तिल एक तिलहनी फसल है. इसकी खेती भारत में प्राचीन काल से होती आ रही है। इसे दुनिया का पहला तिलहन भी कहा जाता है। भारत में Til ki kheti ख़रीफ़ फ़सलों के साथ की जाती है।
तिल का मुख्य उपयोग तेल निकालने और खाना पकाने के लिए होता है। इसके पौधे एक मीटर तक ऊंचे होते हैं, जिनमें पीले और सफेद फूल आते हैं। तिल मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, सफेद और काला।
भारत में Til ki kheti राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में की जाती है, जिसमें उत्तर प्रदेश का बुन्देलखण्ड क्षेत्र तिल उत्पादन में अग्रणी है।
यदि आप भी इच्छानुसार Til ki kheti कर लाभ कामना चाहते है, तो इस लेख में आपको Til ki kheti कैसे करें (Sesame Farming in Hindi) और तिल की फसल में होने वाले रोगों के बारे में जानकारी दी जा रही है.
Til ki kheti में भूमि का प्रकार (Sesame Cultivation Land)
Til ki kheti के लिए अच्छे जल निकास वाली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। यह किसी भी उपजाऊ मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है और मिट्टी का पी.एच. कम होना चाहिए।
इसके पौधों को गर्म मौसम की आवश्यकता होती है. इसे गर्मियों में ख़रीफ़ की फ़सलों के साथ उगाया जाता है। पौधे गर्म जलवायु में पनपते हैं। तिल की फसल को बारिश की आवश्यकता नहीं होती है, और फसल सर्दियों से पहले काट ली जाती है। तिल के पौधों को मध्यम तापमान की आवश्यकता होती है और पौधे 40 डिग्री के तापमान को भी आसानी से सहन कर सकते हैं।
Til ki kheti की उन्नत किस्में (Sesame Improved Varieties)
आर. टी. 127
इस तिल की वानस्पतिक अवस्था तक पहुंचने में 80 से 85 दिन का समय लगता है, जिससे 8 से 9 क्विंटल उपज मिलती है। इसके पौधों के बीजों से 48 प्रतिशत तक तेल निकाला जा सकता है। ये किस्में तना सड़न और पत्ती धब्बा रोग से मुक्त हैं।
आर. टी. 125
यह कम समय में पैदावार देने वाली क़िस्म है | जिसके पौधों की कटाई बुआई के 70 से 80 दिन बाद की जा सकती है. इसके दानों से 47 से 49 प्रतिशत तक तेल प्राप्त होता है। इन किस्मों की पैदावार 6 से 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
टी 78
ऐसे पौधों को स्थापित होने में 80 से 85 दिन लगते हैं, जिससे प्रति हेक्टेयर 6 से 8 फसलें प्राप्त होती हैं। इसके पौधे 100 सेमी से अधिक लम्बे होते हैं और 49 प्रतिशत तेल इसके दानों से प्राप्त होता है।
आर.टी. 46
इन किस्मों को तैयार होने में 70 से 80 दिन का समय लगता है. पौधे पर 4 से 6 शाखाएँ होने से पौधा 100 से 125 सेमी ऊँचा होता है। इन किस्मों की पैदावार 6 से 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
टी.सी. 25
तिल की ये किस्में बीज बोने के 90 से 100 दिनों के बाद फल देना शुरू कर देती हैं। इसके पौधे लगभग 90 सेमी लम्बे, 4 से 6 शाखाओं वाले होते हैं। इसकी फली में बीज 4 की पंक्तियों में लगते हैं, जिससे 48 प्रतिशत तक तेल निकलता है। एक हेक्टेयर भूमि से 4 से 5 क्विंटल तक उपज प्राप्त होती है.
Til ki kheti और उवर्रक प्रबंधन (Sesame Farming and Fertilizer Management)
Til ki kheti की आरम्भ में दो से तीन तिरछी जुताई कर कुछ समय के लिए उसे ऐसे ही खुला छोड़ देते है | खेत की पहली जुताई के तुरंत बाद एक एकड़ खेत में 10 से 12 पुराना गोबर जैविक खाद के रूप में डाला जाता है। खाद डालने के बाद खेत की जुताई की जाती है और खाद को अच्छी तरह से मिट्टी में मिला दिया जाता है।
इसके बाद खेत में पानी डालकर सूखने के लिए छोड़ दें. एक बार खेत सूख जाए तो रोटावेटर नियंत्रण का उपयोग करके दो से तीन तिरछी जुताई की जाती है। इसके बाद खेत पर पैर रखकर उसे समतल कर लें. तिल के खेतों में उर्वरक के रूप में 25 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के बाद सिंचाई के साथ छिड़काव करना चाहिए।
Til ki kheti के बीज की रोपाई का समय और तरीका (Sesame Seed Transplanting Time and Method)
Til ki kheti को बीज के रूप में उगाया जाता है। इस प्रयोजन के लिए स्प्रे या ड्रिल विधि का उपयोग किया जाता है। अधिकतर किसान भाई छिड़काव विधि से ही बीज बोते हैं। प्रति हेक्टेयर खेत के आकार के अनुसार 3 से 4 किलोग्राम बीज दर का उपयोग किया जाता है।
इन बीजों को कार्बेन्डाजिम तथा थीरम से उपचारित करके खेत में लगाना चाहिए। नई रोपाई के साथ खेत में ड्रिल द्वारा पंक्तियाँ तैयार की जाती हैं।
इन पंक्तियों को एक फ़ीट की दूरी पर बनाया जाता है, जिसमे बीजो को 10 से 15 CM की दूरी पर लगाते है | छिड़काव विधि में बीजो को खेत में छिड़ककर कल्टीवेटर के माध्यम से हल्की जुताई कर दी जाती है | इस कारण बीज मिट्टी में गहराई में दब जाता है। पहली बारिश के बाद खेत में बीज बो देना चाहिए.
