भारत में बैंगन ऊंचाई वाले स्थानों को छोड़कर लगभग हर जगह उगाया जाता है। यह एक सब्जी की फसल है, जिसकी खेती चीन के बाद सबसे अधिक भारत में की जाती है।
भारत के झारखंड राज्य में, Baigan ki kheti के कुल क्षेत्र के लगभग 10.1% भाग पर उगाई जाती है। वर्तमान में हरे, पीले, लाल और सफेद बैंगन के फल उगाए जाते हैं। इसकी खेती साल भर आसानी से की जा सकती है.
अगर आप भी Baigan ki kheti करना चाहते हैं तो इस पोस्ट में आपको Baigan ki kheti कब और कैसे करें (Brinjal Farming in Hindi) और बैंगन की उन्नत किस्मों की जानकारी दी जा रही है।
Baigan ki kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Brinjal Cultivation Suitable soil, Climate and Temperature)
Baigan ki kheti के लिए किसी विशेष मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है, इसे किसी भी उपजाऊ भूमि पर उगाया जा सकता है। लेकिन मिट्टी का पर्याप्त जल निकास आवश्यक है।
पी.एच. अपनी फसलों के लिए भूमि का. मान 5 और 7 के बीच होना चाहिए. इसके पौधों को पनपने के लिए गर्म मौसम की आवश्यकता होती है. सर्दियों की ठंड इसके पौधों को नुकसान पहुंचाती है, और उन्हें अधिक बारिश की आवश्यकता नहीं होती है।
Baigan ki kheti के पौधे 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान में पनपते हैं और अधिकतम 35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 13 डिग्री सेल्सियस तापमान सहन कर सकते हैं।
Baigan ki kheti की उन्नत किस्में (Brinjal Improved Varieties)
स्वर्ण श्यामली
इस प्रकार का पौधा ऊष्मायन के 40 दिनों के बाद फल देना शुरू कर देता है। स्वर्ण श्यामली के पौधों की पत्तियों में हल्के कांटे देखे जाते हैं तथा परजीवी संक्रमण का प्रभाव नहीं देखा जाता है।
इसका फल सफेद धब्बों वाला हरे रंग का होता है। ये फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं. बैंगन की इन किस्मों से प्रति हेक्टेयर 600 क्विंटल उपज मिलती है. इसके अलावा रंग, जलवायु और उपज के अनुसार बैंगन की कई उन्नत किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें निम्नलिखित हैं,
पूसा पर्पल लॉन्ग, पूसा उत्तम- 31, पूसा उपकार, पूसा बिंदु, काशी संदेश, पंजाब सदाबहार, अर्का.नवनीत, पूसा अनमोल, ऋतुराज और पंत वगैरह।
स्वर्ण श्री
इस प्रकार का पौधा दो से ढाई फुट ऊँचा, अनेक शाखाओं वाला होता है। परिणामी फल सफेद रंग के और गोल आकार के होते हैं। ऐसे फलों का उपयोग सब्जी के अचार में किया जाता है. इस किस्म को 500 से 600 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज के लिए उगाया जाता है.
स्वर्ण शक्ति
यह एक संकर किस्म है, जिसके उभरते हुए पौधे दो से तीन फीट लंबे होते हैं। स्वर्ण शक्ति किस्मों के फल आयताकार और चमकीले पीले रंग के होते हैं। इन किस्मों की उपज 700 से 750 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
Baigan ki kheti की तैयारी औऱ उवर्रक की मात्रा (Brinjal field Preparation and amount of Fertilizer)
बैंगन की अच्छी फसल के लिए भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है। इस कारण से, सबसे पहले गहरी जुताई घूर्णी हलों की सहायता से की जानी चाहिए, और इसलिए खेत के अवशेषों में पुरानी फसलें पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं।
जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़ दिया जाता है. इसके बाद खेत में खाद की मात्रा प्राप्त करने के लिए प्रति हेक्टेयर 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद देनी चाहिए. गोबर के स्थान पर वर्मीकम्पोस्ट का भी उपयोग किया जा सकता है।
खेत में खाद डालने के बाद किसान द्वारा दो से तीन तिरछे हल चलाये जाते हैं, जिससे गोबर की खाद खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाती है। एक बार जब खाद मिट्टी में मिल जाती है तो खेत की सिंचाई हो जाती है।
कुछ दिनों तक जुताई करने के बाद यदि खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखे तो रोटावेटर लगाकर जुताई करें, इससे खेत की मिट्टी में मौजूद मिट्टी के ढेले टूट जाते हैं और मिट्टी मुलायम हो जाती है।
इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है | इसके अलावा यदि आप उर्वरकों का उपयोग करना चाहते हैं तो आपको प्रति हेक्टेयर तीन बैग एनपीके डालना होगा।
अंतिम जुताई के समय मात्रा निर्धारित की जानी चाहिए। इसके अलावा पौधों में फूल आने के दौरान सिंचाई के पानी में 20 किलोग्राम यूरिया की मात्रा मिलानी चाहिए.
