Jyada Dudh Dene Wali Bhains ki Nasl | ज्यादा दूध देने वाली 12 भैंस (Bufallo) की नस्ल | Jyada Dudh Dene Wali Bhains ki Nasl Konsi Hai

भारत दुनिया में सबसे ज्यादा भैंसों(Bufallo)की आबादी वाला देश है और देश की बड़ी संख्या में लोग भैंस पालन से जुड़े हुए हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि देश में भैंसों की कितनी प्रजातियां पाई जाती हैं कौन Jyada Dudh Dene Wali Bhains ki Nasl है|

केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के अनुसार, मुर्रा, नीलिरवी, जाफराबादी, नागपुरी, पंढरपुरी, बन्नी, भदावरी, चिल्का, मेहसाणा, सुरती, टोडा, दलदल, तराई, जेरांगी, कालाहांडी, पारलखेमुंडी, मंडल/गंजम, मराठवाड़ी, देशिला, हैं।

असमिया/मैंगूज़, संभलपुरी, कुट्टंड, धारावी, दक्षिण कन्नारा, सिकामिस और गोदावरी जैसे पक्षियों की 26 प्रजातियाँ हैं। इनमें से 12 नस्लों की गायें पंजीकृत हैं और ये खूब दूध देती हैं। इनमें उर्रा, नीलिरवी, जाफराबादी, नागपुरी, पंढरपुरी, बन्नी, भदावरी, चिल्का, मेहसाणा, सुरती, टोडा जैसी गायें शामिल हैं।

देश में की गयी 20वी पशु जनगणना के मुताबिक भैंसो की 109.9 मिलियन आबादी है |जबकि राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में भैंसो की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और बिहार हैं। भारत में भैंसो की 12 नस्लें पाई जाती हैं, हर भैंस की अपनी विशिष्टता होती है,

इस लेख में आपको भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्ल, कीमत व कितना दूध देती है [Photo] की जानकारी दी जा रही है |

मुर्रा भैंस(Bufallo)

Jyada Dudh Dene Wali Bhains ki Nasl ज्यादा दूध देने वाली 12 भैंस (Bufallo) की नस्ल

जब भी नस्लों की बात आती है तो मुर्रा Bhains का नाम सबसे पहले आता है। यह सर्वाधिक दूध उत्पादन वाली विधि है। हालाँकि मुर्रा भैंस हरियाणा के रोहतक, हिसार और जिंद जिलों और पंजाब के नाभा और पटियाला जिलों में पाए जाते हैं, लेकिन कई राज्यों में पशुपालकों ने अब मुर्रा Bhains को पालना शुरू कर दिया है।

इसका रंगगहरा काला होता है, और पूँछ व खुर के निचले हिस्से पर सफ़ेद धब्बे पड़े होते है | इसका एक छोटा, गोलाकार सींग होता है। इसकी औसत क्षमता 1750 से 1850 लीटर प्रति वाट है।

मुर्रा भैंस में प्रतिदिन 20 लीटर दूध देने की क्षमता होती है, अगर इस नस्ल की भैसो को अच्छी खिलाई के साथ-साथ अच्छी देख-रेख की जाए तो 30-35 लीटर रोजाना दूध का उत्पादन लिया जा सकता है | इस भैंस की कीमत लाख रूपए से आरम्भ होती है |

सुर्ती (Bufallo)(सुरती)

ये Bhains गुजरात के खेड़ा और बड़ौदा में पाए जाते हैं। इसका रंग काले, भूरे व भूरे से सिल्वर सलेटी रंग होता है। इसकी लंबा सिर वाला, नुकीला धड़  और दराती जैसी सींग होती है इसकी औसत क्षमता 900-1300 लीटर प्रति व्यात दूध का उत्पादन है, इसके दूध में वसा की मात्रा 8-12 प्रतिशत है। 

जाफराबादी भैंस(Bufallo)

यह देश की सबसे भारी नस्लों में से एक है, जो मूल रूप से गुजरात के गिर जंगलों में पाई जाती है, लेकिन अब कच्छ और जामनगर जिलों में पाली जाती है।

इस भैंस का सर और गर्दन आकार में काफी बड़ी होती है | इसकी सींग पीछे की तरफ मुड़ी हुई काफी बड़ी और माथा भी काफी चौड़ा होता है | यह गहरे काले रंग की होती है, जो औसतन 1000 से 1200 लीटर व्यात दूध का उत्पादन दे देती है |

मेहसाना भैंस(Bufallo)

ये Bhains गुजरात के मेहसाणा जिले और गुजरात की सीमा से लगे महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। इसका रंग अधिकतर काला होता है, कुछ पशुओ गहरे-भूरे रंग के भी होते हैं। यह नस्ल कुछ-कुछ मुर्रा मवेशियों से मिलती-जुलती है, लेकिन मुर्रा Bhains की तुलना में इसका शरीर काफी बड़ा होता है, लेकिन वजन कम होता है।

 नर मेहसाणा के शरीर का औसतन वजन 500 KG और मादा का औसतन वजन 480 KG होता है | इनकी सींग दराती आकार की होती है, तथा मुर्रा नस्ल की तुलना में कम घूमी हुई होती है | इस नस्ल की भैंस का प्रति व्यात दूध उत्पादन 1200 से 1500 लीटर होता है |

