अगर आप भी Kadi Patta ki kheti योजना बना रहे हैं तो इस लेख में आपको करी पत्ता (Curryपत्तियां खेती इन हिंदी) और मीठी नीम की पत्तियां कैसे उगाएं इसकी जानकारी दी जा रही है। है |
Kadi Patta ki kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Curry Leaves Cultivation Soil, Climate and Temperature)
Kadi Patta ki kheti के लिए नरम उपजाऊ काली मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसे सिंचित क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है. इसकी खेती जल जमाव वाली मिट्टी में नहीं करनी चाहिए. पी.एच.
इसकी खेती में भूमि का P.H. मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए |
Kadi Patta ki kheti की तैयारी और उवर्रक (Curry Field Preparation and Fertilizers)
पूरी तरह से परिपक्व करी के पौधे 10 से 15 वर्षों तक फल देते हैं, इसलिए उनके खेतों को अच्छी तरह से बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
इस प्रयोजन के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करके खेत में बची हुई पुरानी फसलों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाता है और हटा दिया जाता है।
इसके बाद कुछ समय के लिए खेत को ऐसे ही खुला छोड़ दें. इससे खेत की मिट्टी को पर्याप्त धूप मिलती है और मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
पहली जुताई के बाद इसमें लगभग 200 क्विंटल पुराना गोबर मिलाकर दो से तीन तिरछी जुताई करके कल्टीवेटर से जुताई की जाती है. इस कारण गाय का गोबर खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाता है।
मिट्टी में गोबर मिलाने के बाद पानी से खेत की जुताई की जाती है। जुताई के बाद यदि खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखने लगे तो रोटावेटर लगाकर खेत की दो से तीन बार तिरछी जुताई कर लेते हैं।
इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है,मिट्टी के भुरभुरा हो जाने के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है |
इसके बाद खेत में लगातार तीन से चार मीटर गहरी गड्डो तैयार की जाती हैं. ये खाइयाँ एक पंक्ति में तैयार की जाती हैं, प्रत्येक पंक्ति के बीच उचित दूरी छोड़ी जाती है।
आप चाहें तो प्राकृतिक खाद की जगह जैविक खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इन गड्ढों को रोपण से 15 दिन पहले मिट्टी में खाद मिलाकर तैयार किया जाता है। इसके बाद जब पौधा तीन महीने का हो जाए तो पौधे में दो से तीन किलोग्राम जैविक खाद डालना चाहिए.
Kadi Patta ki kheti के बीजो की रोपाई का सही समय और तरीका (Curry Seeds Sowing Right time and Method)
Kadi Patta ki kheti के बीजो की रोपाई बीज के रूप में की जाती है | इसके अलावा इसे कलम के माध्यम से भी लगाया जा सकता है लेकिन किसान भाई बीज द्वारा लगाना पसंद करते हैं. एक एकड़ खेत में लगभग 70 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज को खेत में 3 से 4 मीटर की दूरी पर तैयार गड्डो में बोया जाता है।
बुआई से पहले बीजों को गाय के दूध में दो से तीन घंटे तक भिगोया जाता है. इसके बाद बीजों को 3 से 4 सेमी गहरी गड्डो में दबा दिया जाता है.
एक गड्ढे में दो से तीन बीज रोपने चाहिए. करी बीज बोने के लिए मार्च का महीना सबसे अच्छा माना जाता है. मार्च में बोए गए पौधे 7 महीने बाद सितंबर से अक्टूबर महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। पहली फसल की कटाई के बाद इसके पौधों की कटाई हर 3 महीने में की जा सकती है.
