आज भी किसान भाई पारंपरिक तरीके से गन्ना उगाते हैं, लेकिन अब बाजार में इसकी कई उन्नत किस्में मौजूद हैं, Ganne ki kheti से किसान भाई अच्छी पैदावार भी प्राप्त कर रहे हैं। अगर आप भी गन्ना उगाकर अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं तो इस लेख में आपको Ganne ki kheti की जानकारी दी जा रही है।
Ganne ki kheti कैसे करें (Sugarcane Farming in Hindi)
यहां आपको Ganne ki kheti के लिए सही मिट्टी, जलवायु और तापमान के बारे में जानकारी दी गई है, जिससे आप अच्छी फसल उगा सकते हैं:- गन्ना किसी भी उपजाऊ मिट्टी में उगाया जा सकता है। इसे उगाया जा सकता है, लेकिन गहरी दोमट मिट्टी में।
इसकी उच्च उपज प्राप्त होती है. Ganne ki kheti के लिए उपयुक्त जल निकास वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है. क्योंकि जल संचयन से फसल खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। पी.एच. जो सामान्य है. गन्ने की खेती के लिए बहुमूल्य भूमि उपयुक्त है।
गन्ने के पौधों को शुष्क, ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके पौधे एक से डेढ़ साल के अंदर फल देने लगते हैं. इस कारण इसे प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, इन परिस्थितियों में भी पौधा अच्छे से विकास करता है।
इसकी फसलों को मध्यम वर्षा की आवश्यकता होती है, जिसमें केवल 75 से 120 सेमी वर्षा पर्याप्त होती है। गन्ने को अंकुरित होने के लिए शुरू में 20 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है, और इसके पौधों को बढ़ने के लिए 21 से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।
गन्ने की नर्सरी कैसे तैयार करें (Sugarcane Nursery Preparation Hindi)
- गन्ने की नर्सरी तैयार करने के लिए सबसे पहले आपको Sugarcane Bud Cutter मशीन या फिर हाथ से गन्ने के सम्पूर्ण पेड़ में से आँख वाली पेड़िया को काटकर तैयार करे |
- अब इन्हें प्लास्टिक (Plastik Tray) मे या फिर खेत मे गन्ना पौध बेड़ विधि से मिट्टी में तैयार करे या फिर इसके अतरिक्त आप कॉकपिट (नारियल) को मिट्टी में मिलाकर तैयार करे|
- अब किसान भाई sugarcane plastik tray, बेड को अच्छी मिटटी में से आधा भाग भर दें|
- अब गन्ने के ऊपर वाले भाग यानि कि आँख वाले हिस्से को बाहर रखकर, बचे हुए भाग को मिट्टी में दबा दें|
- अब इसे ऐसे स्थान पर रखें जहाँ पर धूप न पहुँच सके, और यह भी ध्यान रखे की उसका तापमान बना रहे, इसके लिए किसान भाई पोलीथीन का भी प्रयोग करके उसे ढक सकते है|
- इन विधियों से गन्ने के पौध 10 से 20 में उगकर दिखाई देने लगेंगे, और किसान भाई समय से रोपाई कर सकते है |
Ganne ki kheti की उन्नत क़िस्मे (Sugarcane Improved Varieties)
क्रं.सं. | उन्नत क़िस्म | रस में शक्कर की मात्रा | उत्पादन समय | उत्पादन |
1. | को. 7314 | 21 प्रतिशत | 10 से 11 महीने बाद | 350 क्विंटल प्रति एकड़ |
2. | को.सी. 671 | 22 प्रतिशत | 10 से 12 महीने बाद | 340-360 क्विंटलप्रति एकड़ |
3. | को. 8209 | 20प्रतिशत | 10 से 11 महीने बाद | 400 क्विंटलप्रति एकड़ |
4. | को. जे. एन. 86-141 | 23 प्रतिशत | 10 से 12 माह बाद | 100 टन प्रति हेक्टेयर |
5. | को. जे. एन. 9823 | 20 प्रतिशत | 10 से 12 माह बाद | 100 से 110 टन प्रति हेक्टेयर |
6. | को. 94008 | 18 से 20 प्रतिशत | 11 से 12 माह पश्चात् | 100 टन प्रति हेक्टेयर |
7. | को.जवाहर 86-2087 | 20 प्रतिशत | 14 महीने पश्चात् | 600 क्विंटल प्रति एकड़ |
8. | को.7318 | 18 प्रतिशत | 12 से 13 माह पश्चात् | 400 क्विंटल प्रति एकड़ |
9. | को. जे. 86-600 | 23 प्रतिशत | 12 माह पश्चात् | 500-600 क्विंटल प्रति एकड़ |
10. | को. जवाहर 94-141 | 20 प्रतिशत | 13 से 14 माह पश्चात् | 600 क्विंटल प्रति एकड़ |
Ganne ki kheti की तैयारी (Sugarcane Field Preparation)
Ganne ki kheti की फसल बोने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लिया जाता है. इसके लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई की जाती है। नतीजा यह हुआ कि बाकी खेत में लगी पुरानी फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं।
पहली जुताई के बाद प्रति एकड़ खेत में 12 से 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद डालें. इसके बाद खेत की दो-तीन तिरछी जुताई कर खेत की जुताई की जाती है, जिससे गोबर की खाद खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाती है।
एक बार जब गाय का गोबर मिट्टी में मिल जाता है, भूमि को नम करने के लिए उसमे पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है |
पलेव के बाद जब भूमि ऊपर से सूख जाती है, तो रोटावेटर लगाकर जुताई कर दी जाती है इसके फलस्वरूप खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है। भुरभुरी मिट्टी में पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है
Ganne ki kheti में बुआई से पहले लगभग 250 कि.ग्रा. एन. पी.के. (12 32 16) मात्रा में छिड़काव करें। इसके अलावा तैयार पौधों पर 3KG सल्फर WDG को 100KG पानी में मिलाकर डेढ़ से दो महीने तक लगाना चाहिए.