Baigan ki kheti के पौधों की रोपाई का सही समय औऱ तरीका (Brinjal Plants Transplanting Right time and Method)
Baigan ki kheti के पौधों की रोपाई बीज के रूप में न करके पौध के रूप में की जाती है | इसके लिए पौधों को किसी सरकारी रजिस्टर्ड नर्सरी से खरीद लेना चाहिए | पूर्णतः स्वस्थ पौधे खरीदें। इस पौधे का विकल्प फ्लैट और मेड दोनों पर बनाया जा सकता है। समतल भूमि पर पौधों की रोपाई के लिए खेत में 3-मीटर क्यारियाँ तैयार की जाती हैं।
इस क्यारी में प्रत्येक पौधे के बीच 2 फीट की दूरी रखी जाती है। यदि पौधे को मेड़ पर लगाना है तो मेड़ को दो से ढाई फीट की दूरी पर रखकर तैयार किया जाता है।
इसके बाद रोपण करते समय प्रत्येक पौधे को दो फीट की दूरी पर रखें। इस पौधे की जड़ों को 5 से 6 सेमी की गहराई पर ही लगाएं, इससे पौधा अच्छे से विकास करता है। पौधे उगाने के लिए शाम का समय अधिक उपयुक्त माना जाता है।
Baigan ki kheti के पौधों की सिंचाई (Brinjal Plants Irrigation)
बैंगन के पौधों को भरपूर सिंचाई की आवश्यकता होती है. इसके पौधों को रोपण के तुरंत बाद पहला पानी देना चाहिए. गर्मियों में उनके पौधों को तीन से चार दिन के अंतराल पर पानी देने की जरूरत होती है, जबकि सर्दियों में उनके पौधों को 10 से 15 दिनों के अंतराल पर पानी देना चाहिए. बरसात के मौसम में उनके पौधों को बिल्कुल भी ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है।
बैंगन के पौधों में खरपतवार नियंत्रण (Brinjal Plants Weed Control)
Baigan ki kheti के पौधों में खरपतवार नियंत्रण की प्राकृतिक विधि का उपयोग करके खरपतवार पैदा किये जाते हैं। उनके पौधों की ऊंचाई ज़मीन से कम होती है, इसलिए पौधों को खरपतवार नियंत्रण की बहुत आवश्यकता होती है।
Baigan ki kheti के पौधों को तीन से चार बार निराई-गुड़ाई की जरूरत होती है. इसके प्रथम खरपतवार की कटाई ऊष्मायन के 15 से 20 दिन बाद करनी चाहिए। इसके बाद 15 दिनों के अंतराल पर शेष निराई-गुड़ाई करें।
Baigan ki kheti के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Eggplant Plants Diseases and their Prevention)
झुलसा रोग
यह रोग आमतौर पर मौसम बदलते ही पौधों पर हमला करता है। इस रोग से प्रभावित होने पर पौधे की पत्तियों पर लाल और भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं. जब गरम रोग का प्रकोप अधिक होता है तो पत्तियाँ धीरे-धीरे सिकुड़कर सूखने लगती हैं, जिससे पौधे में प्रकाश संश्लेषक क्षमता कम हो जाती है और पौधे का विकास रुक जाता है।
पौधों पर पर्याप्त मात्रा में मैन्कोजेब या जैनेब का छिड़काव करके इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा भी कई रोग हैं, जो पौधे को नुकसान पहुंचाकर फसल को प्रभावित करते हैं। ये बीमारियाँ इस प्रकार हैं:- एड्रैगलन, फोमोप्सिस ब्लाइट, छोटी पत्ती रोग आदि।
हरा तेला कीट रोग
