Angoor ki kheti | अंगूर की खेती कैसे होती है | Grapes Farming in Hindi | Grapes Cultivation

वर्तमान में, महाराष्ट्र को Angoor ki kheti का सबसे बड़ा उत्पादक कहा जाता है, क्योंकि यह महाराष्ट्र में बहुत अधिक भूमि पर उगाया जाता है। भारत को विश्व में अंगूर का सबसे बड़ा उत्पादक देश कहा जाता है। किसान भाई Angoor ki kheti कैसे करें इसकी जानकारी प्राप्त करके अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

Table of Contents

Angoor ki kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु ( Suitable Soil and Climate)

Angoor ki kheti के फलो की अच्छी पैदावार के लिए इसे कंकरीली और रेतीली चिकनी मिट्टी में उगाना चाहिए|बेलों को अच्छी जल निकास वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी फसलें कुछ हद तक खारापन को सहन कर सकती हैं और भूमि की अत्यधिक खारापन इसकी फसलों के लिए अच्छी नहीं होती है।

इसके अलावा अंगूर को अच्छी तरह बढ़ने के लिए उचित तापमान की जरूरत होती है. इसके फलने के लिए गर्म, शुष्क, गर्म मौसम उपयुक्त होता है। जैसे ही फल पकता है, उसके बीज बारिश से बुरी तरह प्रभावित होते हैं, इस दौरान बीज के फटने का खतरा रहता है।

Angoor ki kheti की उन्नत किस्मे (Grapes Improved Varieties)

angoor ki kheti

भोकरी

Angoor ki kheti की इन किस्मों में से अधिकांश तमिलनाडु में उगाई जाती हैं। इसका फल दिखने में हल्का पीला, मध्यम आकार का होता है। इसमें इस्तेमाल होने वाले फल की गुणवत्ता बेहद खराब होती है. यह पौधा प्रति हेक्टेयर औसतन 35 टन उपज देता है.

गुलाबी

यह बहुत ही नाजुक पौधा है. इसमें टीएसएस की मात्रा 18-20% तक पाई जाती है। यह फल दिखने में गोल होता है. उपज की दृष्टि से इसकी पैदावार 10-12 टन होती है। इसके अलावा अंगूर की कई उन्नत किस्में भी उगाई जाती हैं। स्थान एवं उपज के अनुसार उगाया जाता है। इस संबंध में काली शहाबी, पेरलेटी, थॉम्पसन सीडलेस, शरद सीडलेस जैसी किस्में।

Angoor ki kheti की तैयारी (Vineyard Preparation)

Angoor ki kheti की अच्छी पैदावार के लिए इसके पौधों को खेत में लगाने से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार करना चाहिए। इसलिए खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए. इसके बाद खेत को कुछ देर के लिए खुला छोड़ दें ताकि खेत की मिट्टी को अच्छी धूप मिल सके, इसके बाद खेत में पानी लगा दें.

इसके बाद यदि खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी लगने लगे तो रोटावेटर डालकर दो से तीन तिरछी जुताईयां और कर दें। इससे खेत की मिट्टी टूट जाएगी, एक बार खेत की मिट्टी टूट जाए तो उसमें डंडा डालकर दोबारा जुताई कर दें।

इससे खेत समतल हो जाएगा और जलभराव जैसी समस्याओं से बचा जा सकेगा। बेलें मिट्टी से अतिरिक्त पोषक तत्वों को अवशोषित करती हैं, और इस कारण से खेत में उर्वरक का अच्छा स्तर प्रदान करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए खेत की जुताई कर उसमें 15 गाड़ी पुराना गोबर प्राकृतिक खाद के रूप में देना चाहिए. खेत में गोबर डालने के बाद उसकी एक बार जुताई कर देनी चाहिए, ताकि खाद अच्छी तरह से मिट्टी में मिल जाए। उर्वरक के रूप में 500 जीएम नाइट्रोजन, 700 जीएम म्यूरेट ऑफ पोटाश, 700 जीएम पोटैशियम सल्फेट देना चाहिए।

Angoor ki kheti के पौधों की रोपाई (Grapes Planting)