Ganne ki kheti के बीजो की रोपाई का सही समय और तरीका (Sugarcane Field Preparation)
- इसे घोल की सही मात्रा में पतला किया जाना चाहिए। इससे अंकुरण के दौरान बीमारियों का खतरा कम हो जाता है और पेड़ों की वृद्धि अच्छी होती है. एक हेक्टेयर खेत में लगभग 60 से 70 क्विंटल गन्ने की आवश्यकता होती है। गन्ने का प्रतिस्थापन वर्ष में दो बार किया जा सकता है।
- शीत ऋतु में Ganne ki kheti बुआई अक्टूबर से नवम्बर माह में की जाती है तथा ग्रीष्म ऋतु में इसकी ताजी बुआई फरवरी से मार्च माह में की जाती है।
- मेड़ या नाली विधि से रोपाई:- गन्ने की खेती के लिए पानी मेड़ या नाली विधि से तैयार किया जाता है। ये नालियां दो से ढाई फीट की दूरी पर बनाई जाती हैं।
- इन नालियों में एक फुट की दूरी पर बीज बोने चाहिए. पूरे नालों और सिरों पर पानी जमा होने से रोकने के लिए एक क्षैतिज पेड़ लगाया जाता है।
- इस दौरान कम वर्षा होने पर भी खेतों की सिंचाई की जाती है और अधिक पानी होने पर उसे एक छोड़ से खोल दिया जाता है |
- समतल विधि द्वारा Ganne ki kheti की रोपाई:- इस विधि में लगभग दो से ढाई फीट की दूरी पर जल निकासी नालियाँ तैयार की जाती हैं। इसके बाद नाली में गन्नेके तीन आंखों वाले टुकड़े निकलते हैं।
- इस विधि में टुकड़ों को डालने के बाद नाली डालकर खेत को समतल कर दिया जाता है। किसान भाई आज भी इसी पारंपरिक विधि से गन्ना उगाना चाहते हैं.
Ganne ki kheti के पौधों की सिंचाई (Sugarcane Plants Irrigation)
गन्ना नम मिट्टी में उगाया जाता है। इसलिए उन्हें सबसे पहले सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। हालाँकि, सर्दियों में पौधों को सप्ताह में एक बार पानी देना चाहिए और सर्दियों में पौधों को 15 से 20 दिनों के अंतराल पर पानी देना चाहिए।
इसके अलावा बारिश के मौसम में पौधों की रोपाई जरूरत पड़ने पर ही की जाती है |
Ganne ki kheti में खपतवार पर नियंत्रण (Sugarcane Field Weed Control)
Ganne ki kheti में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक और रासायनिक दोनों तरीकों का उपयोग किया जाता है। उनके पौधों को केवल चार से पांच महीने तक खरपतवार से बचाने की जरूरत होती है। प्राकृतिक तरीकों से खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए महीने में एक बार खरपतवारों की कटाई की जाती है।
इसके अलावा, यदि खरपतवारों को रासायनिक तरीकों से नियंत्रित किया जाता है, तो बुआई के बाद पर्याप्त मात्रा में एट्राजीन का छिड़काव करना चाहिए, और बीज के अंकुरण के बाद, खेतों में 2-4 डी सोडियम नमक का छिड़काव करना चाहिए।
Ganne ki kheti के पौधों में लगने वाले रोग एवं रोकथाम (Diseases and prevention of sugarcane plants)
लाल सडन रोग
Ganne ki kheti पर यह रोग कम ही देखने को मिलता है। यह निदान गन्ना अलग हो जाने के बाद ही होता है। इसमें इसकी भीतरी सतह पर लाल और सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए बीजों को कार्बेन्डाजिम की उचित मात्रा से उपचारित करना चाहिए।
कंडुआ रोग
यह रोग पौधों पर किसी भी अवस्था में पाया जा सकता है. प्रभावित पौधे लम्बे और पतले हो जाते हैं और पूरे पौधे की सतह काली पड़ जाती है। इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर पर्याप्त मात्रा में कार्बेन्डाजिम या कार्बोक्सिन का छिड़काव किया जाता है.
