अनानास को एक फल के रूप में उगाया जाता है, ब्राजील को दुनिया में ananas ki kheti का जन्मस्थान कहा जाता है। अनानास फल की अम्लता का स्तर निर्धारित किया जाता है।
इसके ताजे फल को कभी भी काटकर खाया जा सकता है है। इसके फल का तना बहुत सख्त और रेशे मजबूत पाए जाते हैं तथा तना पत्तियों से भरा होता है, इस प्रकार यह काफी मांसल फल होता है।
अनानास कई तरह से पोषक तत्वों और कैल्शियम से भरपूर होता है इसलिए अनानास खाने से शरीर में एनर्जी बनी रहती है।
अगर आप भी अनानास की खेती करना चाहते हैं तो इस पोस्ट में आपको Ananas ki kheti कैसे करें (Pineapple खेती इन हिंदी) और भारतीय बाजार में अनानास की कीमत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है।
ananas ki kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी जलवायु और तापमान (Pineapple Cultivation Suitable Soil, Climate and Temperature)
अनानास उगाने के लिए अच्छी जल निकासी वाली रेतीली मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी खेती जल जमाव वाली मिट्टी में नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा मिट्टी का पी.एच. मान 5 से 6 के बीच होना चाहिए।
इसके पौधों को पनपने के लिए बरसाती, धूप वाली जलवायु की आवश्यकता होती है। सर्दियों में ठंडा मौसम इसकी वनस्पति के लिए बहुत विनाशकारी होता है। उनके पौधों को ज्यादा बारिश की भी जरूरत नहीं होती. इसे समुद्र तल से 1,000 से 1,200 मीटर की ऊंचाई पर आसानी से उगाया जा सकता है।
अनानास के पौधे 20 डिग्री तापमान में पनपते हैं। इसके बाद उनके पौधों को बढ़ने के लिए उचित तापमान की जरूरत होती है. जैसे-जैसे एक पौधा बढ़ता है, उसके पौधे अधिकतम 35 डिग्री तापमान ही झेल पाते हैं, इससे अधिक तापमान उसके पौधों को नुकसान पहुंचाता है।
अनानास की उन्नत किस्में (Pineapple Improved Varieties)
जायनट क्यू
इस प्रकार के पौधों की पत्तियां लंबी और चिकनी नजर आती हैं. जाइंट क्यू पौधों में उगाए गए फल काफी बड़े होते हैं, जिनका वजन तीन पाउंड तक होता है। इन किस्मों को बाद में अनानास की फसल के लिए लगाया जाता है।
इस किस्म के पौधे रोपाई के 15 से 18 महीने बाद 80% तक पककर तैयार हो जाते है |
क्वीन
इन किस्मों को कम समय में फल देने के लिए उगाया जाता है। परिणामी पौधे आकार में छोटे होते हैं, और उनकी पत्तियाँ भी छोटी होती हैं। फल के सिरे नुकीले होते हैं और रंग लाल और सुनहरा होता है। इस तरह के भुने हुए फल का स्वाद बहुत अच्छा होता है.
