इस पोस्ट में आपको काली Kali Haldi ki kheti (ब्लैक हल्दी फार्मिंग इन हिंदी) के बारे में बताया जा रहा है, इसके अलावा काली हल्दी की कीमत के बारे में भी जानकारी दी गई है।
Kali Haldi ki kheti के लिए उपयुक्त मिटटी जलवायु और तापमान (Black Turmeric Cultivation Soil, Climate and Temperature)
Kali Haldi ki kheti को किसी भी मध्यम उपजाऊ मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन इसे जल जमाव वाली मिट्टी में नहीं उगाना चाहिए। इसकी खेती में मिट्टी का पीएच मान 5-7 के बीच होना चाहिए. अच्छी काली हल्दी प्राप्त करने के लिए गर्म, आर्द्र जलवायु आवश्यक है।
अधिक गर्म मौसम में इसकी वनस्पति जल जाती है, फलस्वरूप पौधे का विकास बिल्कुल रुक जाता है, लेकिन सर्दी और बरसात का मौसम इसके पौधों के विकास के लिए अनुकूल माना जाता है।
इष्टतम विकास के लिए, काली हल्दी के पौधों को मध्यम तापमान की आवश्यकता होती है, जिसमें जड़ों को अंकुरित होने के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है, और पौधे के परिपक्व होने पर न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस 38 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। यह 38 डिग्री तापमान का सामना कर सकता है।
Kali Haldi ki kheti की फसल के लिए खेत की तैयारी (Black Turmeric Field Preparation)
Kali Haldi ki kheti की फसल के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार करना चाहिए। इस प्रयोजन के लिए, सबसे पहले, खेत को गहरी जुताई करनी होगी, और इसलिए पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाएंगे। इसके बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही छोड़ देना चाहिए,
ताकि खेत की मिट्टी को पर्याप्त धूप मिल सके. इसके बाद 15 से 17 गाड़ी पुराना सड़ा हुआ गोबर खेत में जुताई करके अच्छी तरह मिट्टी में मिला देना चाहिए. चूंकि काली हल्दी औषधीय प्रयोजनों के लिए उगाई जाती है।
यूं तो इसकी फसलों के लिए जैविक खाद अधिक फायदेमंद मानी जाती है, लेकिन जो किसान रासायनिक खाद का प्रयोग करना पसंद करते हैं। आखिरी जुताई के समय उन्हें 50 किलोग्राम एनपीके प्रति हेक्टेयर दिया गया। इस मात्रा का खेत में छिड़काव करना चाहिए.
एक बार खेत की मिट्टी में उर्वरक डालने के बाद अच्छी तरह मिलाने के लिए खेत की दो से तीन बार तिरछी जुताई करनी चाहिए। इसके बाद खेत की सिंचाई और जुताई करनी चाहिए. कुछ समय तक जुताई करने के बाद खेत की ऊपरी मिट्टी सूख जाने पर जुताई के लिए रोटावेटर चला देना चाहिए.
इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है | इसके बाद खेत में पाटा लगा कर खेत को समतल कर दे, जिससे खेत में जलभराव की समस्या न हो |
Kali Haldi ki kheti के पौधों की रोपाई का सही समय और तरीका (Black Turmeric Plants Transplanting Right, Time and Method )
काली हल्दी के पौधे का विकल्प दो तरीकों से तैयार किया जाता है. उनके पौधे पहले अंकुर में और दूसरे पौधे में उगाये जाते हैं। पौध के रूप में उगाए जाने पर एक हेक्टेयर खेत में लगभग 20 क्विंटल पौध लगाना आवश्यक होता है।
रोपण से पहले, पौध को बाविस्टिन की उचित खुराक से उपचारित किया जाना चाहिए। इसके बाद इन्हें खेत में लगाना चाहिए. पौध रोपण करते समय यह सुनिश्चित कर लें कि पौध पूर्णतः स्वस्थ हो।
पौधे के रूप में रोपाई के लिए खेत में मेड़ो को तैयार कर लिया जाता है | इसके लिए प्रत्येक नाली के बीच एक से डेढ़ फीट और प्रत्येक पौधे के बीच 25 से 30 इंच का अंतर होना चाहिए. इसकी पौध की खेती के लिए वर्षा ऋतु को सबसे उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि इस दौरान इसके पौधों को विकास के लिए पर्याप्त जगह मिल जाती है।