उकठा रोग
कटाई से पहले पौधों पर ब्लाइट रोग का पता चलता है। यह रोग गन्ने को सूखा देता है, तथा उसे चीरने पर भीतरी भाग में सफेद फफूंद दिखाई देने लगती है। इस कारण पेड़ काफी खोखला है। इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों की जड़ों पर कार्बेन्डाजिम की उचित मात्रा का छिड़काव किया जाता है।
ग्रासी सूट
यह रोग गन्नो पर किसी भी अवस्था में देखने को मिल सकता है | प्रभावित गन्ना पतला एवं सिकुड़ा हुआ हो जाता है तथा पत्तियां भी बदरंग एवं सफेद हो जाती हैं। इस रोग से बचाव के लिए बीज बोने से पहले बीज का उपचार अवश्य करें।
सफ़ेद मक्खी
सफेद मक्खी रोग पौधों की पत्तियों पर आक्रमण करता है। इस रोग में कीट पत्तियों की निचली सतह पर बैठकर सारा पानी चूस लेते हैं, जिससे पत्तियाँ पीली होकर सूख जाती हैं। पौधों पर एसिटामिप्रिड या इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करने से इस रोग से बचा जा सकता है।
पाईरिल्ला
यह रोग पौधों पर केवल बरसात के मौसम में ही देखने को मिलता है। इस रोग के जीवाणु पौधे की पत्तियों पर चिपचिपी परत छोड़ देते हैं, जिससे पत्तियां काली पड़ जाती हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए क्विनालफॉस 25 ई.सी. बनाएं। या मैलाथियान 50 ई.सी. पौधे का उपचार करें और छिड़काव करें।
Ganne ki kheti के फसल की पैदावार और लाभ (Sugarcane Crop Yield and Benefits)
Ganne ki kheti की फसल तैयार होने में 10 से 12 महीने का समय लगता है. इसके पौधों की कटाई मिट्टी की सतह के पास से करनी चाहिए. एक एकड़ खेत से लगभग 300 क्विंटल की फसल प्राप्त होती है, और उचित देखभाल से 1000 क्विंटल तक की फसल प्राप्त की जा सकती है। गन्ने का अधिकतम बाजार मूल्य 275 रुपये प्रति क्विंटल है।
भाई किसान Ganne ki kheti एक बार की फसल से डेढ़ से दो लाख तक का अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
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Ganne ki kheti FaQs?
Ganne ki kheti की फसल कौन से महीने में बोई जाती है?
फरवरी से मार्च तक
Ganne ki kheti की पैदावार कितनी होती है?
गन्ने की उपज प्रजातियों के आधार पर अलग अलग पायी जाती हैं, शीघ्र पकने वाली प्रजातियाँ 80-90 टन प्रति हेक्टर उपज प्राप्त होती हैं, मध्य एवं देर से पकने वाली प्रजातियाँ में 90-100 टन प्रति हेक्टर उपज प्राप्त होती हैं, जल प्लावित क्षेत्रों में पकने वाली प्रजातियाँ 80-90 टन प्रति हेक्टर उपज देती हैं ।
गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए क्या करें?
गन्ने की खेती में 9 से 10 माह के उम्र के गन्ना बीज का उपयोग करे, गन्ना बीज उन्नत जाति, मोटा, ठोस, शुद्ध व रोग रहित होना चाहिए। जिस गन्ने की छोटी पोर हो, फूल आ गये हो, ऑंखे अंकुरित हो या जड़े निकल आई हो ऐसा गन्ना बीज के लिये उपयोग न करें। गन्ने के खेती के लिए शीघ्र पकने वाली और उन्नत बीजों का ही चुनाव करें।
गन्ने की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है?
13235 गन्ना प्रजाति एक बेहतरीन रोग रोधक और बंपर पैदावार देने वाली किस्म है। ये किस्म एमएस 6847 और को 1148 की ब्रीडिंग करा कर विकसित की गई। इस किस्म से किसानों की औसत उपज 81 से 92 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
गन्ना वार्षिक है या बारहमासी?
बारहमासी
1 एकड़ में कितना गन्ना उगाया जा सकता है?
60 से 80 टन
गन्ने में कौन सी खाद डाली जाती है?
कम्पोस्ट, सडी प्रेसमड
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