इस लिहाज से जून का महीना बुआई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है.
Til ki kheti के पौधों की सिंचाई (Sesame Plants Irrigation)
तिल के पौधों को बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है. पहली सिंचाई रोपण के एक महीने बाद करें तथा दूसरी सिंचाई पौधे पर दाने आने पर करें। इसके बाद बीज पकने पर दोबारा पानी दें, ताकि बीज अच्छी गुणवत्ता का हो और फसल भी अच्छी मात्रा में प्राप्त हो. दो से तीन सिंचाई के बाद तिल के पौधे तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं.
Til ki kheti की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Sesame Plants Weed Control)
तिल के पौधों को खरपतवारों से बचाने के लिए खरपतवारों को निराई – गुड़ाई की जाती है। इसकी पहली सिंचाई बुआई के 20 से 25 दिन बाद करनी चाहिए और इसकी दूसरी गुड़ाई पहली गुड़ाई के 15 दिन के अंदर कर देनी चाहिए. खरपतवारों को रासायनिक मार्ग को अवरुद्ध करने से रोकने के लिए रोपण के बाद खेत में एलाक्लोर का छिड़काव करें।
Til ki kheti की फसल के रोग एवं उपचार (Sesame Crop Diseases and Treatment)
क्रं. सं. | रोग | रोग का प्रकार | उपचार |
1. | गाल मक्खी | कीट जनित रोग | पौधों पर मोनोक्रोटोफास का छिड़काव करे | |
2. | पत्ती छेदक रोग | किट जनित रोग | पौधों पर मोनोक्रोटोफास का छिड़काव करे | |
3. | फिलोड़ी | कीट | तिल के पौधों पर मैटासिस्टाक्स का छिड़काव करे | |
4. | फली छेदक | कीट की सुंडी | पौधों पर क्यूनालफॉस का छिड़काव करे | |
5. | जड़ और तना गलन | फफूंद रोग | बीज रोपाई से पूर्व बीजो को थिरम से उपचारित करे तथा फसल पर रोग लगने पर बोर्डो मिश्रण का छिड़काव पौधों की जड़ो पर करे | |
Til ki kheti के फसल की कटाई एवं कढ़ाई (Sesame Crop Harvesting and Embroidery)
तिल की फसल की कटाई बुआई के 80 से 100 दिन बाद की जाती है। इसकी फसल की कटाई फलिया फटने से पहले हरे पौधों के रूप में की जाती है | कटाई के बाद फसल को धूप में अच्छी तरह सुखाया जाता है, सूखे पौधों से अनाज अलग कर लिया जाता है। ये चंदा इकट्ठा किया जाता है.
Til ki kheti की पैदावार और लाभ (Sesame Seeds and Benefits)
तिल की उन्नत किस्मों की उपज लगभग 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। जिसका बाजार मूल्य 8 हजार रूपये प्रति क्विंटल है। इससे भाई किसानों को प्रति हेक्टेयर खेत में एक सीजन की फसल से 50 हजार से ज्यादा की कमाई हो सकती है.
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Til ki kheti FaQs?
तिल की बुवाई का सही समय क्या है?
जुलाई के महिने में तिल की खेती की जाती है.
तिल की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है?
90 से 100 दिनों में
तिल की खेती कौन से महीने में होती है?
1 जुलाई से 15 जुलाई तक
एक बीघा में तिल्ली कितनी होती है?
एक बीघे में दो किलो बीज लगता है। इससे 4 क्विंटल तक उत्पादन होता है।
तिल के बीज कहां से मिलते हैं?
चीन, भारत और तुर्की
तिल के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी होती है?
जल निकासी वाली हल्की से मध्यम बनावट वाली मिट्टी
भारत में तिल कहां उगाया जाता है?
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक और तमिलनाडु सहित देश के मध्य और दक्षिणी हिस्सों में वर्षा आधारित परिस्थितियों में खरीफ फसल के रूप में उगाया जाता है
तिल के लिए सबसे अच्छा उर्वरक कौन सा है?
एनपीके उर्वरक (15:15:15)
Til ki kheti | तिल की खेती कैसे करें | Sesame Farming in Hindi | तिल की फसल के रोग किसान भाइयो अगर आप JagoKisan.com द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद हो सके|