अंगूर के पौधों की रोपाई को कलम के रूप में किया जाता है |  खेत में रोपण और कटाई से पहले गड्ढे तैयार कर लेने चाहिए. गड्ढा तैयार करते समय उसमें उचित मात्रा में कोयला डालना चाहिए। इसके लिए जीएम क्लोरपायरीफॉस 30, 1 केएम सुपर फॉस्फेट और 500 जीएम पोटैशियम सल्फेट को बराबर मात्रा में मिट्टी और सड़े हुए गोबर के साथ मिलाकर गड्ढों में भर देना चाहिए. गड्ढे में लगाए जाने वाले कलम 1 वर्ष पुराने होने चाहिए। बेलों को खेत में लगाते ही सिंचाई कर देनी चाहिए।

Angoor ki kheti के पौधों की सिंचाई (Grapes Irrigation)

Angoor ki kheti के पौधों की रोपाई को नवम्बर से दिसंबर के माह में किया जाता है, और इसी कारण इसके पौधों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. हालाँकि, जब पौधे फल देने लगते हैं, उस समय फल के सफल विकास के लिए सिंचाई आवश्यक होती है।

अगर उस दौरान उनके पौधों को पर्याप्त पानी नहीं मिलता तो फसल पर बुरा असर पड़ता है. इसके पौधों को यदि आवश्यक हो तो तापमान और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुसार पानी देना चाहिए.

Angoor ki kheti खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)

अंगूर के बीजों में खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक तरीकों का उपयोग किया जाता है। उनके पौधों को अधिक खरपतवार नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती. हालाँकि, यदि खेत में खरपतवार पाए जाते हैं, तो उनकी वनस्पति को निराई -गुड़ाई विधिसे नियंत्रित किया जाना चाहिए।

Angoor ki kheti के फलो की तुड़ाई पैदावार और लाभ (Grapes Fruit Harvesting Yield and Benefits)

अंगूर रोपण के तीन साल बाद फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं। जब अंगूर पक जाएं तो उन्हें तभी तोड़ना चाहिए जब वे बाजार में बेचे जा रहे हों। इसके फल का पकना अम्लता के बढ़ने और घटने से निर्धारित होता है। फल तोड़ने के लिए सुबह या शाम का समय अधिक उपयुक्त माना जाता है।

जार में अच्छी कीमत पाने के लिए अंगूरों को गुच्छों में विभाजित किया जाना चाहिए, और बाजार में बेचने से पहले अनुपयोगी और टूटे हुए अंगूरों को हटा दिया जाना चाहिए। गुणवत्ता के आधार पर अंगूर का बाजार मूल्य 60-100 तक होता है। इसके पूर्ण विकसित पौधे 2 से 3 दशकों तक उपज देते हैं।

किस्म के आधार पर बेल के पौधों की उपज 20-35 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है। इसके मुताबिक किसान भाई Angoor ki kheti कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

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Angoor ki kheti FaQ?

अंगूर कितने साल में फल देने लगता है?

एक औसत अंगूर की बेल रोपाई के लगभग 7-8 साल बाद परिपक्व होती है 

अंगूर कितने दिन में तैयार होता है?

30-70 दिन बाद शुरू होता है,

Angoor ki kheti कैसे की जाती है?

यह कंकरीली,रेतीली से चिकनी तथा उथली से लेकर गहरी मिट्टियों में सफलतापूर्वक पनपता है लेकिन रेतीली, दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकास अच्छा हो अंगूर की खेती के लिए उचित पाई गयी है

अंगूर के पेड़ की उम्र कितनी होती है?

500 सालों से भी ज्यादा 

अंगूर कौन से महीने में लगाया जाता है?

मार्च-अप्रैल के माह के बीच

अंगूर के लिए कौन सा मौसम उपयुक्त है?

लंबी गर्म ग्रीष्मकाल और बरसाती सर्दियों

अंगूर कहाँ उगाया जाता है?

महाराष्ट्र, कर्नाटक के अलावा इन राज्यों में

अंगूर उगाने के लिए सबसे अच्छी जगह कहां है?

अच्छी जल निकासी वाली, उपजाऊ मिट्टी वाली धूप वाली जगह

अंगूर के लिए कौन सा मौसम उपयुक्त है?

वार्षिक वर्षा 900 मिमी से अधिक न हो, पूरे वर्ष अच्छी तरह से वितरित हो,

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