हल्दी को मसाले की फसल के रूप में उगाया जाता है। इसके अलावा हल्दी का उपयोग कई औषधीय तैयारियों में भी किया जाता है। यह उत्पाद कंद में प्राप्त होता है। भारत के हिंदू समाज में लोग हल्दी का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों में भी करते हैं।
अगर आप भी हल्दी उगाना चाहते हैं तो इस लेख में आपको Haldi ki kheti कैसे उगाएं (Turmeric Cultivation in India) और Haldi ki kheti से होने वाली आय के बारे में बताया जा रहा है.
Haldi ki kheti में मिट्टी, जलवायु एवं तापमान (Turmeric Cultivation Soil, Climate and Temperature)
Haldi ki kheti के पौधे को उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है। अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी में हल्दी का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है। पी.एच. की भूमि जिसका उपयोग कृषि के लिए किया जाता है। मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
हल्दी के पौधों को गर्म, नम जलवायु की आवश्यकता होती है। लेकिन अत्यधिक गर्म और आर्द्र मौसम इसकी फसलों को नुकसान पहुंचाता है। इसके बीजों को अंकुरित होने के लिए शुरुआत में 20 डिग्री तापमान की जरूरत होती है और पौधों को बढ़ने के लिए सही तापमान की जरूरत होती है।
Haldi ki kheti की किस्में (Turmeric Farming Varieties)
आरएच 13/90
Haldi ki kheti की इस किस्म में पौधे की ऊंचाई लगभग 4 फीट होती है, जिसे बीज बोने से लेकर तैयार होने में 7 महीने का समय लगता है। परिणामी ऊतक में 7 प्रतिशत तक पीलापन देखा जाता है। इस किस्म की उपज 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
राजेन्द्र सोनिया
Haldi ki kheti की इन किस्मों को तैयार होने में 7 से 8 महीने का समय लगता है। इसमें जो पौधे निकलते हैं वे लगभग तीन फुट ऊंचे होते हैं और जड़ें 8 से 8.5 प्रतिशत लाल रंग की होती हैं। इन किस्मों की उपज 400 से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
सगुना
ऐसे पौधे 7 महीने के बाद फल देना शुरू कर देते हैं. इसके पौधे शाखाओं के समान लम्बे होते हैं। उसमें से निकलने वाली जड़ों का रंग 6 प्रतिशत तक पीला होता है। इसके पौधे की पैदावार एक हेक्टेयर खेत से लगभग 600 क्विंटल होती है।
आर.एच. 5
हल्दी की इन किस्मों में निकलने वाले पौधों का आकार लगभग तीन फीट लंबा होता है और इन्हें तैयार होने में 7 महीने का समय लगता है. इसके गूदे का रंग 7 प्रतिशत तक पीला होता है और प्रति एकड़ 500 क्विंटल तक पैदावार होती है।
सोरमा
ऐसे पौधे प्रतिस्थापन के 7 महीने बाद बीज देना शुरू कर देते हैं। उभरती हुई ग्रंथियों में 9 प्रतिशत तक लालिमा का पाया जाना। सौरमा की पौध किस्मों की उपज 350 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
Haldi ki kheti के खेत की तैयारी और उवर्रक (Turmeric Field Preparation and Fertilizer)
Haldi ki kheti की फसल करने से पहले खेत को अच्छी तरह से साफ कर उसे तैयार कर ले | इसके लिए सबसे पहले खेत में पलाउ लगाकर जुताई करवा दे |. जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए वैसे ही छोड़ दिया जाता है. इसके बाद खेत में 25 गाड़ी पुराना गोबर डालकर अच्छी तरह मिट्टी में मिला दें.
इसके बाद खेत में पानी लगा दें. सिंचाई के कुछ दिनों बाद यदि खेत सूखा हो तो खेत की दो से तीन बार जुताई कर दें, इससे खेत की मिट्टी की परत टूट जाएगी और मिट्टी ढीली हो जाएगी। भुरभुरी मिट्टी में पैर रखकर खेत को समतल किया जाता है। समतल खेतों में जल संचयन की समस्या नहीं देखी जाती है।
हल्दी के खेतों में उर्वरक के रूप में 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम पोटाश, 40 किलोग्राम फास्फोरस और 25 किलोग्राम जिंक प्रति हेक्टेयर खेत की अंतिम जुताई के समय डालना चाहिए.
इसके बाद जब बीज अंकुरित हो गए, उस दौरान एन.पी.के. द्वारा लगाई गई कपास. यदि शाकनाशी की खुराक को तीन बराबर भागों में बांटकर एक तरफ से खेत में छिड़काव करना चाहिए। बची हुई दूसरी और तीसरी परत को एक-एक महीने के अंतराल पर खेत में फैला दें.
