Dhan me lagne wale rog or niyantran धान में लगने वाले प्रमुख रोग एवं नियंत्रण के उपाय

यहां हमें Dhan me lagne wale rog or niyantran के उपायों के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। चावल उत्पादन को लेकर किसान भाई सबसे ज्यादा चिंतित रहते हैं और वह है चावल में लगने वाली तरह-तरह की बीमारियाँ।

हमारे अधिकांश किसान भाई इन बीमारियों से अनजान हैं। इसके कारण अक्सर समय रहते इनका नियंत्रण न हो पाने से धान की फसल को भारी नुकसान होता है।

अगर हम समय रहते चावल की खेती में इन बीमारियों का पता लगाकर रोकथाम के उपाय विकसित कर लें तो फसल को खराब होने से बचाया जा सकता है। यहां आपको चावल की फसलों की प्रमुख बीमारियों और इन बीमारियों को नियंत्रित करने के तरीके के बारे में जानकारी मिलेगी।

किसान भाइयों से अनुरोध है कि कृपया यहां दी गई जानकारी को ध्यानपूर्वक पढ़ें। साथ ही, निःसंदेह आप बीमारी के बारे में भी सीखेंगे।

Dhan me lagne wale rog | धान में लगने वाले प्रमुख रोग

  1. सफेदा रोग
  2. खैरा रोग
  3. शीथ ब्लाइट
  4. झोंका रोग
  5. भूरा धब्बा
  6. जीवाणु झुलसा
  7. जीवाणु धारी
  8. मिथ्य कण्डुआ

Dhan me lagne wale rog सफेदा रोग: आयरन की कमी के कारण यह रोग नर्सरी में बहुत आम है। नई पत्तियाँ कागज़-सफ़ेद दिखाई देती हैं।

Dhan me lagne wale rog सफेदा रोग

Dhan me lagne wale rog खैरा रोगः: यह रोग जिंक की कमी से होता है। इस रोग में पत्तियाँ पीली हो जाती हैं और बाद में उन पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं।

Dhan me lagne wale rog खैरा रोग

Dhan me lagne wale rog शीथ ब्लाइटः: इस रोग में पत्तियों पर अनियमित धब्बे दिखाई देते हैं, जिनके किनारे गहरे भूरे और मध्य शिराएं हल्के रंग की होती हैं।

Dhan me lagne wale rog शीथ ब्लाइट

Dhan me lagne wale rog झोंका रोगः: इस रोग में पत्तियों पर आंख जैसे धब्बे दिखाई देते हैं, जो बीच में राख के रंग के और किनारों पर गहरे भूरे रंग के होते हैं। पत्तियों के अलावा, बालियों, तनों, फूलों की शाखाओं और शिराओं पर गहरे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।

Dhan me lagne wale rog झोंका रोग

Dhan me lagne wale rog भूरा धब्बाःइस रोग में पत्तियों पर गहरे कत्थई रंग के गोल अथवा अण्डाकार धब्बे बन जाते हैं। इन धब्बों के चारों तरफ पीला घेरा बन जाता है तथा मध्य भाग पीलापन लिये हुए कत्थई रंग का होता है।

Dhan me lagne wale rog भूरा धब्बा

Dhan me lagne wale rog जीवाणु झुलसाः: इस रोग में पत्तियां सिरे या किनारे से पूरी तरह मुरझाने लगती हैं। उसके सूखे होंठ अनियमित और टेढ़े-मेढ़े होंगे।

Dhan me lagne wale rog जीवाणु झुलसा

Dhan me lagne wale rog जीवाणु धारीः इस रोग में पत्तियों पर नसों के बीच कत्थई रंग की लम्बी-लम्बी धारियॉ बन जाती हैं।

Dhan me lagne wale rog जीवाणु धारी

Dhan me lagne wale rog मिथ्या कण्डुआः इस रोग में बालियों के कुछ दाने पीले रंग के पाउडर में बदल जाते हैं, जो बाद में काले हो जाते हैं।

Dhan me lagne wale rog मिथ्या कण्डुआ

Dhan me lagne wale rog का नियंत्रण कैसे करें ?

  • बीजों का उपचार: झुलसा और धब्बा रोग के नियंत्रण के लिए बीज उत्पादन के बाद प्रति किलोग्राम बीज की दर से 25 किलोग्राम बीज में 4.0 ग्राम 90 प्रतिशत स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट + 10 प्रतिशत टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड, एनडीजिम 50% डब्लूपी 2.0 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से लगाना चाहिए।
  • शीथ ब्लाइट रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 50% डब्लूपी 2.0 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करके बोना चाहिए।
  • भूरा धब्बा रोग के नियंत्रण के लिए बीज खेती के अंत में 2.50 ग्राम थीरम 75% WS या 4.0 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलोग्राम बीज की दर से बोना चाहिए।
  • फाल्स कंडुआ रोग के नियंत्रण के लिए बुआई के बाद 2.0 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50% डब्लूपी प्रति किलोग्राम बीज की दर से बोना चाहिए।
  • खैरा रोग: बुआई/रोपण से पहले आखिरी जुताई में जिंक सल्फेट 20-25 किग्रा/हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलाने से खैरा रोग का प्रकोप नहीं होता है।
  • कीटों/विषाणु रोगों के नियंत्रण के लिए जैव कीटनाशक (जैव कवकनाशी) स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 0.5% डब्लू.पी. का छिड़काव करना लाभकारी होता है।
  • बुआई/रोपण से पहले 2.50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 10-20 किलोग्राम महीन रेत जैसे उर्वरक के साथ मिलाएं। भंडारण के लगभग 5 दिन बाद बुआई से पहले उक्त जैव कीटनाशकों की कुल 2.50 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम गाय के गोबर में मिलाकर मिट्टी में मिला दी जा सकती है।
  • मृदा जनित रोगों को नियंत्रित करने के लिए: बायोपेस्टीसाइड (जैव कवकनाशी) ट्राइकोडर्मा बर्डी 1% या ट्राइकोडर्मा हार्ज़ियानम 2% 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 60-75 किलोग्राम अच्छी तरह से सड़ी हुई गाय के गोबर के साथ मिलाएं और हल्के छिड़काव के बाद 8-10 दिनों के लिए छाया में रखें, बुआई से पहले खेत में मिट्टी में मिला दें, इससे शीथ ब्लाइट, मोथ कंडुआ आदि बीमारियों को रोकने में मदद मिलती है।
  • यह कार्यक्षमता में मदद करता है.