मॉरिशस
यह एक विदेशी किस्म है, जिसकी पत्तियाँ धारियों में उभरती हैं। इन फलों को तैयार करने में एक साल से ज्यादा का समय लगता है. जिसका वजन लगभग दो किलो तक का होता है |
रैड स्पैनिश
इन अनानास प्रजातियों में उत्पादित फलों का बाहरी आवरण चिकना, कठोर और पीले रंग का होता है। इसके फल आकार में मध्यम होते हैं, गूदे में अम्लीय गुण होता है। इस प्रकार के फलों को ताज़ा ही खाना चाहिए और इनमें बीमारियाँ बहुत कम पाई जाती हैं।
Ananas ki kheti की तैयारी और उवर्रक की मात्रा (Pineapple Field Preparation and Fertilizer Quantity)
Ananas ki kheti की कटाई से पहले, उसके खेत को पूरी तरह से तैयार किया जाना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करनी होगी. परिणामस्वरूप खेत में पुरानी फसलों के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जायेंगे। इसके बाद कुछ देर के लिए खेत को ऐसे ही खुला छोड़ दें. इससे खेत को बेहतर धूप मिलेगी।
इसके बाद 15 से 17 पुरानी गोबर की खाद को खेत में डालकर अच्छी तरह मिट्टी में मिला देना चाहिए. एक बार जब खाद मिट्टी में मिल जाए तो किसान के माध्यम से 2 से तीन तिरछी जुताई कर देनी चाहिए |
जुताई के बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर देना चाहिए | इसके बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगे तब एक बार रोटावेटर की सहायता से ढेलों को तोड़ कर मिट्टी को भुरभुरा बना दे | मिट्टी के भुरभुरा हो जाने के बाद पाटा लगाकर चलवा दे, जिससे खेत समतल हो जायेगा |
Ananas ki kheti को पर्याप्त मात्रा में उवर्रक देने के लिए पहली जुताई के बाद पुरानी गोबर की खाद डाली जाती है, जैविक खाद की जगह आप रासायनिक खाद का भी इस्तेमाल कर सकते है |
इसके लिए Ananas ki kheti में 340 KG फास्फोरस, 680 KG अमोनियम सल्फेट तथा 680 KG पोटाश की मात्रा को वर्ष में दो बार दिया जाता है, इससे पौधों का विकास अच्छे से होता है |
अनानास के बीजो की रोपाई का सही समय और तरीका (Pineapple Seeds Right time and Method of Planting)
इसके पौधे अनानास के पौधों पर बनी शाखाओं पर तैयार किये जाते हैं. इस पौधे को पुत्तल (सकर), गुटि पुत्तल (स्लिप) और क्राउन आदि नामों से भी जाना जाता है।
इसकी सकर किस्म को जमीन में पत्तियों को हटाकर तैयार किया जाता है तथा जमीन से शाखाओं पर स्लिप तैयार की जाती है। फलों पर बनी शाखाओं पर मुकुट सजाया जाता है। इन सभी तरीकों में, लगाने से पहले उन्हें धोया और उपचारित किया जाता है।
उपचार प्रक्रिया के दौरान, पौधे की सूखी पत्तियों को तोड़कर हटा दिया जाता है। इसके बाद, बीजों को थीरम या सेरासेन के घोल से उपचारित करके धूप में सुखाया जाता है।
इसके बाद सकर से तैयार पौधे रोपे जाते हैं. साकेर द्वारा तैयार की गई फसल को फल देने में 15 महीने का समय लगता है. इसके अलावा स्लिप और क्राउन के पौधे रोपण के 20 से 24 महीने बाद फल देना शुरू कर देते हैं.
जब इसके बीज बोये जाते हैं तो खेत में पत्तियां तैयार कर इन कीड़ों पर दो पंक्तियों में लगा दी जाती हैं। मेड़ों के बीच की दूरी डेढ़ से दो फीट होनी चाहिए। अनानास का पौधा ठंडे खेतों में उगाया जाता है.
इसलिए इसके बीज बोने के लिए बारिश का मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है। बरसात के मौसम में बीज बोने से पौधे के अंकुरण के लिए सही वातावरण बनता है।
Ananas ki kheti की सिंचाई (Pineapple Plants Irrigation)
अनानास के पौधों को सिंचाई के पानी की भरपूर जरूरत होती है. इसलिए बीज बोते ही उसके पौधों को पानी देना चाहिए. इसके पौधों की सिंचाई के लिए धीमी धारा या ड्रिप विधि का प्रयोग करना चाहिए.
ताकि लगाए गए बीज तैरकर न जाएं. अन्य समय में इसके पौधों को 20 से 22 दिन के बाद पानी देना जरूरी होता है, जबकि बरसात के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही फसलों की सिंचाई करनी चाहिए.