Kadi Patta ki kheti के पौधों की सिंचाई (Curry Plants Irrigation)
Kadi Patta ki kheti के पौधों की पहली सिंचाई बीज रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है | इसके बाद जब बीजो का अंकुरण होने लगे उस दौरान गड्डो में नमी की जरूरत होती है,, इसके लिए हर तीन दिन में पानी देना चाहिए।
इसके बाद यदि बीज अंकुरित होकर वानस्पतिक हो जाएं तो उन्हें सप्ताह में एक बार पानी देना चाहिए। वर्षा ऋतु में यदि समय पर वर्षा हो रही हो तो पर्याप्त सिंचाई की आवश्यकता होती है तथा शीत ऋतु में आवश्यकता पड़ने पर ही पानी दें।
Kadi Patta ki kheti के पौधों में खरपतवार नियंत्रण (Curry Plants Weed Control)
करी के पौधों में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई विधि का प्रयोग किया जाता है। उनके पौधों को केवल चार से पांच खरपतवार गुड़ाई की आवश्यकता होती है।
इसका पहला खरपतवार बीज बोने के एक महीने बाद बोया जाता है और दूसरे खरपतवार की गुड़ाई दो महीने बाद की जाती है। शेष गुड़ाई प्रत्येक गुड़ाई के एक माह बाद की जाती है।
Kadi Patta ki kheti के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Curry Plants Diseases and Prevention)
दीमक का रोग
यह कवक रोग पौधों की जड़ों पर हमला करता है और उन्हें नुकसान पहुंचाता है। जमीन से यह हमला करता है. संक्रमित पौधे शुरू में मुरझाने लगते हैं और गंभीर मामलों में पौधे पूरी तरह से मुरझाकर नष्ट हो जाते हैं। इस रोग से पौधों को बचाने के लिए पौधों पर पर्याप्त मात्रा में क्लोरोपाइरीफॉस का छिड़काव किया जाता है.
जड़ गलन
यह रोग आम तौर पर करी के पौधों पर पानी की रुकावट की स्थिति में देखा जाता है। इस रोग के लगने से पौधे की पत्तियाँ बदरंग हो जाती हैं, जिसके बाद पौधा मर जाता है। इस रोग से बचाव के लिए करी पौधे की जड़ों के पास पानी न काटें। इसके अलावा पौधों की जड़ों पर ट्राइकोडर्मा का अच्छी तरह से छिड़काव किया जाता है।
कीटों का आक्रमण
यह रोग पौधों पर परजीवी के रूप में हमला करता है, यह रोग जलवायु परिवर्तन के कारण आम तौर पर देखा जाता है। इस कीट के लार्वा पत्तियों पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर देते हैं। इसकी पत्तियों का व्यावसायिक उपयोग किया जाता है। नीम के तेल का छिड़काव करने से इसके पौधों को बीमारियों से बचाया जाता है.
Kadi Patta ki kheti के पत्तो की कटाई, पैदावार और लाभ (Curry Leaves Harvesting, Yield and Benefits)
कढ़ी के पौधे बुआई के सात महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके पहले पौधों की कटाई आधा फुट ऊपर से की जाती है. पहली कटाई के तीन महीने बाद इसकी पत्तियाँ दोबारा कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं।
इसके पौधों की कटाई फूल आने से पहले की जाती है, क्योंकि फूल आने से पौधा बड़ा होता है। एक बार कटाई के बाद, पत्तियों को इकट्ठा किया जाता है और छायादार जगह पर सुखाया जाता है।
एक बार अच्छी तरह सूख जाने पर, पत्तियों का पाउडर बना लिया जाता है या बिक्री के लिए बाजार में भेज दिया जाता है। इसके पौधों की कटाई साल में चार बार की जा सकती है.
एक एकड़ भूमि से लगभग तीन से चार टन उपज प्राप्त होती है। इससे किसान एक फसल से 1 लाख रुपये तक आसानी से कमा सकते हैं.
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Kadi Patta ki kheti FaQs?
Kadi Patta ki kheti का पौधा कब लगाना चाहिए?
फरवरी से मार्च के महीने
कड़ी पत्ता का पौधा कैसे उगाएं?
कढ़ी के बीजो की रोपाई बीज के रूप में की जाती है | इसके अलावा इसे कलम के माध्यम से भी लगाया जा सकता है लेकिन किसान भाई बीज द्वारा लगाना पसंद करते हैं. एक एकड़ खेत में लगभग 70 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज को खेत में 3 से 4 मीटर की दूरी पर तैयार गड्डो में बोया जाता है।
कड़ी पत्ता का असली नाम क्या है?
मुरराया कोएनिगी
Kadi Patta ki kheti की देखभाल कैसे करें?
कढ़ी के पौधों की पहली सिंचाई बीज रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है | इसके बाद जब बीजो का अंकुरण होने लगे उस दौरान गड्डो में नमी की जरूरत होती है,, इसके लिए हर तीन दिन में पानी देना चाहिए।
करी पत्ता के पौधे के लिए सबसे अच्छा उर्वरक कौन सा है?
जैविक खाद
Kadi Patta ki kheti | कढ़ी (करी) पत्ता की खेती कैसे करें | Curry Leaves Farming in Hindi | मीठी नीम के पत्ते कैसे होते हैं किसान भाइयो अगर आप JagoKisan.com द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मददहो सके|