देती हैं. इसके एक पौधे से एक वर्ष में 80 किलोग्राम तक फल प्राप्त होता है। इसमें परिणामी फल गहरे लाल रंग का होता है।
कलकतिया लीची
यह क़िस्म अधिक देरी से पककर तैयार होती है | जिसके पौधों पर लगने वाले फल जुलाई के महीने में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है | इसका पूर्ण विकसित पौधा 20 वर्षो तक पैदावार दे देता है| इसके फलों का स्वाद मीठा होता है, जिसमे निकलने वाला बीज अधिक बड़ा होता है |
शाही लीची
लीची की इन किस्मों को जल्दी बुआई के लिए उगाया जाता है. उनके पौधों पर लगे फल मई के महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पूर्ण विकसित पौधे 15 से 20 वर्षों तक फल देते हैं। प्रत्येक पौधे से 100 किलोग्राम तक लीची फल प्राप्त होता है।
Litchi ki kheti की जुताई और उवर्रक (Litchi Field Tillage and Fertilizer)
Litchi ki kheti के पौधे पूर्ण रूप से विकसित होने पर कई वर्षों तक फल देते हैं। इसलिए लीची की कटाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लें. इसके लिए सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हलो से खेत की गहरी जुताई कर दी जाती है |
जुताई के पश्चात् खेत को कुछ दिनों के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है | इसके बाद खेत की सिंचाई करें और जब खेत सूख जाए तो खेत की दो से तीन बार तिरछी जुताई करें. परिणामस्वरूप, खेत में मिट्टी की परत ढह जाती है और मिट्टी ढीली हो जाती है।
भुरभुरी मिट्टी में पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है | समतल भूमि में जल भराव नहीं देखने को मिलता है|
इसके बाद खेत में पौध रोपाई के लिए गड्डो को तैयार कर लिया जाता है | इन गड्डो के मध्य 8 से 10 मीटर की दूरी रखते हुए एक फ़ीट गहरा और आधा फ़ीट चौड़ा गड्डा तैयार कर लिया जाता है |
इसके बाद 100 से 150 जीएम एन.पी.के. 25 किलो गोबर का खाद को अच्छी तरह से मिट्टी में मिलाकर गड्ढों में भर दिया जाता है। इसके बाद पौधों को दो साल बाद 2 किलोग्राम करंज खिलाना चाहिए और पौधों की वृद्धि के साथ-साथ उर्वरक दर भी बढ़ा देनी चाहिए.
Litchi ki kheti के पौध रोपाई का समय और तरीका (Litchi Plants Planting Time and Method)
Litchi ki kheti के पौधों की रोपाई पौध के माध्यम से की जाती है | इसके लिए पौधों को नर्सरी में तैयार कर लिया जाता है | पौध तैयार करने के लिए आप ग्राफ्टिंग विधि या गूटी बांधना के माध्यम से तैयार कर सकते है | इसके अलावा आप चाहें तो किसी रजिस्टर्ड नर्सरी से भी पौधे खरीद सकते हैं. पौध खरीदते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पौध दो वर्ष पुरानी हो।
फलस्वरूप फल जल्दी मिलने लगते हैं। इसके बाद इन पौधों को खेत में तैयार किये गये गड्ढों में लगा दिया जाता है. नए पौधे के लिए तैयार किए गए गड्ढे में एक छोटा सा गड्डा करके पौधे रोपे जाते हैं।
इसके बाद पौधों की सिंचाई की जाती है, जिससे मिट्टी अच्छी तरह रहकर सख्त हो जाती है। लीची के पौधों को उगाने के लिए जून और जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है और इस समय बारिश का मौसम होता है। पौधों की वृद्धि के लिए बहुत अच्छा है.