हरा तेला रोग पौधे की पत्तियों पर आक्रमण कर उन्हें क्षति पहुँचाता है। यह कीट रोग पौधे की सारी पत्तियों का रस चूस लेता है, जिससे पौधा नष्ट हो जाता है। इस रोग से प्रभावित होने पर पौधा शुरू में भूरा पड़ने लगता है. पौधों पर मोनोक्रोटोफॉस, फॉस्फामिडोन या कार्बेरिल की उपयुक्त तैयारी का छिड़काव करके इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
फल छेदक
फल छेदक कैटरपिलर फल को खाकर उसे नष्ट कर देते हैं। इससे फल पूरी तरह नष्ट हो जाता है. यह कवक पौधे की जड़ों को खाता है और परिणामस्वरूप पौधे की शाखाएं सूखकर सूख जाती हैं। पौधों पर साइपरमेथ्रिन या एंडोसल्फान की पर्याप्त मात्रा का छिड़काव करके इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
Baigan ki kheti के फलो की तुड़ाई, पैदावार औऱ लाभ (Brinjal Fruit Harvesting, Yield and Benefits)
Baigan ki kheti फल की कटाई, उपज और लाभ (Brinjanfruit Harvest, Yeild andprofit) किस्म के आधार पर बैंगन के पौधे बुआई के लगभग 50 से 70 दिन बाद फल देना शुरू कर देते हैं। अगर इसके पौधों में लगने वाला फल आकर्षक रंग का हो तो इसकी कटाई कर लेनी चाहिए.
फलों की तुड़ाई शाम के समय करना उचित माना जाता है। बैंगन की उन्नत किस्मों से पैदावार 200 से 600 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। बैंगन का बाजार मूल्य 10 रुपये प्रति किलोग्राम है, जिससे भाई किसान बैंगन की एक फसल से 2 करोड़ रुपये तक कमा सकते हैं।
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Baigan ki kheti FaQs?
बैंगन कौन से महीने में बोई जाती है?
बैगन कि शरदकालीन फसल के लिए जुलाई-अगस्त में, ग्रीष्मकालीन फसल के लिए जनवरी-फरवरी में एवं वर्षाकालीन फसल के लिए अप्रैल में बीजों की बुआई की जानी चाहिए।
बैंगन कितने दिन में फल देता है?
बैंगन 60 से 100 दिन में फल देता है|
Baigan ki kheti कब और कैसे करें?
बैंगन के पौधों की रोपाई बीज के रूप में न करके पौध के रूप में की जाती है | इसके लिए पौधों को किसी सरकारी रजिस्टर्ड नर्सरी से खरीद लेना चाहिए | पूर्णतः स्वस्थ पौधे खरीदें। इस पौधे का विकल्प फ्लैट और मेड दोनों पर बनाया जा सकता है। समतल भूमि पर पौधों की रोपाई के लिए खेत में 3-मीटर क्यारियाँ तैयार की जाती हैं।
बैंगन की नर्सरी कब लगाएं?
बैंगन लगाने का उपयुक्त समय जनवरी-फरवरी होता है।
बैंगन कितनी तेजी से बढ़ता है?
बैंगन 60 से 100 दिन तेजी से बढ़ता है|
बैंगन के पौधे में क्या डालें?
बैंगन के पौधे में लिक्विड खाद डालें|
बैंगन फूलने के बाद बढ़ने में कितना समय लगता है?
बैंगन फूलने के बाद बढ़ने में एक से दो सप्ताह समय लगता है|
बैंगन में कौन सा खाद डालना चाहिए?
बैंगन के बीज लगाने से पहले और खेत तैयार करते समय प्रत्येक क्यारी में 300 ग्राम NPK और 15 से 20 किलोग्राम गोबर का खाद डालना चाहिए
Baigan ki kheti | बैंगन की खेती कब और कैसे करे | बैंगन की उन्नत किस्में | Brinjal Farming in Hindi किसान भाइयो अगर आप JagoKisan.com द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद हो सके|