Akarkara ki kheti 2024 | अकरकरा की खेती कैसे करें | Anacyclus Pyrethrum Farming in Hindi | अकरकरा की कीमत | Akarkara Cultivation

यदि आप भी Akarkara ki kheti करना चाहते हैं, तो यहां आपके लिए अकरकरा रोपण, अकरकरा कैसे उगाएं, एनासाइक्लस पायरेथ्रम फार्मिंग इन हिंदी, अकरकरा की कीमतें और बहुत कुछ के बारे में सारी जानकारी प्रदान की गई है।

Table of Contents

Akarkara ki kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी (Suitable Soil for Cultivation of Akarkara)

Akarkara ki kheti खेती करने के लिए अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ मिट्टी होनी चाहिए क्योंकि जलभराव और भारी मिट्टी पर इसकी खेती को नहीं किया जा सकता है | इसकी खेती के लिए जरूरी P.H. मान लगभग 7 होना चाहिए|

अकरकरा की खेती में उपयुक्त जलवायु और तापमान (Suitable Climate and Temperature in Akarkara Cultivation)

Akarkara ki kheti

Akarkara ki kheti के लिए गर्म मौसम सबसे अच्छा माना जाता है. भारत में इसे रबी की फसल के बाद उगाया जाता है, अकरकरा की फसल को सूरज की रोशनी की बहुत जरूरत होती है। इसे छायादार क्षेत्रों में नहीं उगाया जा सकता क्योंकि इसके पौधों की जड़ें छायादार क्षेत्रों में अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाती हैं।

इसलिए Akarkara ki kheti छायादार या बरसाती इलाकों में नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इसमें ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। अकरकरा के पौधों पर सर्दी और गर्मी ऋतु का असर इसकी उपज पर नहीं पड़ता है, क्योंकि ये पौधे सर्दी की पीली पतझड़ के प्रति प्रतिरोधी होते हैं।

अकरकरा के पौधों को अंकुरण के लिए शुरुआत में 20 से 25 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। इसके पौधों को पनपने के लिए न्यूनतम 15 डिग्री और अधिकतम 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है और जब पौधे परिपक्व हो जाते हैं तो उन्हें 35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है।

खेत की तैयारी कैसे करे (How to Prepare the Field)

Akarkara ki kheti के लिए मिट्टी भुरभुरी और नर्म होनी चाहिए , यह एक कंदवर्गीय (Tuberous) फसल होती है, जिसके फल भूमि के अंदर विकास करते है | इसलिए जब इसकी खेती करे तो खेत की भूमि को रोटरी हल से गहरी जुताई करें और इसे कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें।

इसके बाद Akarkara ki kheti में गोबर की खाद डालकर अच्छी तरह मिट्टी में मिला दें. इसके बाद खेत में पानी लगाकर जुताई कर दें, जुताई करने के कुछ दिन बाद यदि खेत की ऊपरी मिट्टी सूखने लगे तो खेत की दोबारा जुताई करनी चाहिए.

पौधे तैयार करने का तरीका (How to Grow Plants)

अकरकरा की फसल वानस्पतिक और बीज दोनों रूपों में उगाई जा सकती है। इसके पौधों को भी पहले ग्रीनहाउस में तैयार किया जाता है, ग्रीनहाउस में बीज तैयार करने से पहले उन्हें गोमूत्र से उपचारित करना पड़ता है।

पौधों को शुरुआती बीमारियों से बचाने के लिए पौधों को उपचारित करने के बाद एक महीने पहले प्रो-ट्रे में रोपना चाहिए. जब बीज तैयार हो जाएं तो उन्हें खेत में तैयार मेड़ में रोप देना चाहिए.

पौधों को लगाने का सही तरीका व समय (Right Way and Time To Plant Plants)

अकरकरा का पेड़ बीज और वानस्पतिक दोनों रूपों में तैयार किया जा सकता है। अगर आप इसे बीज से उगाना चाहते हैं तो आपको तीन किलो बीज की जरूरत होगी और अगर आप इसे बीज से उगाना चाहते हैं तो दो किलो बीज ही काफी हैं. बीजों को खेत में बोने से पहले उन्हें गोबर से उपचारित करना चाहिए,

उसके बाद उन बीजों को खेत की कतारों में बोया जाता है। प्रत्येक बीज को 15 इंच की दूरी पर और दो से तीन इंच गहराई में रोपना चाहिए तथा मेड़ से मेड़ की दूरी एक फिट होनी चाहिए |

वानस्पतिक रूप में इसके पौधों की रोपाई भी मेड़ पर ही की जाती है। पौधे को मेड़ पर 15 से 20 सेमी की दूरी पर ज़िगज़ैग तरीके से लगाना चाहिए और रोपण करते समय 4 से 5 सेमी की गहराई पर लगाना चाहिए। शाम का समय रोपण के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है, जिससे पौधे अच्छे से अंकुरित होते हैं।

Akarkara ki kheti में बीज और पौधों की रोपाई को अक्टूबर और नवंबर महीने के बीच में करना चाहिए, क्योकि यह समय पौधों के विकास के लिए उपयुक्त माना गया है |

पौधों की सिंचाई का तरीका (Irrigation Methods of Plants)

एक बार खेत में लगाने के बाद पौधों को पानी देना चाहिए. इससे पौधों को बढ़ने में आसानी होती है। पौधों की पहली सिंचाई के बाद बीज अंकुरित होने तक खेत में नमी बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए.