Litchi ki kheti के पौधों की सिंचाई (Litchi Plant Irrigation)
Litchi ki kheti के पौधों को शुरुआत में पानी की भरपूर आवश्यकता होती है. इसीलिए इसकी पहली सिंचाई रोपण के तुरंत बाद की जाती है। इसके बाद पौधों को सप्ताह में दो बार पानी देना चाहिए. उसके पौधों को केवल उतने ही पानी की आवश्यकता होती है, जितने में खेत में नमी बनी रहे यदि खेत में पानी की कमी हो तो फलों की वृद्धि एवं गुणवत्ता में भी कमी देखी जाती है।
Litchi ki kheti के पौधों पर खरपतवार नियंत्रण (Litchi Plants Weed Control)
Litchi ki kheti की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक तरीके से निराई – गुड़ाई कर की जाती है |इस कारण पौधे के विकास में कोई दिक्कत नहीं आती है. इसके बाद पौधा पूर्ण रूप से परिपक्व हो जाता है, इस दौरान पौधे की जड़ों के पास से हल्की मिट्टी को फावड़े की मदद से हटा दिया जाता है और गोबर से भर दिया जाता है।
Litchi ki kheti के पौधों में लगने वाले रोग एवं उपचार (Litchi Plants Diseases and Treatments)
क्रं. सं. | रोग | रोग का प्रकार | उपचार |
1. | टहनी छेदक | कीट | पौधों पर सायपरमेथ्रिन या पाडान का छिड़काव करे| |
2. | लीची बग | कीट | पौधों पर फॉस्फोमिडॉन या मेटासिस्टाक्स का छिड़काव करे| |
3. | फल बेधक | कीट | फल पकने से एक माह पूर्व सायपरमेथ्रिन का पौधों पर छिड़काव करे| |
4. | फलों का झड़ना | तेज़ गर्म हवाओं के कारण | प्लानोफिक्स की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर करे| |
5. | फलों का फटना | भूमि में नमी और तेज़ गर्म हवाओं के कारण | बोरिक अम्ल या बोरेक्स की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर करे| |
Litchi ki kheti के फलों की तुड़ाई (Litchi Fruit Harvesting)
लीची के फल मई के अंत में पककर तैयार हो जाते हैं। जब इसके पौधों पर फलों का रंग गुलाबी होने लगता है तो फलों और गुच्छों को पेड़ से तोड़ लिया जाता है. इसके बाद इन्हें बाजार में बेचने के लिए ले जाया जाता है.
लीची की पैदावार और लाभ (Litchi Yields and Benefits)
एक अच्छी तरह से विकसित लीची का पौधा एक वर्ष में 100 किलोग्राम फल देता है। एक हेक्टेयर खेत में 150 से अधिक पौधे उगाए जा सकते हैं। लीची की बाजार कीमत 50 से 70 रुपये प्रति किलो के बीच है.
इस हिसाब से किसान भाई एक साल में लीची उत्पादन से 7 से 10 लाख रुपये तक की कमाई कर अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं.
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Litchi ki kheti FaQs?
लीची का पेड़ कितने दिन में फल देता है?
70 से 100 दिन
लीची का पेड़ कब लगाया जाता है?
जनवरी-फरवरी माह में मौसम साफ रहने पर जब तापमान में वृद्धि एवं शुष्क जलवायु में इसकी खेती की जाती है।
लीची का बीज कितने दिन में उगता है?
20 से 25 दिनों के बाद
लीची सबसे अच्छी कहां उगती है?
10 ° से 25 ° अक्षांश के बीच निचली ऊंचाई पर उगाई जाती है, विशेषकर एशिया में
लीची कहां उगाई जाती है?
बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड
लीची के पेड़ के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी होती है?
पीएच 5.0-5.5 की अम्लीय मिट्टी
भारत में लीची का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?
बिहार
लीची के पेड़ की देखभाल कैसे करें?
लीची के पौधे लगाने के बाद जरूरत के हिसाब से नियमित सिंचाई करें. सर्दियों में 5-6 दिनों तक गर्मी में 3-4 दिनों के अंतराल पर थाला विधि से सिंचाई करनी चाहिए.
लीची में कौन सा विटामिन पाया जाता है?
विटामिन सी, विटामिन ई
लीची को बढ़ने में कितना समय लगता है?
70-100 दिन
Litchi ki kheti | लीची की खेती कैसे करे | Litchi Farming in Hindi | लीची की उन्नत किस्में किसान भाइयो अगर आप JagoKisan.com द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद हो सके|