Ananas ki kheti में खरपतवार नियंत्रण (Pineapple Plants Weed Control)
अनानास के पौधों में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक विधि का प्रयोग किया जाता है. उनके पौधों को चार से पांच खरपतवार काटने की आवश्यकता होती है। इसकी पहली खरपतवार की कटाई रोपण के 25 दिन बाद करनी चाहिए. अगली निराई-गुड़ाई भी पहली कटाई के 25 दिन के भीतर कर देनी चाहिए।
अनानास के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Pineapple Plants Diseases and their Prevention)
शीर्ष विगलन
यह रोग पौधों और फलों दोनों को प्रभावित करता है। प्रारंभिक शीर्ष सड़न रोग पौधे की वृद्धि को धीमा कर देता है। यदि यह रोग फल पकने के बाद लगे तो यह रोग फल को पूरी तरह से नष्ट कर देता है। इस रोग की रोकथाम के लिए पौधे पर नीम के तेल या काढ़े का छिड़काव किया जाता है।
जड़ गलन
Ananas ki kheti में यह रोग जल भराव की स्थिति में देखा जाता है। इस रोग के लगने से पौधे सूखकर पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं. अनानास के पौधे को इस रोग से बचाने के लिए खेत में पानी न दें, इसके अलावा आप पौधे पर बोर्ड मिश्रण स्प्रे का छिड़काव भी कर सकते हैं.
काला धब्बा
पौधों की पत्तियों पर काला धब्बा रोग दिखाई देता है. इस रोग से प्रभावित होने पर पौधे की पत्तियों पर भूरे और काले धब्बे दिखाई देने लगते हैं. इस रोग से गंभीर रूप से प्रभावित होने पर पौधों को बढ़ना चाहिए. पर्याप्त मात्रा में कोजेब या नीम का तेल लगाने से इस रोग से बचा जा सकता है।
अनानास के फलो की तुड़ाई, पैदावार और कीमत (Pineapple Fruit Harvesting, yield and Price)
Ananas ki kheti बीज बोने के लगभग 18 से 20 महीने बाद उत्पादन के लिए तैयार हो जाते हैं। जब इसके पौधों में लगने वाली पत्तियाँ पीली दिखाई देने लगती है, तब इसके फलो की तुड़ाई कर लेनी चाहिए |.
एक बार कटाई के बाद, फलों को इकट्ठा किया जाना चाहिए और बिक्री के लिए तुरंत बाजार में ले जाया जाना चाहिए। एक अनानास के पेड़ से केवल एक ही फल पैदा किया जा सकता है और एक हेक्टेयर खेत में लगभग 16 से 17 हजार अनानास के पौधे उगाए जा सकते हैं।
भाई किसान इससे प्रति हेक्टेयर खेत से 300 से 400 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं. अनानास का बाजार मूल्य बहुत अच्छा है, जिसके कारण किसान भाई इसकी एक बार की फसल से 5 से 6 करोड़ रुपये आसानी से कमा सकते हैं।
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Ananas Ki kheti FaQ?
अनानास कितने दिनों में फल देता है?
Ananas ki kheti का फसल चक्र 90 से सौ दिन का होता है।
अनानास का पौधा कितने साल में फल देता है?
Ananas ki kheti का पौधा 18 से 20 महीने में फल देता है|
पाइनएप्पल कितने दिन में तैयार होता है?
1.5 से 2 साल में होता है तैयार होता है|
अनानास का बीज कहाँ मिलता है?
Ananas ki kheti के लिये कोई बीज नहीं होता, बल्कि इसके फल के ऊपरी हिस्से यानी अनानास के ताज की रोपाई की जाती है, जिसे पायनेपल स्लीप या सकर भी कहते हैं
क्या भारत में अनानास उगाया जा सकता है?
भारत में प्रमुख Ananas ki kheti उत्पादक राज्य असम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, केरल और बिहार हैं।
आप कितनी बार अनानास की कटाई कर सकते हैं?
प्रारंभिक फल के लगभग एक साल बाद.
अनानास के पौधों को कितना सूरज चाहिए?
सामान्य तौर पर, सर्वोत्तम विकास और फल उत्पादन के लिए अनानास के पौधों को पूर्ण सूर्य में लगाया जाना चाहिए। अन्य पेड़ों, इमारतों और संरचनाओं से दूर परिदृश्य का एक हिस्सा चुनें। याद रखें, Ananas ki kheti को सर्वोत्तम विकास और उत्पादन के लिए पूर्ण सूर्य की आवश्यकता होती है।
एक पौधे पर कितने अनानास उगते हैं?
अनानास के प्रति पौधे में केवल एक फल उत्पन्न होता है ।
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