Akarkara ki kheti सर्दियों में की जाती है जिसके कारण पौधे को अंकुरित होने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। 5 से 6 बूंद पानी डालने के बाद पौधा पक जाएगा. और एक बार जब पौधे अंकुरित हो जाएं तो उन्हें हर 20 से 25 दिन में पानी देते रहना चाहिए.

Akarkara ki kheti (अकरकरा की खेती) में खरपतवार पर नियंत्रण (Weed Control)

अकरकरा की खेती में खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी है. इसमें खरपतवार पर नियंत्रण के लिए निराई – गुड़ाई का इस्तेमाल किया जाता है  खाद का रासायनिक उपचार खाद की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

ऐसे में पहली खरपतवार की गुड़ाई रोपण के लगभग 20 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए। इसके बाद 20 से 25 दिन के अंदर खरपतवार की गुड़ाई कर लेनी चाहिए. उसके पौधों के लिए तीन निराई-गुड़ाई काफी है।

अकरकरा के पौधों में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम (Diseases and Their Prevention in Plants of Akarkara)

अभी तक इसके पौधों में कोई रोग नहीं पाया गया है, लेकिन अत्यधिक अपवाह के कारण इसके पौधों के सड़ने की संभावना अधिक रहती है. इससे इसकी फसल को काफी नुकसान हो सकता है, इसलिए जलभराव की स्थिति से बचना चाहिए.

अकरकरा के पौधों की खुदाई और सफाई का तरीका (Plant Digging and Cleaning Method)

Akarkara ki kheti रोपण के लगभग 5 से 6 महीने बाद पौधे खेत से खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जो पौधे पूर्ण रूप से परिपक्व हो जाते हैं उनकी पत्तियां पीली पड़ जाती हैं तथा पौधे सूखी अवस्था में होते हैं।

उनकी खुदाई गहरी मिट्टी उखाड़ने वाले हलो से कर लेनी चाहिए तथा खुदाई से पहले पौधों पर बने बीज वाले डंठलों को तोड़कर जमा कर ले |वे प्रति एकड़ लगभग डेढ़ से दो क्विंटल बीज का उत्पादन करते हैं।

इन उखाड़े गए पौधों को धोकर, कटाई करके पौधों से अलग कर देना चाहिए और जड़ों से अलग होने के बाद दो से तीन दिन तक किसी छायादार जगह या हल्की धूप में सुखाकर बोतलों में भरकर बाजार में बेच देना चाहिए। एकल जड़ वाली फसलों का बाजार मूल्य अधिक होता है।

अकरकरा की फसल की पैदावार और लाभ (Akarkara Crop Yield and Benefits)

Akarkara ki kheti में प्रति एकड़ फसल डेढ़ से दो क्विंटल बीज और 8 से 10 क्विंटल जड़ें पैदा होती हैं। ये जड़ें बाजार में 20 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकती हैं और इसके फल का बाजार मूल्य लगभग 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल है. भाई किसान एक फसल में प्रति एकड़ 2 से 3 लाख रुपये तक कमा सकते हैं.

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Akarkara ki kheti FaQs?

अकरकरा खाने के क्या फायदे हैं?

ह्रदय को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है

अकरकरा का पौधा कैसे होता है?

इस फसल के लिए सम शीतोष्ण जलवायु सर्वश्रेष्ठ होती है।

अकरकरा का बीज क्या भाव मिलता है?

10 हजार रुपए प्रति क्विंटल

अकरकरा का क्या भाव है?

400 रुपए किलो

अकरकरा की खेती कितने महीने की होती है?

6 से 8 महीने

अकरकरा का दूसरा नाम क्या है?

एनासाइक्लस पाइरेथ्रम

अकरकरा के किस भाग का उपयोग किया जाता है?

जड़ों का

अकरकरा कितने प्रकार का होता है?

अकरकरा, करकरकरा, अक्कलकारा, अकलकराभ, अक्कलाकरभ, अक्कलाका होम्मुगुलु, एनासिक्लस पाइरेथ्रम, अकलकारा, बेके तख्खा, खाखरा, लॉन्गवॉर्ट हैं

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