मक्का एक प्रकार की ख़रीफ़ फ़सल है, लेकिन जहाँ सिंचाई उपलब्ध हो वहाँ इसे पहली रबी और ख़रीफ़ फ़सल के रूप में Makka ki kheti उगाया जाता है। मक्के की फसल की बहुत मांग है और इस कारण यह आसानी से बिक जाती है।
अगर किसान भाई Makka ki kheti उगाकर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो इस पोस्ट में मक्के की खेती कैसे करें (Maize खेती इन हिंदी) के बारे में जानकारी दी जा रही है। इसके अलावा अगर आपको
इसके अलावा Makka ki kheti की वैरायटी की जानकारी प्राप्त करके अच्छी उपज कर सकते है |
मक्के की खेती कैसे करे (Maize Farming in Hindi)
मक्के की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान (Maize Cultivation Suitable, Climate and Temperature)
मक्के की अच्छी पैदावार के लिए सही जलवायु और तापमान का होना जरूरी है। इसकी फसलें उष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपती हैं। उसके पौधों को सही मात्रा में गर्मी की आवश्यकता होती है।
प्रारंभ में इसके पौधों को बढ़ने के लिए पानी की आवश्यकता होती है, वानस्पतिक वृद्धि के लिए 18 से 23 डिग्री के बीच का तापमान और वानस्पतिक वृद्धि के लिए 28 डिग्री का तापमान आदर्श माना जाता है।
Makka ki kheti के लिए उपयुक्त भूमि (Maize Cultivation Suitable Land)
मक्के को सामान्यतः किसी भी मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन बेहतर गुणवत्ता और अधिक पैदावार के लिए बलुई दोमट और भारी मिट्टी आवश्यक है। इसके अलावा मिट्टी अच्छी जल निकास वाली होनी चाहिए. मक्का उत्पादन के लिए नमकीन और क्षारीय मिट्टी उपयुक्त नहीं मानी जाती है।
मक्का की वैरायटी (Maize Improved Varieties)
मक्के की अधिक जल्द समय में तैयार होने वाली किस्मे (75 दिन से कम समय)
- मक्के की अधिक जल्द समय में तैयार होने वाली किस्मे (75 दिन से कम समय)
- जवाहर मक्का-8,
- विवेक-43, विवेक-42, विवेक-4, विवेक-17,
- प्रताप हाइब्रिड मक्का-1
85 दिन से कम समय में तैयार होने वाली मक्के की किस्मे
- डीएचएम-107, डीएचएम-109
- जवाहर मक्का-12
- अमर
- आजाद कमल
- पंत संकुल मक्का-3
- चन्द्रमणी, प्रताप-3
- विकास मक्का-421
- हिम-129
- पूसा अरली हाइब्रिड मक्का-1, पूसा अरली हाइब्रिड मक्का-2
- प्रकाश
- पी.एम.एच-5
- प्रो-368
- एक्स-3342
- डीके सी-7074
- जेकेएमएच-175
- हाईशेल एवं बायो-9637.
मक्के की सामान्य समय (95 दिन) में तैयार होने वाली किस्मे
- जवाहर मक्का-216
- एचएम-10, एचएम-4
- प्रताप-5
- पी-3441
- एनके-21
- केएमएच-3426, केएमएच-3712
- एनएमएच-803
- बिस्को-2418
अधिक देरी से (95 दिन से अधिक) पकने वाली Makka ki kheti की किस्म
- गंगा- 11
- त्रिसुलता
- डेक्कन- 101, डेक्कन-103, डेक्कन-105
- एचएम- 11
- एचक्यूपीएम- 4
- सरताज, प्रो- 311
- बायो- 9681
- सीड टैक-2324
- बिस्को- 855
- एनके 6240
- एसएमएच- 3904
Makka ki kheti को कैसे तैयार करे (Maize Field Prepare)
खेत में मक्के के बीज बोने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए. इसके लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करनी होगी. इसके बाद कुछ समय के लिए खेत को ऐसे ही खुला छोड़ दें. मक्के के सफल उत्पादन के लिए मिट्टी की पर्याप्त उर्वरता आवश्यक है।
इसके लिए Makka ki kheti में 6 से 8 टन पुराना गोबर भर देना चाहिए, फिर खेत की मोटी जुताई करा देनी चाहिए, ताकि गोबर अच्छी तरह से मिट्टी में मिल जाए।
यदि मिट्टी में जिंक की कमी हो तो वर्षा ऋतु से पहले खेत में 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट डालना चाहिए। खरपतवार एवं उर्वरक उन्नत उन्नत किस्मों पर आधारित होना चाहिए। इसके बाद, नाइट्रोजन दर का 1/3 हिस्सा रोपण के समय, दूसरे चरण में रोपण के एक महीने बाद और अंतिम चरण में पौधे में फूल आने के दौरान लगाया जाना चाहिए।
बीजो की रोपाई का सही समय और तरीका (Sowing Seeds Right time and Method)
Makka ki kheti में बीज बोने से पहले, उनकी अच्छी तरह से खेती की जानी चाहिए, ताकि बीज के पकने के दौरान बीमारियों से बचा जा सके। इसके लिए सबसे पहले बीज को थीरम या कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम प्रति 1 किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. इस उपचार से बीजों को फफूंदी से बचाएं। इ
सके बाद बीजों को मिट्टी के कीड़ों से बचाने के लिए उन्हें थायोमेथोक्सम या इमिडाक्लोप्रिड 1 से 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करना चाहिए.
Makka ki kheti के बीजो की रोपाई सीड ड्रिल विधि द्वारा भी बो सकते है | इसके बीज बोने के लिए खेत में 75 सेमी की दूरी वाली कतारें तैयार करनी चाहिए और प्रत्येक बीज के बीच की दूरी 22 सेमी होनी चाहिए.
