जो किसान भाई सफेद मूसली उगाकर अच्छी आय कमाने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए यहां आपको Safed musli ki kheti, सफेद मूसली कैसे उगाएं, सफेद मूसली की खेती इन हिंदी, सफेद मूसली की दर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी। बताया जा रहा है.
Safed musli ki kheti कैसे करे (White Musli Harvest)
सफ़ेद मूसली का उपयोग मुख्य रूप से आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा में किया जाता है। सफ़ेद मूसली के फल जमीन के अंदर उगते है, तथा जमीन के ऊपर निकलने वाले फूलो से बीज को बनाकर उन्हें बेचकर भी अच्छी कमाई कर सकते है, लेकिन फूलों के पकने से फसल पर असर पड़ता है।
टॉनिक के रूप में मशहूर सफेद मूसली का उपयोग खांसी, अस्थमा, त्वचा रोग, बवासीर, पीलिया और नपुंसकता जैसी कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। सफेद मूसली की बाजार में अलग-अलग कीमतें होती हैं, लेकिन अच्छी गुणवत्ता वाली मूसली की बाजार कीमत 800 रुपये प्रति किलोग्राम तक जाती है।
Safed musli ki kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी (Suitable Soil For White Musali)
सफेद मूसली उत्पादन के लिए हल्की रेतीली मिट्टी बहुत अच्छी मानी जाती है। वे लाल और काली मिट्टी वाली मिट्टी में भी आसानी से उग सकते हैं, लेकिन इस मामले में, पी.एच. यह ध्यान में रखना चाहिए कि मान 7.5 से अधिक नहीं होना चाहिए,
क्योंकि मिट्टी का पी.एच. यदि इसका मान 7 से ऊपर है तो इसमें क्षारीय गुण पाए जाते हैं और इसी कारण से सफेद मूसली का उत्पादन नहीं किया जा सकता है। यदि आप इस प्रकार की मिट्टी में सफेद मूसली की फसल उगाते हैं तो आपको उपज और गुणवत्ता दोनों में बड़ा प्रभाव देखने को मिलेगा।
इसकी खेती के लिए पर्याप्त सिंचाई होनी चाहिए, क्योंकि अगर सूखा पड़ता है तो फसल में बीमारियाँ लगने का खतरा रहता है, जिसका असर फसल पर पड़ सकता है। अधिकतम पैदावार प्राप्त करने के लिए इसकी मुख्य फसल को अत्यधिक उत्पादक वातावरण में उगाया जाना चाहिए।
पथरीली मिट्टी में सफेद मूसली की जड़ें मिट्टी में अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप जड़ों का विकास कम होता है और पैदावार कम होती है।
Safed musli ki kheti के लिए जलवायु एवं तापमान (Climate and Temperature For White Muesli Cultivation)
सफ़ेद मूसली की खेती के लिए गर्म और आर्द्र मौसम की आवश्यकता होती है। भारत में, इसकी खेती राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर के ऊपरी इलाकों में व्यापक रूप से और आसानी से उगाया जाता है|
मूसली की खेती बरसात के मौसम में की जाती है, जब तापमान मध्यम होता है। इसलिए इसकी फसल के लिए किसी विशेष गर्मी की आवश्यकता नहीं होती है।
सफ़ेद मूसली की किस्मे (Safed Musli Varieties)
सफेद मूसली की कई किस्में होती हैं. लेकिन इन्हें मुख्य रूप से चार प्रकारों में बांटा गया है। इनमें क्लोरोफाइटम ट्यूबरोसम, क्लोरोफाइटम एटेनुआटम, क्लोरोफाइटम बोरिमिलियनम और क्लोरोफाइटम वोरिविलियनम प्रमुख प्रजातियाँ हैं।
इसके अलावा इसकी कई किस्में भी पाई जाती हैं, जिनमें क्लोरोफाइटम अरुंडिसियम, क्लोरोफाइटम लैक्सम और क्लोरोफाइटम लेक्सम शामिल हैं।
