Gay Bhains me Sing or Punch ke Rog or Unke ilaj सींग और पूंछ पशु के शरीर के सौंदर्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण अंग हैं। गाय भैसों में, सींग की सुंदरता विशेष रूप से मूल्य के साथ-साथ गुणवत्ता भी बढ़ाती है। ये दोनों अंग चोटों और बीमारियों के प्रति अतिसंवेदनशील हैं।
Main diseases and treatment related to horns and tails of cows and buffaloes देखभाल और समय पर उपचार से हम जानवर की सुंदरता और मूल्य को बनाए रख सकते हैं।
Gay Bhains के सींगों के प्रमुख रोग और उनके घाव
सींग का कैंसर– यह रोग भारत और दुनिया के कुछ अन्य देशों जैसे सुमात्रा, इराक और ब्राजील में स्थानिक है। यह बीमारी भैसों से ज्यादा गाय-बैलों में देखने को मिलती है। ऐसे में कैंसर का मांस सींग में भर जाता है और सींग नरम हो जाता है। पशु अत्याधिक दर्द महसूस करता है और उस सींग की तरफ सिर झुका कर रखता है।
अन्य लक्षणों में जानवर का अपना सिर हिलाना, दीवार या खूंटे से सींग रगड़ना, उसकी नाक से खून बहना आदि शामिल हैं। कभी-कभी सींग टूटकर गिर जाता है। इसके बाद घाव बन जाता है उस पर मक्खियाँ बैठने लगती है। अंत में सींग के स्थान पर सड़ा हुआ कैंसर का माँस बच जाता है जिसमें कीड़े पड़ जाते हैं।
उपचार: सर्वप्रथम सर्जरी द्वारा कैंसर का माँस जड़ से निकालवा देना चाहिए। इसके बाद घाव पर प्रतिदिन, बिटाडीन की पट्टी करके स्प्रे किया जाता है। कैंसर रोधी दवा Vincristine Sulphate एवं Anthimaline के बताए अनुसार लगवाई जाती हैं।
सावधानियां: कीड़ों को प्रवेश करने से रोकने के लिए हॉर्नवाउंड पर दिन में 3-4 बार स्प्रे (टोपिक्योर) करें।
कैंसर रोधी दवाईयों का पूरा कोर्स करवाना चाहिए। अन्यथा कैंसर का माँस फिर से बढ़ जाता है।
Gay Bhains सींग का खोल/पोली उतरना
मुख्य कारण :
- पशुओं की आपसी लड़ाई के दौरान।
- सींग के पास खुजाने के लिए बेल में फंसना।
- अन्य बीमारी के इलाज के दौरान कटघरे में सींग फँसने से।
उपचार :
- खोल उतरने के बाद बहुत अधिक खून निकलता है और पशु को बहुत अधिक दर्द होती है। खून रोकने के लिए Tincture Benzion की पट्टी करनी चाहिए तथा उस पर स्प्रे Topicure करना चाहिए।
- जब खून बंद हो जाए उसके बाद घाव भरने तक बीटाडीन से पट्टी करके स्प्रे करना चाहिए।
- इस दौरान पशु को 3-5 दिन तक दर्द के टीके अवष्य दिए जाने चाहिए।
Gay Bhains सींग का टूटना
कारण :
- कई बार सींग में चोट लगने से सींग बीच से टूट जाता है।
Gay Bhains पूंछ से संबंधित मुख्य बीमारियाँ एवं घाव
- लैदरी/ पुंछ का सूखना/ डेगनाला रोग/ Tail Gangrene यह रोग भैंसों में अधिक पाया जाता है।
कारण
- यह रोग फंगस Fusarium और Aspergillus के कारण होता है।
- यह मुख्यतः धान की पराली में पाया जाता है।
- इसमें पूंछ के निचले हिस्से के साथ-साथ कानों का पिन्ना भी सूखने लगता है।
उपचार:
- पशुओं को नमी वाला व फंगस लगा तूड़ा/पराली नहीं खिलानी चाहिए।
- शुरूआत में दवाइयों से भी रोग ठीक हो जाता है। इसमें एक होमियोपैथिक दवाई ज्ंपसहनंतक 20 बूंद रोटी पर प्रतिदिन पशु को खिलाई जाती है।
- इसके अलावा पशु को नहलाते समय उसकी पूंछ को अच्छी तरह रगड़ कर धोना और उस पर सरसों व तारपीन के तेल की मालिष करना भी काफी लाभदायक सिद्ध होता है।
- पेंटासल्फेट मिश्रण (Feso4 166g + CuSo4 24g + ZnSo4 75g + CoSo4 15g + MgSo4 100g) पहले दिन 60 ग्रा. व इसके बाद 30 ग्रा. अगले दस दिन तक पशु को गुड़/आटे में मिलाकर खिलाना।
- एंटीबायोटिक इंजैक्षन – Terramycin L.A – 50 ml भी काफी प्रभावी इलाज है।
- पूंछ पर Nitroglycerin 2% क्रीम की मालिश भी इस रोग में काफी लाभदायक है।
- कई बार दवाइयों से ईलाज संभव नहीं हो पाता, तब पूँछ का रोगग्रस्त हिस्सा सर्जन द्वारा कटवा देना चाहिए।
Gay Bhains पूंछ में चोट लगना
कारण