Haldi ki kheti के बीजो की रोपाई का समय और तरीका (Turmeric Seeds Planting Method)
Haldi ki kheti के बीजो की रोपाई के लिए दो तरीको का इस्तेमाल किया जाता है | पहले तरीके में बीजो को खेत में तैयार मेड़ पर लगाना होता है |. इन पट्टियों पर 20 सेमी की दूरी पर बीज बोए जाते हैं। प्रति हेक्टेयर खेत में लगभग 7 से 8 क्विंटल बीज का उपयोग होता है।
बुआई की दूसरी विधि में बीजों को एक बड़े हल की सहायता से 15 से 20 इंच की दूरी पर समतल जमीन पर रखकर मिट्टी से ढक दिया जाता है। बीज बोने से पहले मैन्कोजेब और कार्बेन्डाजिम का घोल बनाकर 30 मिनट की ऊष्मायन अवधि के साथ उपचारित करें।
इसके बाद किसी छायादार स्थान पर स्थापित करके इन उगाए गए बीजों को अंकुरित होने दें और फिर नए सिरे से बीज लगाएं।
इसके बीज बोने के लिए मई का महीना सबसे अच्छा माना जाता है. लेकिन अगर आप चाहें, तो आप जून की शुरुआत तक भी बीज बो सकते हैं। ऐसे में यह बारिश का मौसम है और बीजों को अंकुरित होने के लिए सही तापमान मिलता है।
Haldi ki kheti के पौधों की सिंचाई (Turmeric Plants Irrigation)
Haldi ki kheti के बीज वर्षा ऋतु में बोये जाते हैं। इसलिए पहले से बुआई की जरूरत नहीं है. लेकिन यदि समय पर वर्षा न हो तो खेत में पानी अवश्य डालें। वर्षा ऋतु के बाद हल्दी के पौधों को 25 दिन के अंतराल पर पानी दिया जाता है. इसकी फसल में अधिकतम 4 से 5 फसलें बोई जाती हैं.
Haldi ki kheti की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Turmeric Crop Weed Control)
हल्दी के पौधों पर खरपतवार नियंत्रण के लिए खरपतवारों की निराई – गुड़ाई की जाती है। उसकी फसल से खरपतवार निकालना बहुत जरूरी है. क्योंकि खरपतवार पर पनपने वाले कीट फसल में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते हैं। इसके पहले खरपतवार की कटाई रोपण के 30 दिन बाद की जाती है, और बाद के खरपतवार की कटाई 30 से 40 दिन के भीतर की जानी चाहिए। हल्दी की फसल में अधिकतम 3 से 4 गुड़ाई करनी चाहिए।
हल्दी की पौध में लगने वाले रोग एवं उपचार (Turmeric Plants Diseases and Treatment)
क्रं. सं. | रोग | रोग के प्रकार | रोग का उपचार |
1. | थ्रिप्स | कीट | 15 दिन के अंतराल में कार्बाराइन या डाई मिथियोट का छिड़काव पौधों पर तीन बार करे | |
2. | लीफ ब्लाच | कीट | मैकोजेब का छिड़काव पौध पर करे | |
3. | प्रकंद विगलन | जल भराव | बीज रोपाई से पूर्व इंडोफिल एम – 45 और वेभिस्टीन के मिश्रण से बीजो को उपचारित कर ले, तथा रोग लगने पर इसी घोल का छिड़काव पौधों की जड़ो पर करे | |
4. | पत्ती धब्बा | कीट | पौधों पर ब्लाइटाक्स का छिड़काव करे | |
5. | तना छेदक | कीट | ट्राइजोफास की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर करे | |
हल्दी के फसल की खुदाई, सफाई (Turmeric Crop Digging, Cleaning)
हल्दी की फसल 7 महीने बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाती है. जब इसके पौधे की पत्तियां मुरझाई हुई दिखने लगती हैं तो उस समय कंदो की खुदाई कर ली जाती है . कंद निकालने से पहले खेत में सिंचाई कर लें.
इससे जड़ों को निकालना आसान हो जाएगा। जड़ें निकालने के बाद उन्हें पानी से अच्छी तरह धोकर साफ कर लें और छाया में अच्छी तरह सूखने दें। सूखने के बाद इन्हें बाजार में बिक्री के लिए ले जाया जाता है।
उबलते पानी में प्रति लीटर 10 ग्राम सोडियम बाइकार्बोनेट घोलें। इसके बाद इन कंदो को उसी में भिगो दें, फिर इन्हें पानी से निकालकर किसी छायादार जगह पर अच्छी तरह सूखने दें। इससे हल्दी में रंग आ जाता है.
Haldi ki kheti सेपैदावार और कमाई (Turmeric Production and Benefits)
किस्म के आधार पर एक हेक्टेयर हल्दी के खेत से 250 से 600 क्विंटल तक की फसल प्राप्त होती है, सूखने के बाद भी उपज 20 से 25 प्रतिशत ही रह जाती है। हल्दी का बाजार भाव 6 से 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल के बीच है और इसी वजह से किसान भाई प्रति हेक्टेयर खेत में हल्दी की एक फसल से 5 लाख रुपये तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं.
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Haldi ki kheti FaQs?
हल्दी की बुवाई कौन से महीने में की जाती है?
15 मई से लेकर 30 जून के बीच
हल्दी की खेती कितने दिन की होती है?
7-8 महीनों में
1 एकड़ में कितनी हल्दी का उत्पादन होता है?
250 से 600 क्विंटल
हल्दी उगाने में कितना समय लगता है?
9 से 10 महीने
भारत में हल्दी कहां उगाई जाती है?
आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मेघालय, महाराष्ट्र, असम
भारत में सबसे ज्यादा हल्दी कहाँ होती है?
आंध्र प्रदेश
सबसे अच्छी हल्दी कौन सी है?
कच्ची हल्दी
1 किलो हल्दी की कीमत क्या है?
85-100 रुपये
Haldi ki kheti | हल्दी की खेती कैसे करे | Turmeric Cultivation in India | हल्दी की खेती से कमाई किसान भाइयो अगर आप JagoKisan.com द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद हो सके|