भारत की बात करें तो यहां क्लोरोफाइटम ट्यूबरोसम और क्लोरोफाइटम वोरिविलियनम की कई किस्में उगाई जाती हैं, इन किस्मों में एमसीबी-405, एमसीबी-412, एमसीटी-405, एमडीबी13 और 14 भारत में व्यापक रूप से उगाई जाती हैं।
Safed musli ki kheti के लिए खेत की जुताई (Plowing the Field For White Muesli)
इसकी फसल को किसी विशेष तरीके से जुताई की आवश्यकता नहीं होती है, सफेद मूसली की रोपाई से पहले खेत की 3-4 बार अच्छी तरह जुताई कर लें. इसके बाद इसे कुछ दिनों तक ऐसे ही छोड़ दें और कुछ दिनों के बाद खेत के आकार के अनुसार इसमें पुराना गोबर डाल दें। खाद के बाद पानी डालें, पानी सूखने पर उसमे जुताई कर अच्छे से मिला दे |
Safed musli ki kheti के बीज की बुवाई का सही समय और तरीका (The Exact Time and Manner of Sowing White Muesli Seeds)
इसके बीज बोने के लिए जुलाई का महीना उपयुक्त माना जाता है. यह बारिश का मौसम है इसलिए इन्हें उगाने में आसानी होती है और पौधे अच्छे से बढ़ते हैं, सफेद मूसली के बीज बोने के लिए प्रति एकड़ 4 से 5 क्विंटल बीज लगते हैं, बीजो को रोपाई से पहले गोमूत्र से उपचारित कर लेना चाहिए,
इसके लिए गोमूत्र को 10:1 के अनुपात से ले. बीजो की रोपाई से पहले 2 घंटे तक इसी में दाल कर रख दे | उसके बाद बीज को खेत में लगा दे |
इसके बीज को रोपने में दोनों लाइनों के बीच की दूरी लगभग 20 सेमी होनी चाहिए और रोपे जाने वाले बीज के बीच की दूरी 10 सेमी होनी चाहिए, रोपण के बाद इन गढ्ढो को अच्छी तरह से ढक दें.
Safed musli ki kheti में उवर्रक की मात्रा तथा सिंचाई (Fertilizer and Irrigation in Muesli)
सफेद मूसली की खेती में अधिक उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि उर्वरक के अधिक प्रयोग से फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इससे उसकी फसल को बाजार में उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। इसलिए उनकी फसलें केवल गाय के गोबर और वर्मीकम्पोस्ट से ही उगाई जानी चाहिए।
इनके प्रयोग से फसल में जूँ जैसी बीमारियों का प्रभाव भी कम देखने को मिलता है। एक बार खेत में बीज बोने के बाद वर्षा ऋतु के अनुसार खेत की सिंचाई करनी चाहिए, आवश्यकता पड़ने पर ही पानी दें।
Safed musli ki kheti में खरपतवार पर नियंत्रण (White Muesli Weed Control)
सफ़ेद मूसली की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए बहुत सावधानी की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसकी जड़ों को किसी भी नुकसान से बचाना होता है। इसलिए खेत में बुआई के लगभग 15 से 20 दिन बाद खरपतवार निकाल देना चाहिए और समय-समय पर यदि खेत में खरपतवार पाए जाएं तो उन्हें हाथ से ही हटा देना चाहिए।
Safed musli ki kheti की फसल में लगने वाले रोग (Safed Musli Crop Disease)
सफेद मूसली के पौधों में वैसे तो कोई विशेष रोग नहीं पाए जाते हैं, लेकिन अगर खेत में रोपण के समय इसके बीजों का उपचार न किया जाए तो पौधों में जूं और फफूंदी जैसे रोग लग जाते हैं, ये रोग कीट जनित होते हैं। इसलिए खेत में खरपतवार नियंत्रण पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
इसके अलावा अगर फसल में रोग लग जाए तो इसकी रोकथाम के लिए पौधों पर पर्याप्त मात्रा में बायोपैकुनिल या बायोधन का छिड़काव करना चाहिए, इसके साथ ही तीन किलोग्राम ट्राइकोडर्मा को गाय के गोबर में मिलाकर छिड़कना चाहिए.