- कम जगह में अधिक पशु रखना, जिससे पशु एक दूसरे की पूँछ पर पैर रख देते हैं।
- बाड़ के तार या कांटेदार झाड़ियों में पूंछ के उलझने से।
उपचार :
- यदि Gay Bhains चोट अधिक गहरी है और खून नहीं रूक रहा है तो पूंछ की जड़ में पट्टी बांध देनी चाहिए ताकि खून का बहना रूक सके।
- पूंछ के घाव का विषेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि यह निरंतर पशु के गोबर व पेषाब के संपर्क में रहता है।
- अतः प्रतिदिन घाव को साफ करके बीटाडीन, नियोस्पोरीन पाऊडर से पट्टी करके स्प्रे करना चाहिए।
यदि घाव ठीक नहीं हो रहा है और घाव से नीचे की पूंछ ठंडी पड़ रही है तो उसे सर्जन द्वारा कटवा देना ही बेहतर इलाज है। - उचित प्रबंधन और देखभाल से हम पशु को विभिन्न बीमारियों और सींग और पूंछ की चोटों से बचा सकते हैं। जानवरों को उचित दूरी पर रखा जाना चाहिए ताकि वे लड़ें नहीं या एक-दूसरे की पूँछ को रौंदें नहीं। यदि कोई घाव हो जाए तो उसकी नियमित रूप से देखभाल करनी चाहिए और गंदगी और मच्छरों से बचाना चाहिए।
- इससे घाव जल्दी भर जाता है और पशु तथा पशुचिकित्सक दोनों को अनावश्यक परेशानी से राहत मिलती है।
Gay Bhains me Sing or Punch ke Rog or Unke ilaj FaQs?
सींग या हॉर्न बढ़ने की समस्या क्या है और इसका उपचार क्या है?
Gay Bhains में सींग बढ़ने की समस्या आम है और इसे “सींग झुकना” के रूप में जाना जाता है। कई कारक इसका कारण बन सकते हैं जैसे अनुचित आहार, प्रदूषण या संक्रमण। इस समस्या के समाधान के लिए पशुचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। पशु चिकित्सा के अनुसार कुछ सींग वृद्धि अवरोधकों का उपयोग किया जा सकता है और इससे बचने के लिए सींग कैप का उपयोग किया जा सकता है।
पूंछ की समस्या क्या है और उसका उपचार क्या है?
पूंछ की समस्या Gay Bhains में आम होती है और इसे “डेंगरफीकेशन” कहा जाता है। इसमें पूंछ में रंग के परिवर्तन, खुदरा या फलीय पूंछ, या बालों की गिरावट शामिल हो सकती है। इस समस्या का पहला कारण आहार में कमी हो सकती है, इसलिए उचित पूंछ खिलाने चाहिए और पूंछ की समार्गदर्शन बेहतर करने के लिए निम्नलिखित उपयोगी सवालों और उनके जवाबों के माध्यम से आपको गाय भैसों की सींग और पूंछ संबंधी विविध मुद्दों के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी:
सींग और पूंछ में समस्याएं किस प्रकार उत्पन्न होती हैं?
Gay Bhains सींगों और पूंछों में सींग की अवधि का बढ़ना, सींग का सड़ना, पूंछ का रंग खराब होना, पूंछ का पतला होना आदि समस्याएं हो सकती हैं। सींग और पूंछ की समस्या का कारण क्या हो सकता है? सींग और पेड़ की समस्याओं के कारण पोषक तत्वों की कमी, बैक्टीरिया या कीड़ों का संक्रमण, प्रदूषण और तत्काल देखभाल की कमी जैसे विविध हो सकते हैं।
गाय भैसों में सबसे आम रोगों में से कुछ कौन-कौन से हैं?
Gay Bhains में कई रोगों की संभावना होती है, जिनमें सबसे आम रोगों में शामिल हैं:मस्तिष्क ज्वर (ब्रेन फीवर)
पांचवा रोग (प्योमेट्रा)
पेट का दर्द (गैस्ट्रोएंटेराइटिस)
श्वसन संबंधी समस्याएं (प्नेमोनिया)
पंखें में संक्रमण (फेथर रोट)
पीलिया (हेपेटाइटिस)
ग्रन्थिमा समस्या (मासिक धर्म की असामान्यता)
गाय भैसों के रोगों का उपचार कैसे किया जाता है?
दवाइयों का उपयोग: वेटरिनरी चिकित्सक द्वारा उपयुक्त दवाइयों का सुझाव दिया जाता है, जो रोग के प्रकार और गाय की स्थिति के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं।
स्वच्छता और आहार: उचित स्वच्छता की देखरेख करें और पोषक आहार प्रदान करें, जिससे गाय का प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो सके।
गायों के कौन सी बीमारी आई है?
लंपी वायरस से सर्वाधिक 90 फीसदी तक गाय संक्रमित हैं और गायों की ही सर्वाधिक मौत हुई है.
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