Dhan me lagne wale kit or upay | धान में लगने वाले प्रमुख कीट एवं नियंत्रण के उपाय

धान में झुलसा रोग की दवा

धान में जीवाणु झुलसा एवं जीवाणु धारी रोग के नियंत्रण हेतु 15 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90 प्रतिशत+टेट्रासाक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत को 500 ग्राम कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू०पी० के साथ मिलाकर प्रति हे० 500-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

धान में झोंका रोग की दवा

चावल में पफ रोग के नियंत्रण के लिए निम्नलिखित में से प्रत्येक उपचार 500-750 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।

कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू०पी० 500 ग्राम
एडीफेनफास 50 प्रतिशत ई०सी०500 मिली०
हेक्साकोनाजोल 5.0 प्रतिशत ई०सी०1.0 ली०
मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी०2.0 किग्रा०
जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी०2.0 किग्रा०
कार्बेण्डाजिम 12 प्रतिशत+मैंकोजेब 63 प्रतिशत डब्लू०पी०750 ग्राम
आइसोप्रोथपलीन 40 प्रतिशत र्इ०सी०750 मिली प्रति हे०
कासूगामाइसिन 3 प्रतिशत एम०एल०1.15 ली० प्रति हे०

धान में भूरा धब्बा रोग की दवा

धान में भूरा धब्बा रोग के नियंत्रण के लिए निम्नलिखित में से प्रत्येक उपचार 500-750 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।

1एडीफेनफास 50 प्रतिशत ई०सी०500 मिली०
2मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी०2.0 किग्रा०
3जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी०2.0 किग्रा०
4जिरम 80 प्रतिशत डब्लू०पी०2.0 किग्रा०
5थायोफिनेट मिथाइल 70 प्रतिशत डब्लू०पी०1.0 किग्रा०

Dhan me lagne wale rog एवं नियंत्रण के उपाय हमारे सभी किसान भाईयों के लिए महत्वपूर्ण हैं। फिर जब भी यह रोग आपकी धान की फसल में दिखाई दे तो आप इसे तुरंत नियंत्रित कर सकते हैं।

अगर आप उन्नत खेती करना चाहते हैं तो इस वेबसाइट पर आपको खेती की पूरी जानकारी मिलेगी। आप इस जानकारी को साझा करके अन्य किसान भाईयों की भी मदद कर सकते हैं। धन्यवाद, जय जवान-जय किसान!

Dhan me lagne wale rog FaQ?

धान में लगने वाले प्रमुख रोग एवं नियंत्रण के उपाय

धान की फसल में विभिन्न बीमारियां जैसे धान का झोंका, भूरा धब्बा, शीथ ब्लाइट, आभासी कंड और तना छेदक, गुलाबी तना छेदक, पत्ती लपेटक, धान का फुदका और गंधीबग जैसे कीट नुकसान पहुंचाते हैं।

धान में कौन सा कीटनाशक दवाई डालना चाहिए?

एसिटामिप्रिट 20 प्रतिशत एस०पी० 50-60 ग्राम/हे० 500-600 ली० पानी में घोलकर छिड़काव करें। कार्बोफ्यूरान 3 जी 20 कि०ग्रा० 3-5 सेमी० स्थिर पानी में

धान की ग्रोथ के लिए क्या करना चाहिए?

प्रति एकड़ ढाई किलोग्राम यूरिया और आधा किलोग्राम जिंक को मिलाकर 100 लीटर पानी से स्प्रे कर दें। इसके बाद धान की ग्रोथ शुरू हो जाएगी।

1 एकड़ धान में कितना डीएपी डालें?

1 एकड़ धान के फसल में 1 बोरी डीएपी डालना चाहिए यानि 50 किलोग्राम डीएपी डालना आवश्यक होता है

1 एकड़ में जिंक कितना लगता है?

अच्छी पैदावार के लिए किसानों को फसलों में यूरिया डालना चाहिए, जो नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश व जिंक की जरूरत को पूरा करता है। प्रति एकड़ भूमि में 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 24 किलोग्राम फास्फोरस, 24 किलोग्राम पोटाश व 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट की आवश्यकता होती है।

यूरिया खाद कितने दिन तक काम करता है?

दानेदार यूरिया का नाइट्रोजन सिर्फ एक हफ्ते तक काम में आता है

धान में कितनी बार खाद डालना चाहिए?

धान के फसल में सिर्फ 3 बार यूरिया डालना चाहिए

धान में कौन कौन सी दवा लगती है?

खुरपी या पैडीवीडर

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