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Amchoor ki kheti 2024 | Amchoor Powder (Dried Mango Powder) | अमचूर उत्पादन से लें अधिक मुनाफा | amchoor powder in hindi

Amchoor उत्पादक क्षेत्रों में पेड़ों पर फल लगने की अवधि के दौरान लगभग 3-4 बार तूफान आते हैं और इस प्रकार लगभग 15-20 प्रतिशत अपरिपक्व फल गिर जाते हैं। अगर तूफ़ान तेज़ हुआ तो ज़्यादा फल गिर सकते हैं.

इसके अलावा लगभग 10-12 प्रतिशत फल कटाई के दौरान फट जाते हैं. इन फलों को बाजार में उचित मूल्य नहीं मिलता है. इन फलों से आमचूर का उत्पादन एवं बिक्री कर उत्पादक अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं।

अमचूर (Amchoor) के उपयोग

सूखे आम के पाउडर का उपयोग विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है। इसका उपयोग दाल, सांबर और गोलगप्पे के पानी में भी किया जाता है.

इसके अलावा, आम पाउडर, चाट मसाला, करी, बिरयानी, चिकन करी और बहुत कुछ बनाने के लिए ड्रायर मुख्य सामग्री है। इसे सूखे आम, नींबू और इमली के विकल्प के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। एक चम्मच आम के पाउडर में चीनी की मात्रा तीन चम्मच नींबू के रस के बराबर होती है।

अच्छे अमचूर (Amchoor) की पहचान

Amchoor अमचूर उत्पादन से लें अधिक मुनाफा

अमचूर (Amchoor) हल्के भूरे रंग का होना चाहिए। अमचूर में फफूंद का संक्रमण नहीं होना चाहिए। नमी की मात्रा 8-10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अम्लता 12-15 प्रतिशत तक होनी चाहिए।

अमचूर (Amchoor) उत्पादन की विधि

अमचूर (Amchoor) दक्षिणी, पश्चिमी तथा समुद्र तटीय क्षेत्रों में अप्रैल-मई में तथा उत्तरी भारत में मई-जून में बनाया जा सकता है।

फांकें बनाना

आंधी के कारण गिरे हुए कच्चे फल या सूखे आम की तोड़ाई के दौरान क्षतिग्रस्त हुए फलों को इकट्ठा करके पानी से धोना चाहिए।

फिर स्टील के चाकू या पीलर से फल का छिलका निकालकर फांकें बनाते हैं। फांकें पतली बनानी चाहिए, जिससे वे आसानी से एवं जल्दी सूख सकें।

परिरक्षक से उपचार

फांकों में फफूंद लगने से उनका रंग भूरा या काला हो जाता है। इसके कारण सूखी हुई फांकों का उचित मूल्य नहीं मिलता। यदि इन फांकों को चूर्ण में परिवर्तित किया जाए तो उसका रंग भी भूरा या काला हो जाता है।

फफूंद लगने से बचाने के लिए फांकों को सूखाने से पहले पोटेशियम मेटाबाइसल्फाइट के घोल क्षेत्र 5 मिनट तक डुबोना चाहिए। फांकों को सुखाना फांकों को धूप में या कम लागत के सोलर ड्रायर में सुखाया जा सकता है।

सामान्यतः फांकों को धूप में छत पर सुखाया जाता है। इसके कारण धूल या मिट्टी के कण लगने से फांकों का रंग भूरा हो जाता है।

(Amchoor) धूप में सुखाने में भी अधिक समय (2-3 दिन) लगता है। स्लाइस को सोलर ड्रायर में एक दिन के लिए सुखाया जाता है क्योंकि सोलर ड्रायर का तापमान बाहरी तापमान से 8-120 सेल्सियस अधिक होता है।

उच्च गुणवत्ता वाला आम पाउडर बनाने के लिए फांकों को सन ड्रायर में सुखाना चाहिए। आम (Amchoor) का पाउडर बनाना: आम का पाउडर सूखे टुकड़ों से ग्राइंडर या पल्स्वराइज़र का उपयोग करके बनाया जा सकता है। 

यह स्टनेलैस स्टील का बना ड्रायर है। इसमें 2 हार्स पॉवर की मोटर लगी होती है। इसके अलावा एक ब्लोअर भी लगा हुआ होता है जो फांकों व चूर्ण क्षेत्र बची हुई नमी को भी सुखा देता है।

सावधानियां 

  • बहुत छोटे फलों को छीलना, काटना, काटना और पाउडर बनाना कठिन होता है। उन क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में मौजूद फिनोल के कारण, कटे हुए और सूखे आम सूखने के बाद काले रंग के हो जाते हैं।
  • फल को छीलने के लिए स्टील के चाकू या पीलर का उपयोग करना चाहिए। लोहे के चाकू से छीलने से फांकों का रंग गहरा भूरा या काला हो जाता है।
  • फांकें पतली काटनी चाहिए। पतले स्लाइस को सूखने में कम समय लगता है और पाउडर बनाना आसान होता है। आम पाउडर के प्रसंस्करण और भंडारण के दौरान फफूंदी से बचाने के लिए, सूखने से पहले स्लाइस पर परिरक्षकों को लगाया जाना चाहिए। यदि फांकों को धूप वाले स्थान पर सुखाना हो तो उन्हें साफ कपड़े या काले पॉलिथीन के कपड़े पर फैलाकर सुखा लेना चाहिए।
  • यदि सोलर ड्रायर है तो स्लाइस को केवल उसी क्षेत्र में सुखाना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में सूखे हलके (जिन्हें खटाई कहा जाता है) ही बेचे जाते हैं, जिससे ज्यादा मुनाफा नहीं होता। अधिकतम लाभ के लिए सूखे आम के टुकड़ों को पाउडर (सूखा आम पाउडर) में परिवर्तित किया जाना चाहिए और आकर्षक पैकेजिंग करके बेचा जाना चाहिए।

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