अगर आप भी ग्वार उगाना चाहते हैं तो इस लेख में हम आपको Guar ki kheti कैसे उगाएं (Guar Cultivation in Hindi) और ग्वार की कीमत क्या है, इसकी जानकारी दे रहे हैं.
Guar ki kheti की फसल हेतु उपयुक्त भूमि (Guar Crop Soil)
ग्वार को अच्छे जल निकास वाली रेतीली मिट्टी में उगाना चाहिए। इसकी फसल सिंचित और असिंचित दोनों क्षेत्रों में आसानी से उगाई जा सकती है.
7.5 से 8.5 P.H. मान वाली लवणीय व् हल्की क्षारीय भूमि में ग्वार की खेती आसानी से कर सकते है |
ग्वार की उन्नत किस्में (Guar Improved Varieties)
- दानो के लिए उन्नत किस्म :- आरजीसी 417, आरजीसी 986, आरजीसी 197, अगेती ग्वार 111, मरू ग्वार, एफएस 277, दुर्गापुरा सफ़ेद और दुर्गाजय आदि |
- हरी फलियों हेतु उन्नत क़िस्म:- शरद बहार, गोमा मंजरी, पूसा नवबहार, पी 28-1-1, पूसा सदाबहार, एम 83, पूसा मौसमी और आईसी 1388 आदि |
- हरे चारे के लिए उन्नत क़िस्म:- बुन्देल ग्वार 3, ग्वार क्रांति, बुन्देल ग्वार 2, गोरा 80, बुन्देल ग्वार 1,मक ग्वार, एचएफजी 156, एचएफजी 119, आईजीएफआरआई 212-1 और आईआर 1395-2 आदि|
ग्वार के खेत की तैयारी (Guar Field Preparation)
Guar ki kheti को किसी भी मिट्टी में उगाया जा सकता है. लेकिन खेत को अच्छी तरह से जुताई करके तैयार करना चाहिए। इसके लिए खेत की गहरी जुताई कर सिंचाई करें.
पानी लगे खेत में पानी सूख जाने के पश्चात् दो से तीन तिरछी जुताई कर खेत की मिट्टी को भुरभुरा कर दे | इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर दे | समतल खेत में ग्वार के बीजो की रोपाई पंक्तियों में की जाती है |
ग्वार के बीजो की बुवाई का तरीका (Guar Seeds Sowing Method)
Guar ki kheti के बीजो को बीज के रूप में लगाया जाता है | बीजो को लगाने के लिए ड्रिल विधि या छिड़काव विधि का इस्तेमाल करते है | समतल विधि में बीजो को खेत में छिड़ककर हल्का पाटा लगाकर चला दिया जाता है |परिणामस्वरूप, बीज खेत में गहराई तक चले जाते हैं। ड्रिल विधि में बीज क्रमानुसार बोए जाते हैं।
Guar ki kheti एक पंक्ति में बीज से बीज की दूरी 10 से 15 सेमी और एक पंक्ति में 40 से 45 सेमी रखें। बुआई के समय खेत में पानी अवश्य होना चाहिए, ताकि बीज ठीक से जम सके। ग्वार के बीज ग्रीष्मकालीन में फरवरी से मार्च के बीच बोए जाते हैं, और वर्षाऋतु में बीज जून और जुलाई के बीच बोए जाते हैं।
ग्वार के बीजो की मात्रा व् बीजोपचार (Guar Seeds Quantity and Treatment)
यदि आप Guar ki kheti की फसल दानो और हरी फलियों के लिए करना चाहते है, तो उसके लिए 15 से 18 KG बीज की जरूरत होती है, तथा हरी खाद फसल में 30 से 35 KG बीज लगते है |
और हरी खरपतवार की फसल के लिए 30 से 35 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। इसके अलावा हरे चारे के लिए प्रति हेक्टेयर 35 से 40 किलोग्राम बीज का उत्पादन होता है.
इन बीजों को खेत में बोने से पहले, उन्हें पर्याप्त मात्रा में कैप्टान या बाविस्टिन से उपचारित करें ताकि बीजों में कीट पतंगे जैसी बीमारियों को पनपने से रोका जा सके।
अधिक जड़ ऊतक उत्पन्न करने के लिए पौधों को राइजोबियम एंटीबायोटिक दवाओं से उपचारित करना चाहिए। प्रति हेक्टेयर खेत में जीएम एंटी-बैक्टीरियल के दो 200 पैकेट की आवश्यकता होती है।
ग्वार के फसल की सिंचाई (Guar Crop Irrigation)
Guar ki kheti की फसल को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती. ख़रीफ़ के दौरान खेती में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। यदि वर्षा समय पर न हो तो 3 अतिरिक्त सिंचाई करनी चाहिए।
गर्मियों में पौधों को 6 से 7 दिन के अंतराल पर पानी दें. असिंचित क्षेत्रों में, अधिकतम उपज सुनिश्चित करने के लिए, खेत में 25 से 45 दिनों के बाद पर्याप्त मात्रा में थायोयूरिया का छिड़काव करना चाहिए।
ग्वार की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Guar Crop Weed Control)
Guar ki kheti की फसल में खरपतवार नियंत्रण का अत्यधिक महत्व है। इसलिए खेत से नियमित अंतराल पर खरपतवार की निराई – गुड़ाई करते रहना चाहिए.
ताकि पौधों की जड़ें ठीक से विकसित हो सकें और जड़ों तक ऑक्सीजन भी पहुंच सके. इसके अलावा रासायनिक खरपतवार नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर खेत में 1 किलोग्राम बेसालिन का छिड़काव करें.