Safed musli ki kheti फसल की खुदाई और सफाई (Safed Musli Digging and Cleaning)
सफेद मूसली की फसल नवंबर के अंत में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है, लेकिन खुदाई से पहले यह जांच लेना चाहिए कि फसल उखाड़ने के लिए तैयार है या नहीं, इसका पता पौधों का निरीक्षण करके लगाया जा सकता है।
एक बार फसल तैयार हो जाने पर पौधे की पत्तियाँ पीली पड़ कर सूख जाती हैं और छाल भी सख्त हो जाती है, इसके अलावा तने गहरे भूरे रंग के हो जाते हैं।
इसके बाद खेत में पानी डालकर जड़ो की खुदाई कर निकल ले | यदि आप चाहे तो फसल के तैयार होने के तीन महीने के बाद तक इसकी खुदाई कर सकते है | तब तक इसकी जड़ें पूरी तरह सूख जाएंगी. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इसकी जड़ों से बीज तैयार किया जा सके.
इसके लिए मूसली की ऊपरी परत को हटा दें और मिट्टी छिड़क दें। मूसली की जड़ों को हटाने से पहले खेत में पानी छोड़ दें, इससे मूसली की जड़ों को जमीन से निकलने में आसानी होती है और जड़ें टूटती नहीं हैं।
जब मूसली की जड़ो को खेत से खुदाई कर निकल लिया जाता है | तब उसे चाकू की सहायता से अंगुली नुमा बनी जड़ो को अलग कर लेना चाहिए इसके बाद इस अलग की हुई अंगुलियों को पानी में डाल कर साफ कर मिट्टी हटा लेना चाहिए और चाकू से इसके छिलके को निकल दे |
जैसे-जैसे शाखाओं को हटाया जाता है, फिर उन्हें पानी में डुबोकर धोया जाता है, इन साफ की गई जड़ों का रंग भूरा होने लगता है। इसके बाद इसे अच्छी तरह सूखने के लिए चार से पांच दिन तक धूप में रख दें। जब ये जड़ें सूख जाती हैं तो इन्हें इकट्ठा करके बाजार में बेच दिया जाता है।
Safed musli ki kheti की पैदावार और लाभ (Safed Musli Production and Benefits)
सफेद मूसली के बीज की बात करें तो इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 12 क्विंटल तक होती है. सूखी मूसली की पैदावार 4 क्विंटल से ज्यादा होती है, अगर सफेद मूसली की कीमत की बात करें तो बाजार में कीमत 500 रुपये प्रति किलोग्राम है. भाई किसान इस फसल की खेती करके 4 से 5 लाख रुपये तक कमा सकते हैं.
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Safed musli ki kheti FaQs?
Safed musli ki kheti 1 बीघा में कितनी होती है?
3 से 4 क्विंटल
Safed musli ki kheti कितने दिन में तैयार होती है?
80 से 90 दिन में
सफेद मूसली 1 किलो कितने की है?
1000-1500 रू. प्रति किलोग्राम
सफेद मूसली भारत में कहां पाई जाती है?
गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश
सफेद मूसली का बीज कहाँ मिलता है?
राजस्थान के राजसमन्द जिले में अरावली की पहाडि़यों के बीच स्थित काछबली गांव
सफेद मूसली का दूसरा नाम क्या है?
अश्वगंधा
Safed musli ki kheti कैसे की जाती है?
Safed musli ki kheti के लिए बलुई, दोमट और लाल मिट्टी काफी उपयुक्त होती है. अगर मिट्टी का पीएच मान 7:00 से 8:00 के बीच रहे तो अश्वगंधा की पैदावार अच्छी हो सकती है. तुलनात्मक रूप से गर्म प्रदेशों में अश्वगंधा की बुआई होती है. अश्वगंधा की खेती के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान और 500 से 750 मिलीमीटर वर्षा की जरूरत है.
Safed musli ki kheti कब और कैसे करें?
जुलाई माह में
100 ग्राम सफेद मूसली की कीमत क्या है?
250 से लेकर ₹400 तक
Safed musli ki kheti | सफेद मूसली की खेती कैसे होती है | Safed Musli Farming in Hindi | सफेद मूसली का रेट किसान भाइयो अगर आप JagoKisan.com द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद हो सके