पंढरपुरी भैंस(Bufallo)

यह सड़क महाराष्ट्र के सोलापुर, कोल्हापुर, रत्नागिरी जैसे जिलों में पाई जाती है, इसका नाम सोलापुर के पंढरपुर गांव के नाम पर रखा गया है। इसके सींग लगभग 45-50 सेमी तक बहुत लंबे होते हैं।

इसका रंग गहरा और काले रंग का होता है। कुछ पंढरपुरी बैलों के सिर और निशान भी सफेद होते हैं। उनकी प्रजनन क्षमता बहुत अच्छी है, हर साल बढ़ रही है। औसत क्षमता 1700-1800 किलोग्राम प्रति वाट है।

चिल्का भैंस(Bufallo)

इस नस्ल की Bhains, गंजम, पुरी और खुर्दा जिलों में पाया जाता है, जिसका नाम उड़ीसा की चिल्का झील के नाम पर रखा गया है।

इस प्रजाति की भैंस की सींग तक़रीबन 45-50 CM लंबी होती है, भैंस का रंग गहरा काला होता है | कुछ पंढरपुरी भैंसों के सिर पर सफ़ेद निशान भी देखने को मिल जाते है | पंढरपुरी भैंस में प्रति व्यात 1700-1800 लीटर दूध देने की क्षमता होती है | इस भैंस का वजन लगभग 450 से 470 KG होता है |

तोड़ा भैंस(Bufallo)

तोड़ा Bhains का नाम तोड़ा आदिवासियों के नाम को समर्पित है | तमिलनाडु के नीलगिरी पहाड़ी इलाको में यह नस्ल पायी जाती है | इसके शरीर पर पाया जाने वाला बालकोट काफी मोटा होता है | सकी औसतन उत्पादन क्षमता 500-600 लीटर प्रति व्यात होती है, तथा दूध में 8 प्रतिशत वसा की मात्रा होती है |

भदावरी भैंस(Bufallo)

यह प्रजाति उत्तर प्रदेश के आगरा, इटावा और मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में पाई जाती है। इनके सिर का आकार छोटा और पैर छोटे होते हैं। इस प्रजाति के पैर काले रंग के होते हैं और गर्दन के आधार पर दो सफेद निशान दिखाई देते हैं। इनकी औसत उत्पादन क्षमता 1250-1350 किलोग्राम प्रति वाट है।

कालाखंडी भैंस(Bufallo)

यह प्रजाति ओडिशा के गजपति, गंजम, रायगढ़ा और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में पाई जाती है। इस नस्ल की भैंसो गहरे भूरे रंग की होती हैं। माथे की आकृति सपाट है और माथे पर सुनहरे बाल हैं। उत्पादकों का औसत प्रति वाट 700-800 किलोग्राम है।

नागपुरी भैंस(Bufallo)

इन भैंसो को एलिचपुरी या बरारी के नाम से भी जाना जाता है। यह महाराष्ट्र के नागपुर, अकोला और अमरावती जिलों में पाया जाता है। उनके सींग तलवार जितने लम्बे हैं। वे अपने Bhains को भारी काम में लगाते हैं। उत्पादन 700-1200 किलोग्राम प्रति वाट है।

नीली रावी भैंस(Bufallo)

इस नस्ल के Bhains रावी नदी के किनारे से निकलते हैं और फिरोजपुर जिले की सतलज घाटी और पाकिस्तान के साहीवाल में पाए जाते हैं। इनका सिर छोटा होता है और दोनों आंखों के बीच एक छोटा सा गड्ढा होता है। वे अपने भैंसो को भारी काम में लगाते हैं। इनकी औसत उत्पादन क्षमता 1500-1800 किलोग्राम प्रति वाट है। 

बन्नी भैंस(Bufallo)

गुजरात के कच्छ क्षेत्र में पाए जाने वाले बन्नी भैंस को कुंडी के नाम से भी जाना जाता है। इस Bhains के पास कई विशेष खाद्य पदार्थ हैं। ये गायें अत्यधिक गर्मी और ठंड का सामना कर सकती हैं। तेज धूप में वे भोजन की तलाश में दूर तक चले जाते हैं।

इनका रंग गहरा काला, कभी-कभी हल्का भूरा भी होता है। उनके सींग अन्दर की ओर मुड़े रहते हैं। उत्पादन सीमा 1100-2800 किलोग्राम प्रति वाट है।

Jyada Dudh Dene Wali Bhains ki Nasl FAQs?

भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्ल

मुर्रा नस्ल भैंस की मुर्रा नस्ल सबसे अधिक दूध देने वाली नस्ल मानी जाती है। भारत में कई पशुपालक इन्हें पालकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

मुर्रा भैंस की कैसे करें पहचान ?

यह दुनिया की सबसे अच्छी डेयरी गाय है। भैंस के सींग जलेबी के आकार के होते हैं। यह बिल्ली काले रंग की है. गाय का गर्भकाल 310 दिन का होता है तथा दूध ग्रंथियां प्रकट होती हैं। इनके सिर छोटे होते हैं। सिर, पूंछ और पैरों पर सुनहरे बाल पाए जाते हैं।

भैंस में सबसे अच्छी नस्ल कौन सी है?

मुर्रा

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