मक्के के बीज साल के अलग-अलग समय पर लगाए जा सकते हैं। आप चाहें तो इसे मार्च के अंत तक बो सकते हैं या फिर अक्टूबर से नवंबर या जनवरी से फरवरी के बीच भी बो सकते हैं.
मक्के के पौधों की सिंचाई (Maize Plants Irrigation)
Makka ki kheti को इष्टतम स्थापना तक 400-600 मिमी पानी की आवश्यकता होती है। रोपण के तुरंत बाद इसे पहली बार पानी देना चाहिए। इसके बाद अगर पौधे पर दाने जमने लगें तो पानी देने की जरूरत होती है. मक्के की फसल की सिंचाई बुआई के मौसम के अनुसार की जाती है।
इसके अलावा धान की फसल को खरपतवारों से भी बचाना चाहिए. खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई विधि का प्रयोग किया जाता है। यदि मकई के खेतों में खरपतवार पाए जाते हैं, तो खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक रूप से निराई-गुड़ाई करनी चाहिए और यदि 20 से 25 दिनों के भीतर खरपतवार पाए जाते हैं, तो उन्हें हटा देना चाहिए।
अतिरिक्त कमाई (Extra Earnings)
Makka ki kheti के मौसम के दौरान, आप मक्के के खेत में अन्य फसलें उगाकर भी अतिरिक्त आय कमा सकते हैं। ऐसे में आप मूंग, तिल, सोयाबीन, बोरो या बरबटी, उड़द, बीन्स जैसी फसलें उगा सकते हैं। इससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा.
मक्के के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Maize plant Diseases and their Prevention)
तना मक्खी रोग
इस प्रकार के रोग का प्रकोप वसंत ऋतु में फसलों में देखा जाता है। तना मक्खी रोग पौधों पर आक्रमण कर उनकी जड़ों को खोखला कर देता है, जिससे पौधे पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं। इस रोग से बचाव के लिए प्रति लीटर पानी में 2 से 3 मिलीलीटर फिप्रोनिल मिलाकर छिड़काव करें।
तना भेदक सुंडी रोग
यह रोग पेड़ में छेद करके उसे अंदर से खाकर सुखा देता है। परिणामस्वरूप पेड़ सूखकर ख़राब हो जाता है। क्विनालफॉस 30 या पर्याप्त मात्रा में क्लोरेंट्रानिलिप्रोल का छिड़काव करके इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
भूरा धारीदार मृदुरोमिल आसिता रोग
Makka ki kheti के यह रोग पौधे के लिए बहुत हानिकारक होता है. इस रोग के लगने पर पौधे की पत्तियों पर चौड़े हरे या हल्के पीले रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, ये धब्बे पीले पड़ जाते हैं और सुबह पत्तियों पर कालिख जैसी फफूंद दिखाई देने लगती है। मेटालेक्सिल या मैंकोजेब की सही मात्रा का छिड़काव करके इस संक्रमण को रोका जा सकता है।
पत्ती झुलसा कीट रोग
Makka ki kheti के यह कीट रोग पत्तियों के आधार से प्रारंभ होकर शीर्ष पर आक्रमण करता है। इस रोग से प्रभावित होने पर पत्तियों के आधार पर लंबी भूरी गोलाकार धारियां दिखाई देने लगती हैं। मैंकोजेब या प्रोबेनेब का उचित घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करने से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
मक्के के फलो की तुड़ाई पैदावार और लाभ (Maize Fruit Harvesting, Yield and Benefits)
Makka ki kheti के फलों की कटाई उन्नत किस्मों के आधार पर की जाती है। इसके फल कटाई के समय 25% तक जमे हुए होते हैं। मक्के की कटाई के बाद उसे खोदा जाता है और उसका दाना निकाल दिया जाता है।
अनाज निकालने के लिए तहखाने का उपयोग किया जाता है। बीज को खुरचनी से भी हटाया जा सकता है। मक्के की कटाई कर अलग करने के बाद दानों को धूप में अच्छी तरह सुखाकर सुरक्षित रखा जाता है।
एक हेक्टेयर खेत में उपयुक्त किस्मों से 35 से 55 क्विंटल उपज मिलती है, वही पौधों के मिश्रण से 55 से 65 क्विंटल उपज मिलती है। गेहूं का बाजार मूल्य 15 से 20 रुपये के बीच है। इस कारण किसान भाई खेती करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
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Makka ki kheti FaQ?
मक्के की खेती कौन से महीने में की जाती है?
अक्टूबर से नवम्बर तक।
1 एकड़ में मक्का कितना होता है?
40 क्विंटल
मक्का की खेती कब और कैसे?
मुख्य फसल(खरीफ) के लिए बुवाई मई-जून मे होती है|
सर्दी मे मक्का की बुआई अक्टूबर अंत से नवम्बर तक कर सकते है|
बसन्त ऋतु में मक्का की बुआई हेतु सही समय जनवरी के तीसरे सप्ताह में मध्य फरवरी तक है|
मक्के की फसल कितने दिन में तैयार होती है?
यह किस्म पकने के लिए 90-95 दिनों का समय लेती है। इसके हरे चारे की औसतन पैदावार 187-200 क्विंटल प्रति एकड़ है।
मक्का एक बीघा में कितना बोया जाता है?
प्रति बीघा 4 किग्रा बीज बोया था, यानी 70 बीघा में 2 क्विंटल 80 किग्रा बीज लगा।
मक्का उगाने में कितने महीने लगते हैं?
95 दिन
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