काली हल्दी के पौधों की सिंचाई (Black Turmeric Plants Irrigation)
काली हल्दी के पौधों को पानी की बहुत अधिक आवश्यकता होती है. इसके पौधे नम मिट्टी में उगाए जाते हैं. इस कारण पौध रोपण के तुरंत बाद पहली फसल बोनी चाहिए।
गर्मियों में इसके पौधों को 10 से 12 घंटे के अंतराल पर पानी देना जरूरी होता है जबकि सर्दियों में इसके पौधों को 15 से 20 घंटे के अंतराल पर पानी देना चाहिए. बरसात के मौसम में पौधों को केवल आवश्यकता पड़ने पर ही पानी देना चाहिए।
Kali Haldi ki kheti के पौधों में खरपतवार नियंत्रण (Black Turmeric Plants Weed Control)
काली हल्दी की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक विधियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस कारण निराई-गुड़ाई द्वारा खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक तरीकों का ही प्रयोग करना चाहिए।
इसके पौधों से पहली खरपतवार की कटाई रोपाई के 25 से 30 दिन बाद करनी चाहिए. इसके बाद 20 दिन के अंतराल पर दो से तीन बार और खरपतवार की कटाई करनी चाहिए। जब भी खेत में खरपतवार दिखाई दे तो खरपतवार को काट देना चाहिए।
Kali Haldi ki kheti के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Black Turmeric Plants Diseases and Their Prevention)
काली हल्दी को किसी भी मध्यम उपजाऊ मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन इसे जल जमाव वाली मिट्टी में नहीं उगाना चाहिए। इसकी खेती में मिट्टी का पीएच मान 5-7 के बीच होना चाहिए.
अच्छी काली हल्दी प्राप्त करने के लिए गर्म, आर्द्र जलवायु आवश्यक है। अधिक गर्म मौसम में इसकी वनस्पति जल जाती है,
फलस्वरूप पौधे का विकास बिल्कुल रुक जाता है, लेकिन सर्दी और बरसात का मौसम इसके पौधों के विकास के लिए अनुकूल माना जाता है।
काली हल्दी की कीमत (Black Turmeric Price)
Kali Haldi ki kheti के पौधे पौध रोपण के लगभग 250 दिन बाद फसल देने के लिए तैयार हो जाते हैं। इसकी जड़ों की खुदाई गर्मियों के अंत में शुरू होनी चाहिए। इसके पौधों को जनवरी से मध्य मार्च तक पूरी तरह से उखाड़ देना चाहिए. खुदाई के बाद कंद को धोना पड़ता है,
कंद खुदाई के पश्चात उनकी सफाई कर लेनी चाहिए, जिसके लिए उनके बाहरी छिलको को निकाल कर उसकी गाठो को धूप में सूखा लिया जाता है | जिसके बाद उन्हें बाजार में बेचने के लिए भेजा जा सकता है |
काली हल्दी के प्रत्येक पौधे से तक़रीबन दो से ढाई KG ताज़ी गाठो को प्राप्त किया जा सकता है | इस हिसाब से एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 1100 पौधों को लगाया जा सकता है |
जिससे तक़रीबन 48 टन की पैदावार प्राप्त की जा सकती है | काली हल्दी का बाजारी भाव लगभग 400 से 600 के मध्य होता है,जिससे किसान भाई काली हल्दी की एक फसल से अच्छी कमाई कर सकते है |
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Kali Haldi ki kheti FaQs?
Kali Haldi ki kheti कब की जाती है?
जून का महीना
काली हल्दी कितने रुपए किलो बिकती है?
500 से 4,000 रुपये या इससे ज्यादा भी कीमत पहुंच जाती है।
1 एकड़ में कितनी हल्दी का उत्पादन होता है?
60 -80 क्विंटल कच्ची हल्दी प्राप्त की जा सकती है
काली हल्दी कहां उगाई जाती है?
पूर्वोत्तर और मध्य भारत
भारत में कौन सी हल्दी सबसे अच्छी है?
लकडोंग हल्दी
1 एकड़ में हल्दी का उत्पादन कितना होता है?
60 -80 क्विंटल
Kali Haldi ki kheti | काली हल्दी की खेती कैसे होती है | Black Turmeric Farming in Hindi | काली हल्दी की कीमत किसान भाइयो अगर आप jagokisan.com द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद हो सके