Guar ki kheti की फसल रोग एवं रोकथाम (Guar Crop Diseases and Prevention)
जड़ गलन रोग
Guar ki kheti में यह रोग आमतौर पर ग्वार की फसलों में देखा जाता है यदि उनमें लंबे समय तक पानी भरा हुआ हो। इससे पौधे में दीमक लग जाती है और इसके फलस्वरूप पौधे की जड़ें सड़ने लगती हैं और कुछ समय बाद पौधा सूखकर गिर जाता है। इस रोग की रोकथाम के लिए बीजों को मैंकोजेब या थीरम की उचित मात्रा से उपचारित करें।
छाछिया
Guar ki kheti में यह रोग पौधों की पत्तियों पर आक्रमण कर उन्हें क्षति पहुँचाता है। प्रभावित पौधों की पत्तियों पर सफेद रंग का पाउडर जम जाता है। इस रोग की रोकथाम के लिए एक लीटर केराटिन को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रत्येक हेक्टेयर खेत में छिड़काव करें। इसके अलावा सल्फर पाउडर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
बैक्टीरियल ब्लाइट
Guar ki kheti में यह बहुत ही कष्टदायक रोग है. प्रभावित पौधों की पत्तियों पर गोलाकार धब्बे दिखाई देने लगते हैं। ग्वार के पौधों को इस रोग से बचाने के लिए बीज बोने से पहले उन्हें स्ट्रेप्टोसाइक्लिन की पर्याप्त मात्रा से उपचारित करें. इसके अलावा रोगरोधी किस्मों का चयन करना चाहिए.
सफ़ेद मक्खी एवं हरा तेला रोग
Guar ki kheti में यह रोग पौधों पर लार्वा के रूप में आक्रमण करता है. यह रोग पौधों की पत्तियों को खाकर नष्ट कर देता है। कुछ समय बाद पौधे की पत्तियाँ सूखकर सड़ जाती हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर मैलाथियान या ट्राइजोफॉस का मध्यम मात्रा में छिड़काव करें.
दीमक
ग्वार की फसल में यह रोग पौधे की जड़ों पर आक्रमण करता है. इस रोग के नियंत्रण के लिए खेत की अंतिम जुताई के समय प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम क्लोपाइरीफॉस पाउडर या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस मिलाएँ।
ग्वार के फसल की कटाई (Guar Harvest)
ग्वार की फसल की कटाई उपज की आवश्यकता के अनुसार की जाती है। इस बीच अगर आप हरी सब्जियों की फसल लेना चाहते हैं तो इसके लिए आपको 55 से 70 दिनों में कोमल टहनियों की कटाई करनी होगी. इन फलियों को 5 दिन के अंदर तोड़ लेना चाहिए.
इसके अतिरिक्त यदि आप चारे के रूप में फसल को प्राप्त करना चाहते है, तो उसके लिए 60 से 80 दिनों में पौधों पर फूल आने के दौरान उनकी कटाई कर ले | फसल से दानो को प्राप्त करने के लिए पूर्ण रूप से फसल के पक जाने पर ही तुड़ाई करे |
ग्वार की पैदावार और कीमत (Guar Yield and Price)
ग्वार की उन्नत किस्मों से प्राप्त हरे चारे में 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त होती है. इसके अलावा प्रति हेक्टेयर 70 से 120 क्विंटल हरी फलियां और 12 से 18 क्विंटल चावल का उत्पादन होता है.
बाजार में ग्वार की कीमतें किस्म के आधार पर 5000 रुपये से 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक होती हैं। ऐसे में किसान एक ही ग्वार की फसल से अच्छी आमदनी कमा सकते हैं.
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Guar ki kheti FaQs?
ग्वार कितने दिनों में पकती है?
91 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
गवार की बुवाई कब की जाती है?
जुलाई के अंतिम पखवाड़े में
एक बीघा में ग्वार का बीज कितना पड़ता है?
3 से 4 क्विंटल प्रति बीघा के करीब
गवार का सबसे अच्छा बीज कौन सा है?
दानो के लिए उन्नत किस्म :- आरजीसी 417, आरजीसी 986, आरजीसी 197, अगेती ग्वार 111, मरू ग्वार, एफएस 277, दुर्गापुरा सफ़ेद और दुर्गाजय आदि |
हरी फलियों हेतु उन्नत क़िस्म:- शरद बहार, गोमा मंजरी, पूसा नवबहार, पी 28-1-1, पूसा सदाबहार, एम 83, पूसा मौसमी और आईसी 1388 आदि |
हरे चारे के लिए उन्नत क़िस्म:- बुन्देल ग्वार 3, ग्वार क्रांति, बुन्देल ग्वार 2, गोरा 80, बुन्देल ग्वार 1,मक ग्वार
ग्वार कहां उगाया जाता है?
भारत, पाकिस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका
ग्वार के बीज कैसे लगाएं?
किसान भाइयों अबकी बार फसल पहले अच्छी थी लेकीन बाद में समय पर बारिश न होने से उत्पादन कमजोर है ग्वार वायदा में में तेजी आई है जिससे ग्वार में तेजी देखने को मिल रहा है ।
ग्वार का दूसरा नाम क्या है?
चतरफली
ग्वार की खेती कौन से महीने में करनी चाहिए?
जुलाई का प्रथम सप्ताह
Guar ki kheti | ग्वार की खेती कैसे करें | Guar Cultivation in Hindi | ग्वार की कीमत किसान भाइयो अगर आप jagokisan.com द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद हो सके